तिरुपति मंदिर की सुरक्षा के लिए इस्तेमाल होगी एंटी-ड्रोन तकनीक, एक सिस्टम की कीमत 25 करोड़
तिरुपति मंदिर की ड्रोन हमलों से सुरक्षा के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की एंटी-ड्रोन तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। देश का यह पहला मंदिर होगा, जहां इस तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तकनीक वाले एक सिस्टम की कीमत करीब 25 करोड़ रुपये बताई जा रही है, लेकिन अगर कोई संस्था 100 से अधिक सिस्टम की खरीद करती है तो उसे 22 करोड़ रुपये का एक सिस्टम बेचा जाएगा। आइये, इस बारे में विस्तार से जानते हैं।
इसी महीने हुआ तकनीक का ट्रायल
जम्मू हवाई अड्डे पर जून में ड्रोन की मदद से हुए हमले के बाद DRDO ने इसी महीने तीनों सेनाओं को अपनी इस तकनीक का ट्रायल दिखाया था। इस दौरान तिरुमला स्थित भगवान वेंकटेश्वर मंदिर का प्रबंधन देखने वाली संस्था तिरुमला तिरुपति देवस्थानम (TTD) के विजिलेंस और सुरक्षा प्रमुख गोपीनाथ जट्टी भी वहां मौजूद थे। उनके अलावा अलग-अलग राज्यों के पुलिस विभाग से आए अधिकारियों ने यह भी ट्रायल देखा था।
उत्पादन बढ़ाने के लिए कई कंपनियों से बात कर रहा DRDO
DRDO की यह तकनीक ड्रोन को जाम करने के साथ-साथ उसे नष्ट भी कर सकती है। DRDO ने इसके उत्पादन और मार्केटिंग का जिम्मा रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले सार्वजनिक उपक्रम भारत इलेक्ट्रिकल लिमिटेड (BEL) को दिया है। संगठन कई और कंपनियों के साथ भी बातचीत कर रहा है ताकि इसका उत्पादन बढ़ाकर कीमतें कम की जा सकें। बताया जा रहा है कि जल्द ही तिरुपति मंदिर में ये तकनीक तैनात की जा सकती है।
कैसे काम करेगा एंटी-ड्रोन सिस्टम?
DRDO का एंटी-ड्रोन सिस्टम चार किलोमीटर के दायरे में ड्रोन का पता लगा लेता है। इसमें एक 'सॉफ्ट किल' का ऑप्शन मिलता है, जिसके जरिये ड्रोन की रेडियो फ्रीक्वैंसी को जाम कर दिया जाता है। इससे उसका कम्युनिकेशन और GPS डिएक्टिवेट हो जाता है और रिमोट लोकेटिंग सिस्टम भी बंद हो जाता है। ये फीचर तीन किलोमीटर के दायरे तक काम करते हैं। यानी सिस्टम से तीन किलोमीटर के दायरे में ड्रोन को 'सॉफ्ट किल' किया जा सकता है।
सिस्टम में मिलेगा हार्ड किल का भी ऑप्शन
इसके अलावा इस सिस्टम में 'हार्ड किल' का भी ऑप्शन है। इसमें यह सिस्टम छोटे ड्रोन का पता लगाने के बाद उसे निशाना बनाकर नष्ट भी कर सकता है। यह ऑप्शन 150 मीटर से लेकर एक किलोमीटर तक की रेंज में काम करता है।
जल्द लग जाएगा सिस्टम
TTD के प्रमुख और कार्यकारी अधिकारी डॉ केएस जवाहर की सलाह के बाद विजिलेंस और सुरक्षा विभाग को उम्मीद है कि जल्द ही यह सिस्टम मंदिर पर तैनात कर दिया जाएगा। सूत्रों ने बताया कि आगामी कुछ दिनों में BEL के अधिकारी यहां का दौरा कर जरूरी चीजों का मुआयना करेंगे। अभी तक यह जानकारी नहीं मिल पाई है कि TTD ने ऐसे कितने सिस्टम लगवाने का फैसला किया है।