उन्नाव रेप केस के दोषी कुलदीप सेंगर की विधानसभा सदस्यता खत्म
उन्नाव रेप केस में आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे कुलदीप सिंह सेंगर की विधानसभा सदस्यता खत्म हो गई है। उत्तर प्रदेश विधानसभा के प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे ने मंगलवार को इस संबंध में अधिसूचना जारी करते हुए उन्हें विधानसभा सदस्य के रूप में आधिकारिक रूप से अयोग्य घोषित कर दिया है। जारी अधिसूचना के अनुसार सेंगर की विधानसभा सदस्यता उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाए जाने वाले दिन से ही खत्म मानी जाएगी।
पिछले साल भी अयोग्य घोषित हुआ था उत्तर प्रदेश का एक विधायक
विधानसभा की ओर से सदस्यता खत्म किए जाने का यह दूसरा मामला है। इससे पहले हत्या के मामले में दोषी ठहराए जाने के बाद साल 2019 में हमीरपुर से भाजपा के विधायक अशोक चंदेल को भी अयोग्य घोषित किया जा चुका है।
जून 2017 में दर्ज हुआ था रेप का मामला
कुलदीप सिंह सेंगर के खिलाफ पीड़िता ने 4 जून, 2017 को दुष्कर्म का मामला दर्ज कराया था, लेकिन पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। वहीं विधायक के भाई ने पीड़िता के पिता को जमकर पीटा था। इससे उसकी मौत हो गई थी। बाद में पीड़िता ने 8 अप्रैल, 2018 को मुख्यमंत्री आवास के बाहर खुद को आग लगाने का प्रयास किया तो मामले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को सौंप दिया गया था।
CBI की जांच में सेंगर को पाया गया था दोषी
मामले में आरोप सिद्ध होने के बाद CBI ने सेंगर और उसके परिचितों को गिरफ्तार कर लिया था। 28 जुलाई, 2019 को पीड़िता की कार को एक ट्रक ने टक्कर मार दी थी। इसमें वह घायल हो गई थी तथा उसकी चाची और मौसी की मौत हो गई थी। ये मामला अभी कोर्ट में है। इसके बाद पीड़िता की याचिका पर मामले को दिल्ली स्थानांतरित किया गया। 20 दिसंबर, 2019 को सेंगर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।
सेंगर ने बांगरमऊ विधानसभा से हासिल की थी जीत
कुलदीप सिंह सेंगर ने मार्च 2017 में उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान बांगरमऊ विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के टिकट पर चुनाव जीता था, लेकिन तीन महीने बाद ही उनके खिलाफ दुष्कर्म का मामला दर्ज कर लिया गया। न्यायालय की ओर से उन्हें दोषी ठहराए जाने के बाद भाजपा प्रबंधकन ने अगस्त 2019 में उन्हें पार्टी से निष्कासित कर दिया था। सजायफ्ता होने के कारण सेंगर अब भविष्य में कभी चुनाव भी नहीं लड़ सकेंगे।
इस आधार पर खत्म हुई सेंगर की सदस्यता
आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 10 जुलाई, 2013 में लिली थॉमस बनाम भारत संघ मामले में फैसला दिया था कि अगर कोई विधायक, सांसद या विधान परिषद सदस्य किसी भी अपराध में दोषी पाया जाता है और उसे कम से कम दो साल की सजा होती है तो वह तुरंत अयोग्य हो जाएगा यानी जनप्रतिनिधि नहीं रहेगा। ऐसे में सेंगर को उम्रकैद की सजा हुई है तो उनकी सदस्यता तत्काल प्रभाव से रद्द हो गई है।