बाबरी विध्वंस मामला: सुप्रीम कोर्ट ने CBI कोर्ट को 31 अगस्त तक फैसला सुनाने को कहा
शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में फैसला सुनाने की समय सीमा बढ़ाते हुए स्पेशल केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) कोर्ट को 31 अगस्त तक इसका फैसला सुनाने को कहा है। पहले मामले का फैसला अप्रैल के अंत तक सुनाया जाना था। बता दें कि इस मामले में कभी भाजपा के शीर्ष नेता रहे लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी और उमा भारती समेत कई लोग आरोपी हैं। ये मामला अयोध्या जमीन विवाद मामले से अलग है।
6 दिसंबर, 1992 को गिराई गई थी बाबरी मस्जिद
6 दिसंबर, 1992 को कारसेवकों ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद को गिरा दिया था। ये मस्जिद 16वीं शताब्दी से यहां थी और कारसेवकों का आरोप था कि मुगल शासक बाबर ने राम मंदिर तोड़कर इसे बनवाया था। अयोध्या को भगवान राम का जन्मस्थान माना जाता है। आडवाणी ने मस्जिद के स्थान पर मंदिर बनवाने के लिए 1980 के दशक में रथयात्रा निकाली थी और मस्जिद गिरने के समय कई भाजपा नेता वहां मौजूद थे।
ये चर्चित नाम मुख्य आरोपी
मस्जिद को तोड़ने की साजिश की जांच CBI को सौंपी गई थी और इसमें आडवाणी, जोशी और भारती के अलावा पूर्व भाजपा सांसद विनय कटियार और साध्वी ऋतम्भरा को भी आरोपी बनाया गया था। वहीं मामले में आरोपी तीन बड़े नामों की मौत हो चुकी है। इनमें विश्व हिंदू परिषद (VHP) के अशोक सिंघल, गिरिराज किशोर और विष्णु हरि डालमिया शामिल हैं। 19 अप्रैल, 2017 को मामले मे साजिश के आरोप तय किए गए थे।
2017 तक रायबरेली और लखनऊ में चल रहे थे दो अलग-अलग मुकदमे
2017 तक मामले में रायबरेली और लखनऊ में दो अलग-अलग आपराधिक मुकदमे चल रहे थे। रायबरेली में भाजपा और दक्षिणपंथी नेताओं पर दुश्मनी को बढ़ावा देने और राष्ट्रीय एकता को खतरा पहुंचाने का मुकदमा चल रहा था। वहीं लखनऊ में अज्ञात कारसेवकों को आरोपी बनाया गया था। 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों मामलों को लखनऊ की स्पेशल CBI कोर्ट के पास शिफ्ट कर दिया था और जज को रोजाना सुनवाई करने का आदेश दिया।
CBI जज ने सुप्रीम कोर्ट से किया था डेडलाइन बढ़ाने का अनुरोध
अप्रैल, 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पेशल CBI कोर्ट को दो साल के अंदर फैसला सुनाने का आदेश दिया था। जुलाई, 2019 में इस डेडलाइन को नौ महीने बढ़ाकर अप्रैल, 2020 तक कर दिया गया। अब मामले की सुनवाई कर रहे CBI जज एसके यादव ने कोरोना वायरस महामारी और लॉकडाउन का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट से मामले में फैसले सुनाने की डेडलाइन को बढ़ाने का अनुरोध किया था।
सुप्रीम कोर्ट ने दिया हर हाल में 31 अगस्त तक फैसला सुनाने का आदेश
आज सुप्रीम कोर्ट ने CBI जज के अनुरोध को स्वीकार करते हुए डेडलाइन को 31 अगस्त तक बढ़ा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने CBI कोर्ट से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मामले की सुनवाई करने औऱ हर हाल में अगस्त से फैसला सुनाने को कहा है।
अयोध्या जमीन विवाद से अलग है मामला
बाबरी मस्जिद विध्वंस मामला अयोध्या जमीन विवाद से अलग है जिसमें पिछले साल 9 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने रामलला विराजमान के पक्ष में फैसला सुनाते हुए विवादित 2.77 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनाने का आदेश दिया था। वहीं उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड मुस्लिम पक्ष को मस्जिद निर्माण के लिए अयोध्या में ही पांच एकड़ जमीन देने को कहा था। मंदिर निर्माण के लिए ट्रस्ट बनाया जा चुका है।