कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत, भ्रष्टाचार के मामले पर लगी रोक
क्या है खबर?
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को आज सुप्रीम कोर्ट से एक बड़ी राहत मिली। कोर्ट ने उनके खिलाफ चल रहे भूमि आवंटन में भ्रष्टाचार के एक मामले पर रोक लगा दी है।
पिछले हफ्ते कर्नाटक हाई कोर्ट ने एक स्थानीय कोर्ट को चार्जशीट के आधार पर कार्रवाई शुरू करने का आदेश दिया था। लेकिन आज सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के इस आदेश पर रोक लगाकर येदियुरप्पा को बड़ी राहत प्रदान की।
पृष्ठभूमि
क्या है पूरा मामला?
येदियुरप्पा पर 24 एकड़ सरकारी जमीन का गैरकानूनी तरीके से निजी व्यक्तियों को आवंटन करने का आरोप है जिससे जनता को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।
इस जमीन को 2006 में कर्नाटक इंडस्ट्रियल एरिया डवलपमेंट बोर्ड ने बेंगलूरू में एक हार्डवेयर पार्क बनाने के लिए अधिग्रहित किया था, लेकिन फिर इसे डिनोटिफाई करके निजी लोगों को बेच दिया गया।
लोकायुक्त पुलिस ने जांच के बाद मामले में FIR दर्ज की थी और येदियुरप्पा के खिलाफ याचिका दायर की थी।
आरोप
लोकायुक्त ने कहा- येदियुरप्पा ने किया शक्तियों का दुरुपयोग
2012 में दाखिल की गई अपनी चार्जशीट में लोकायुक्त ने आरोप लगाया था कि येदियुरप्पा ने जमीन का सरकारी अधिग्रहण रद्द करने के लिए अपनी शक्तियों का दुरुपयोग किया।
हालांकि इस चार्जशीट के बावजूद मामले की सुनवाई कर रही एक विशेष कोर्ट ने 2016 में येदियुरप्पा के खिलाफ मामले को बंद कर दिया।
कोर्ट के इस फैसले को बेंगलुरू के ए आलम पाशा ने कर्नाटक हाई कोर्ट में चुनौती दी थी।
फैसला पलटा
हाई कोर्ट ने दिया केस खोलने का आदेश, सुप्रीम कोर्ट ने किया निरस्त
पाशा की याचिका पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट ने पिछले महीने विशेष कोर्ट को चार्जशीट में लगाए गए आरोपों का नोटिस लेने और इसके आधार पर मामले को फिर से खोलने का आदेश दिया था।
येदियुरप्पा ने हाई कोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौोती दी थी और आज उनकी याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी, यानि येदियुरप्पा के खिलाफ यह मामला अभी नहीं खोला जाएगा।
परिचय
भ्रष्टाचार के आरोपों के कारण येदियुरप्पा को देना पड़ा था इस्तीफा
बता दें कि येदियुरप्पा पर भ्रष्टाचार के अन्य कई गंभीर आरोप भी लग चुके हैं और इन आरोपों के कारण जुलाई, 2011 में उन्हें मुख्यमंत्री के पद से इस्तीफा देना पड़ा था।
इस साल के अंत में उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था और वह लगभग तीन हफ्ते जेल में रहे थे।
दिसंबर, 2012 में वह भाजपा से अलग भी हो गए थे और एक अलग पार्टी बना ली थी। हालांकि बाद में वह पार्टी में वापस आए गए।