बिहार: मुजफ्फरपुर शेल्टर होम केस में मुख्य दोषी बृजेश ठाकुर को उम्रकैद
बिहार के बहुचर्चित मुजफफरपुर शेल्टर होम में 40 नाबालिगों बच्चियों व लड़कियों से रेप और यौन शोषण के मामले में दिल्ली की साकेत कोर्ट ने मंगलवार को बड़ा फैसला सुनाते हुए मुख्य दोषी बृजेश ठाकुर को आजीवन कारावास और 20 लाख रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। यह मामला मुंबई की टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस (TISS) की रिपोर्ट के बाद सामने आया था। मामला उछलने के बाद केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने इसकी जांच की थी।
ठाकुर ने नाबालिगों को अपने दोस्तों के पास भेजकर कराया था यौन शोषण
टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस की रिपोर्ट के बाद CBI ने मामले की गहन जांच की तो पता चला कि शेल्टर होम में रहने वाली दर्जनों लड़कियों के साथ ठाकुर और उनके सहयोगियों द्वारा रेप और यौन शोषण के साथ वीभत्स घटनाओं को अंजाम दिया जाता था। यह भी पता चला था कि ठाकुर ने नाबालिगों को अपने दोस्तों के पास भेजकर यौन शोषण कराया था। सुप्रीम कोर्ट ने केस को बिहार से दिल्ली ट्रांसफर किया था।
11 लड़कियों की हत्या का भी हुआ था खुलासा
मामले में CBI ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि मामले के मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर और उसके सहयोगियों ने 11 लड़कियों की कथित रूप से हत्या की थी। इस मामले में टीम ने श्मशान घाट से हड्डियों की पोटली भी बरामद की है। सुप्रीम कोर्ट में दायर अपने हलफनामे में CBI ने कहा था कि जांच के दौरान दर्ज पीड़ितों के बयानों में 11 लड़कियों के नाम सामने आये हैं जिनकी ठाकुर और उनके सहयोगियों ने हत्या की थी।
कोर्ट ने 20 में से 19 को माना था दोषी
साकेत कोर्ट ने गत 20 जनवरी को 20 में से 19 आरोपियों को पॉक्सो, बलात्कार, आपराधिक साजिश और अन्य धाराओं में दोषी करार दिया था। इसके बाद 4 फरवरी को सजा पर बहस पूरी करते हुए कोर्ट ने सजा सुनाने की तारीख 11 फरवरी तय की थी। कोर्ट ने मोहम्मद साहिल उर्फ विक्की को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया था। सजा सुनाए जाने के बाद ठाकुर कोर्ट में रोने लग गया और अपराध के लिए क्षमा मांगने लगा।
ठाकुर के अलावा अन्य दोषियों में शामिल हैं ये
दिल्ली की साकेत कोर्ट ने ब्रजेश ठाकुर के अलावा बालिकागृह की अधीक्षक इंदु कुमारी, गृह माता मीनू देवी, चंदा देवी, काउंसलर मंजू देवी, नर्स नेहा, हेमा मसीह, किरण कुमारी, रवि कुमार, CWC अध्यक्ष दिलीप कुमार, सदस्य विकास कुमार, ड्राइवर विजय तिवारी को दोषी माना था। इसी तरह गुड्डू पटेल, कृष्णा राम, बाल संरक्षण इकाई की तत्कालीन सहायक निदेशक रोजी रानी, रामानुज ठाकुर, रामाशंकर सिंह, डॉक्टर अश्विनी, साइस्ता परवीन उर्फ मधु को भी दोषी करार दिया था।
चार को आजीवन कारावास तो छह को मिली 10 साल की सजा
कोर्ट ने रवि रोशन को उम्रकैद 1.5 लाख रुपये जुर्माना, विकास को उम्रकैद 14 लाख रुपये जुर्माना, गुडु पटेल को उम्रकैद, किरण, मधु, रामानुज ठाकुर, मीनू, विजय तिवारी को 10-10 साल सजा और 35,000 जुर्माना तथा कृष्णा कुमार को 10 साल की सजा और 40,000 रुपये जुर्माना की सजा सुनाई है। इसी तरह नेहा, हेमा मशीह, अश्वनी, मीनू, मंजू, चांदा, रमा शंकर व इन्दु कुमारी को 3-3 साल और रोजी रानी 6 महीने की सजा सुनाई गई है।
TISS ने मई 2018 में बिहार सरकार को सौंपी थी रिपोर्ट
TISS ने मामले में 26 मई, 2018 को बिहार सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपते हुए बताया था कि बृजेश ठाकुर की संस्था सेवा संकल्प एवं विकास समिति द्वारा संचालित बालिका गृह में नाबालिग बच्चियों के साथ रेप, मारपीट तथा यौन शोषण सहित अन्य वीभत्स घटनाओं को अंजाम दिया जाता था। रिपेार्ट में हुए खुलासे के बाद 31 मई, 2018 को मुजफ्फरपुर महिला थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था। कोर्ट ने 30 मार्च, 2019 को आरोप तय किए थे।