भारत में वैक्सीन लगने के बाद खून बहने या थक्के जमने के 26 मामले मिले- रिपोर्ट
भारत में चलाए जा रहे वैक्सीनेशन अभियान को लेकर लोगों के मन में अभी भी कई शंकाएं है। इसमें वैक्सीनेशन के बाद खून बहने या थक्के जमने की आशंका प्रमुख है। इसी बीच कोरोना वैक्सीनों की जांच के लिए बने पैनल की रिपोर्ट सामने आई है। इसके अनुसार देश में वैक्सीनेशन के बाद खून बहने या थक्के जमने के महज 26 मामले सामने आए हैं और यह वैक्सीन लगवाने वाले कुल लोगों की संख्या के हिसाब से बहुत कम है।
सरकारी पैनल ने स्वास्थ्य मंत्रालय को सौंपी रिपोर्ट
बता दें सरकार ने कोरोना वैक्सीन लगने के बाद होने वाले दुष्परिणामों के अध्ययन के लिए एक सरकारी पैनल का गठन किया था। इस पैनल ने अब तक के अध्ययन के आधार पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। पैनल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि भारत मे वैक्सीनेशन की शुरुआत से लेकर अब तक 753 जिलों में 23,000 से ज्यादा दुष्परिणाम के मामले सामने आए हैं। इनमें से महज 700 अधिक गंभीर पाए गए हैं।
खून बहने या थक्के जमने के मिले महज 26 मामले
NDTV के अनुसार पैनल की रिपोर्ट में कहा गया है कि उसने 700 गंभीर दुष्परिणामों के मामलों में से 498 का अध्ययन किया है। इनमें से खून बहने या थक्के जमने के महज 26 मामले सामने आए हैं। वैक्सीन की प्रत्येक 10 लाख खुराक पर इस तरह के मामलों की संख्या 0.61 प्रतिशत है, जो कि बहुत कम है। पैनल ने कहा कि सभी मामले ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित कोविशील्ड से जुड़े हैं। कोवैक्सिन में ऐसा कोई मामला नहीं आया है।
UK स्वास्थ्य नियामक के डाटा से बहुत कम है मामले
पैनल ने कहा कि यूनाइटेड किंगडम (UK) स्वास्थ्य नियामक के अध्ययन में 10 लाख वैक्सीन की खुराक पर खून बहने या थक्के जमने के चार और जर्मनी में 10 मामलों की रिपोर्ट की है। उस हिसाब से भारत में स्थिति काफी बेहतर है।
दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई मूल के लोगों में कम होती है थक्के जमने की संभावना
पैनल ने रिपोर्ट में कहा है कि खून के थक्के जमने की घटनाएं सामान्य आबादी में होती रहती है, लेकिन वैज्ञानिक शोधों में सामने आया है कि यूरोपीय मूल के लोगों की तुलना में दक्षिण और दक्षिण-पूर्व एशियाई मूल के लोगों इस तरह की घटनाएं होने की संभावना 70 प्रतिशत तक कम होती है। ऐसे में पैनल ने कहा कि कि दोनों वैक्सीनों में बहुत कम जोखिम है, लेकिन फिर भी आंतरिक तौर पर इसके प्रभाव की आशंका जरूर है।
पैनल ने 7 अप्रैल तक के मामलों का किया है अध्ययन
पैनल की रिपोर्ट के मुताबिक 7 अप्रैल तक 7.54 करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाई गई थी। इनमें से कोविशील्ड की 6,86,50,819 खुराक तथा कोवैक्सिन की 67,84,562 खुराक लगाई गई थी। देश में वैक्सीनेशन की शुरुआत के बाद 753 जिलों में से वैक्सीन लेने के बाद 684 गंभीर दुष्परिणाम सामने आए थे। इस हिसाब से दुष्परिणाम की संख्या बहुत कम है और लोगों को आगे आकर वैक्सीन लगवानी चाहिए। इससे उन्हें महामारी से बचाव में मदद मिलेगी।
लोगों को गंभीर दुष्परिणामों की सूचना देने के लिए किया जाएगा प्रेरित
स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि अब जल्दी ही हेल्थकेयर वर्कर्स और वैक्सीन लगवाने वाले लोगों को वैक्सीन लगने के बाद खून का थक्का जमने या खून बहने जैसी किसी समस्या को लेकर 20 दिन के भीतर ही सूचना देने के लिए प्रेरित किया जाएगा। स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि वैक्सीन के बाद सांस लेने में परेशानी, सीने में दर्द, कंधे पर दर्द, लाल निशान पड़ने या फिर अन्य समस्या की भी सूचना दी जानी चाहिए।
देश में यह है वैक्सीनेशन अभियान की स्थिति
देश में चल रहे दुनिया के सबसे बड़े वैक्सीनेशन अभियान की बात करें तो अब तक वैक्सीन की 18,29,26,460 खुराकें लगाई जा चुकी हैं। बीते दिन 6,91,211 खुराकें लगाई गईं। वैक्सीनेशन की धीमी रफ्तार बड़ी चिंता का विषय बनी हुई है।