सुप्रीम कोर्ट पहुंचे बाबा रामदेव, एलोपैथी विवाद में दर्ज मामलों पर रोक की मांग
एलोपैथी को 'बकवास विज्ञान' बताने को लेकर देशभर में दर्ज हुई FIR का सामना कर रहे योग गुरु बाबा रामदेव ने अब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट से मामले में विभिन्न राज्यों में उनके खिलाफ दर्ज कराई गई सभी FIR पर रोक लगाने की मांग की है। इसके अलावा उन्होंने सभी FIR को क्लब यानी एकसाथ करते हुए उन्हें दिल्ली स्थानांतरित करने और दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण की मांग की है।
रामदेव ने एलोपैथी को करार दिया था 'बकवास विज्ञान'
21 मई को सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में रामदेव ने कहा था कि एलोपैथी 'बकवास विज्ञान' है और ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) द्वारा अनुमोदित रेमेडिसिवीर और फेविफ्लू जैसी दवाइयां कोरोना मरीजों के उपचार में पूरी तरह विफल रही है। इतना ही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि लाखों मरीजों की मौत ऑक्सीजन की जगह एलोपैथिक दवाइयों से हुई है। उन्होंने कहा कि वैक्सीन की दोनों खुराक लेने के बाद भी 1,000 डॉक्टरों की मौत हो गई।
IMA की आपत्ति के बाद रामदेव ने वापस लिया था बयान
वीडियो में रामदेव द्वारा एलोपैथी पर दिए गए बयान पर IMA ने कड़ी आपत्ति जताते हुए उनके खिलाफ मामला दर्ज कराने की चेतावनी दी थी। इसी तरह केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने भी नाराजगी जताते हुए उन्हें माफी मांगने के लिए कहा था। 23 मई को रामदेव ने ट्वीट कर अपने बयान पर खेद जताया और उसे वापस लेने की बात कही थी। हालांकि, इसके बाद उन्होंने IMA को खुला पत्र लिखकर एलोपैथी से जुड़े 25 सवालों पूछे थे।
IMA की पटना और रायपुर शाखा ने दर्ज कराया मामला
8 जून को IMA पटना ने पत्रकारनगर थाने में रामदेव के खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। इसमें उन पर एलोपैथी के प्रति लोगों के मन में भ्रम पैदा करने और डॉक्टरों की भवनाएं आहत करने का आरोप लगाया था। इसी तरह 17 जून को IMA छत्तीसगढ़ ने रायपुर में उनके खिलाफ FIR दर्ज कराई थी। इसमें भी उन पर कोरोना वायरस के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवाओं को लेकर लोगों में 'गलत जानकारी' फैलाने का आरोप लगाया था।
रामदेव के खिलाफ इन धाराओं में दर्ज हुई थी FIR
रायपुर के SSP अजय यादव ने बताया था कि रामकृष्ण यादव उर्फ बाबा रामदेव के खिलाफ भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 188, 269, 504 और महामारी अधिनियम के तहत FIR दर्ज की गई है। पुलिस इस मामले की जांच में जुटी हुई है।
रामदेव ने डॉक्टरों को बताया था भगवान के दूत
रामदेव के खिलाफ देशभर के डॉक्टरों द्वारा विरोध प्रदर्शन करने के बाद गत 11 जून को उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा 21 जून से सरकारी केंद्रों पर फ्री वैक्सीनेशन की घोषणा किए जाने का स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक बताया था। उस दौरान उन्होंने कहा था कि वह भी बहुत जल्द वैक्सीन लगवाएंगे। इसी तरह उन्होंने कहा था कि सभी अच्छे डॉक्टर्स भगवान के भेजे हुए दूत हैं और वह सभी इस पृथ्वी के लिए एक अनमोल तोहफा हैं।
मामले दर्ज होने लेकर सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंचे रामदेव
एलोपैथी विवाद में लगातार मामले दर्ज होने से रामदेव की परेशानियां बढ़ रही थी। इस पर वह बुधवार को सुप्रीम कोर्ट की शरण में पहुंच गए। सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई याचिका में उन्होंने कहा कि मामले में देशभर में उनके खिलाफ दर्ज कराई जा रही FIR पर रोक लगाई जाए। इसी तरह सभी FIR को एकसाथ करते हुए उन्हें दिल्ली स्थानांतरित कर दिया है। इतना ही उन्होंने दोनों मामलों में कार्रवाई से संरक्षण की भी मांग की है।
IMA सहित विभिन्न संगठनों ने रामदेव को जारी किए नोटिस
इससे पहले इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) और फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन रामदेव को कानूनी नोटिस थमा चुके हैं। अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ ने भी उन्हें कानूनी नोटिस भेजकर उनके बयानों पर विरोध जताया था। इसी तरह IMA उत्तराखंड ने उन्हें 1,000 करोड़ रुपये की मानहानी का नोटिस भेजा था। इसी तरह FAIMA ने भी उन्हें कानूनी नोटिस भेजकर चिकित्सकों की भावनाएं आहत करने का आरोप लगाया था।