लोकसभा चुनाव परिणाम: कई राज्यों में कांग्रेस का सूपड़ा साफ, कुछ में 1-2 सीटों पर सिमटी
आज लोकसभा चुनाव का परिणाम घोषित हो रहा है और अब तस्वीर बहुत हद तक साफ होने लगी है। जहां भारतीय जनता पार्टी बेहद शानदार प्रदर्शन कर रही है, वहीं कांग्रेस का कई राज्यों में सूपड़ा साफ होता हुआ नजर आ रहा है। कई अहम राज्यों में वह मात्र 1-2 सीटों पर सिमट कर रह गई है। उसका यह प्रदर्शन 2014 चुनाव से बिल्कुल मेल खाता है। आइए जानते हैं कि किस राज्य में उसका कैसा प्रदर्शन रहा।
इन राज्यों में हुआ सूपड़ा साफ
उत्तर भारत के दिल्ली और उत्तराखंड में कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत रही है। वहीं, राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण बिहार में भी कांग्रेस अपना खाता खोलने में नाकाम रही। ओडिशा और आंध्र प्रदेश में भी कांग्रेस किसी भी सीट पर जीत दर्ज करने में नाकाम रही है। हालांकि 2014 चुनाव में भी पार्टी का इन दोनों राज्यों में खाता नहीं खुला था। अरुणाचल प्रदेश में भी पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया है।
इन राज्यों में महज 1-2 सीट
अन्य कई राज्यों में कांग्रेस 1-2 सीटों तक सिमट कर रह गई है। उत्तर प्रदेश जैसे महत्वपूर्ण राज्य में पार्टी महज एक रायबरेली सीट पर आगे चल रही है। पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी खुद अपने गढ़ अमेठी को बचाने के लिए जूझ रहे हैं और भाजपा उम्मीदवार स्मृति ईरानी से 10 हजार वोटों से पीछे चल रहे हैं। इसके अलावा राजस्थान और मध्य प्रदेश में पार्टी महज एक सीट तक सिमट सकती है, जबकि वहां राज्य में उसकी सरकार है।
इन राज्यों में भी बेहद बुरा प्रदर्शन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के गृहराज्य गुजरात में कांग्रेस की हालत बुरी है और वह महज एक सीट पर आगे है। हालांकि 2014 में राज्य में उसका सूपड़ा साफ हुआ था। इसके अलावा इस चुनाव में बेहद महत्वपूर्ण बने पश्चिम बंगाल में पार्टी महज एक सीट पर सिमटती हुई नजर आ रही है। वहीं, पार्टी हरियाणा में महज एक और छत्तीसगढ़ में 2 सीट पर आगे है। छत्तीसगढ़ में वह पिछले साल विधानसभा का प्रदर्शन दोहराने में नाकाम रही है।
कांग्रेस के लिए आगे क्या?
अगर चुनाव परिणाम इन रुझानों के मुताबिक ही रहते हैं तो यह कांग्रेस नेतृत्व पर बेहद गंभीर सवाल खड़ा करते हैं। यह बात साफ है कि कांग्रेस एक बेहतर विपक्ष देने और भाजपा का विकल्प बनने में नाकाम रही है। अगर राहुल खुद अपना गढ़ नहीं बचा पाते हैं तो परिणाम की जिम्मेदारी लेते हुए उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना चाहिए और कांग्रेस को गांधी परिवार से अलग होकर स्थानीय और राष्ट्रीय नेताओं को तैयार करना चाहिए।