
कलकत्ता हाई कोर्ट ने दिए पश्चिम बंगाल में चुनाव बाद हिंसा की CBI जांच के आदेश
क्या है खबर?
कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार को बड़ा झटका दिया है।
हाई कोर्ट ने राज्य में विधानसभा चुनाव के बाद हुई हिंसा की केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) से जांच कराने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने हिंसा की निष्पक्ष जांच को लेकर दायर याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया है। CBI हिंसा में अस्वाभाविक मृत्यु, हत्या और दुष्कर्म सहित बेहद गंभीर मामलों की जांच करेगी, जबकि सामान्य मामलों की जांच SIT करेगी।
पृष्ठभूमि
विधानसभा चुनाव के बाद कई जिलों में भड़की थी हिंसा
2 मई को आए विधानसभा चुनावों के नतीजों में तृणमूल कांग्रेस (TMC) ने 213 सीटों पर कब्जा जमाते हुए फिर से सत्ता में वापसी की थी। परिणामों के बाद राज्य के कई जिलों में हिंसा भड़क गई थी।
हुबली में भाजपा के कार्यालय को आग के हवाले कर दिया गया था। इतना ही नहीं कई जगहों पर भाजपा और TMC कार्यकर्ताओं के बीच हिंसक झड़पें हुई थीं।
इन घटनाओं में कई लोगों की मौत होने की सूचनाएं सामने आई थी।
याचिका
हिंसा की निष्पक्ष जांच के लिए हाई कोर्ट में दायर की गई थी याचिका
इस मामले में कई सामाजिक कार्यकर्ता और हिंसा से प्रभावित लोगों ने हिंसा की निष्पक्ष जांच के लिए कलकत्ता हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी।
लोगों का आरोप था कि चुनाव के बाद TMC कार्यकर्ताओं ने उनके परिवार पर हमला किया था और महिलाओं से दुष्कर्म जैसी घटनाओं को अंजाम दिया था।
इतना ही नहीं लोगों ने जिला प्रशासन द्वारा कोई मदद नहीं करने का भी आरोप लगाया था। हाई कोर्ट ने आरोपों को गंभीरता से लिया था।
आदेश
हाई कोर्ट ने मानवाधिकार आयोग को दिए थे जांच के आदेश
हाई कोर्ट ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को एक समिति बनाकर चुनाव के बाद हुई हिंसा में मानवाधिकार हनन के मामलों की जांच के आदेश दिए थे।
पश्चिम बंगाल सरकार ने कोर्ट में मानवाधिकार आयोग से जांच न करवाने की याचिका दायर कर दी। हालांकि, कोर्ट ने याचिका को कोर्ट ने ठुकरा दिया।
इसके बाद आयोग की टीम ने बंगाल जाकर घटना की जांच की थी। उस दौरान 29 जून को जाधवपुर में इस टीम पर हमला भी किया गया था।
रिपोर्ट
मानवाधिकार आयोग ने अपनी रिपोर्ट में बनर्जी सरकार को ठहराया था दोषी
मानवाधिकार आयोग की जांच समिति ने हाई कोर्ट को सौंपी रिपोर्ट में ममता बनर्जी सरकार को दोषी ठहराया था।
रिपोर्ट में कहा गया था कि दुष्कर्म और हत्या जैसे मामलों की जांच CBI से कराई जाए और इन मामलों की सुनवाई बंगाल के बाहर होनी चाहिए।
समिति ने यह भी कहा था कि सामान्य मामलों की जांच भी कोर्ट की निगरानी में SIT से कराई जानी चाहिए। इसी तरह दोषियों पर मुकदमे के लिए फास्ट ट्रेक कोर्ट बनाई जानी चाहिए।
फैसला
हाई कोर्ट ने दिए CBI जांच के आदेश
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल की पांच सदस्यीय पीठ ने गत 3 अगस्त को मानवाधिकार आयोग की सात सदस्यीय समिति की रिपोर्ट के आधार पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।
गुरुवार को सुनाए गए फैसले में पीठ ने अस्वाभाविक मृत्यु, हत्या और दुष्कर्म जैसे गंभीर मामलों की जांच CBI से कराने तथा सामान्य हिंसा के मामलों की जांच SIT को सौंपने का आदेश दिया है। जांच के बाद SIT अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौंपेगी।
रिपोर्ट
SIT को छह सप्ताह में सौंपनी होगी रिपोर्ट
हाई कोर्ट ने भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) अधिकारी सुमन बाला साहू, सौमेन मित्रा और रणबीर कुमार के नेतृत्व में SIT गठित करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने कहा कि SIT की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश करेंगे। SIT को छह सप्ताह में मामलों की जांच कर अपनी रिपोर्ट हाई कोर्ट में जमा करानी होगी।
इस रिपोर्ट के आने के बाद तथा CBI जांच के तथ्यों के आधार पर मामले में आगे की कार्रवाई की जाएगी।
प्रतिक्रिया
हाई कोर्ट ने उजागर की सरकार की सच्चाई- विजयवर्गीय
हाई कोर्ट के आदेश पर भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा, "हम उच्च न्यालाय के आदेश का स्वागत करते हैं। पश्चिम बंगाल में चुनाव के बाद राज्य सरकार के संरक्षण में हिंसा हुई थी। उच्च न्यायालय के आदेश ने सरकार की सच्चाई उजागर कर दी है।"
केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा, "हम फैसले का स्वागत करते हैं। लोकतंत्र में किसी को भी हिंसा की अनुमति नहीं है। लोकतंत्र इसकी कोई जगह नहीं है।"
बयान
हाई कोर्ट के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे सकती है बनर्जी सरकार
TMC नेता सौगत रॉय ने कहा, "मैं इस फैसले से नाखुश हूं। यदि राज्य की कानून-व्यवस्था के संबंध में CBI जांच करती है तो यह राज्य सरकार के अधिकार में दखल होगा। मुझे भरोसा है कि सरकार समीक्षा के बाद इस आदेश को चुनौती देगी।"