भाजपा सांसद का दावा- राम के बेटे कुश का वंशज है उनका परिवार, दिखाए दस्तावेज
जयपुर के पूर्व राजघराने की सदस्य और राजसमंद से भाजपा सांसद दीया कुमारी ने दावा किया है कि उनका परिवार भगवान राम के बेटे कुश का वंशज है। उनका यह दावा सुप्रीम कोर्ट के उस सवाल के बाद आया, जिसमें कोर्ट ने पूछा था कि क्या कोई 'रघुवंशी' अब भी अयोध्या में रहता है। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में भगवान राम के वंशज फैले हैं और उनका परिवार उनमें से एक है। आइये, इस बारे में विस्तार से जानें।
परिवार के पास मौजूद है सबूत- दीया कुमारी
भाजपा सासंद दीया कुमारी ने कहा, "कोर्ट ने पूछा कि भगवान राम के वंशज कहां हैं? दुनियाभर में भगवान श्रीराम जी के वंशज हैं। इसमें मैं और मेरा परिवार भी शामिल हैं, हम भगवान श्रीराम के पुत्र कुश के वंशज हैं।" उन्होंने कहा कि उनके इस दावे का आधार उनके परिवार के पास मौजूद हस्तलिपि, वंशावली और दस्तावेज हैं। साथ ही उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर जल्द बनना चाहिए और इसमें कोई रुकावटें नहीं आनी चाहिए।
दस्तावेजों के आधार पर किया दावा
जरूरत पड़ी तो पेश करुंगी सबूत- दीया कुमारी
दीया कुमारी ने कहा, "हर किसी की राम में आस्था में है। यह उनकी प्रार्थना है कि राम मंदिर मामले में सुनवाई जल्द पूरी हो और कोर्ट जल्द अपना फैसला सुनाएं।" उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो वह कुश के वंशज होने के साक्ष्य अदालत में पेश करने को तैयार हैं, लेकिन अपनी तरफ से पहल कर वह मामले में दखल नहीं देना चाहती। बता दें, सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मामले को लेकर सुनवाई चल रही है।
मेवाड़ के पूर्व राजघराने ने भी खुद को बताया लव का वंशज
जयपुर के बाद मेवाड़ के पूर्व राजघराने ने खुद को भगवान राम के दूसरे बेटे लव का वंशज बताया है। परिवार के मुताबिक, लव ने लव-कोटे (लाहौर) बसाया था। लव के वंशज बाद में मेवाड़ आए और यहां सिसोदिया साम्राज्य की स्थापना की। पूर्व राजघराने के सदस्य महेन्द्र सिंह मेवाड़ ने कहा है कि उनका राजघराना श्रीराम के पुत्र लव का वंशज है। मेवाड़ में उनकी 76 पीढ़ियाें का इतिहास दर्ज है, जबकि राजघराने का इतिहास और भी पुराना है।
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पूछा यह सवाल
अयोध्या में विवादित भूमि मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पूछा कि क्या अयोध्या में अब भी कोई राम के वंशज रहते हैं? सुप्रीम कोर्ट की पांच सदस्यीय बेंच ने यह सवाल राम लला विराजमान की तरफ से दलील दे रहे वकील के परासरन से पूछा था। इस पर वकील ने कहा कि उनके पास इस संबंध में कोई जानकारी नहीं है और वो इसका पता लगाएंगे।
6 अगस्त से सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई
अयोध्या विवाद को मध्यस्थता के जरिए सुलझाने की कोशिश नाकाम रही और मध्यस्थता समिति संबंधित पक्षों के साथ किसी भी समझौते पर नहीं पहुंच सकी। तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति ने सुप्रीम कोर्ट को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करते हुए कहा था कि वह 6 अगस्त से मामले की रोजाना सुनवाई करेगी। तब से इस मामले में नियमित सुनवाई हो रही है। पांच सदस्यीय बेंच इसकी सुनवाई कर रही है।
क्या है अयोध्या जमीन विवाद?
अयोध्या में 6 दिसंबर, 1992 को विवादित स्थल पर खड़ी बाबरी मस्जिद को गिरा दिया गया था और मुख्य विवाद इससे संबंधित 2.77 एकड़ जमीन को लेकर है। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 2010 में दिए अपने फैसले में विवादित भूमि को निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड उत्तर प्रदेश और रामलला विराजमान के बीच तीन हिस्सों में बांट दिया था। हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सभी पक्षकारों ने सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थी।