#NewsBytesExplainer: इजरायल के खिलाफ दर्ज नरसंहार का मामला क्या है, जिसमें अंतरराष्ट्रीय न्यायालय करेगा सुनवाई?
इजरायल-हमास युद्ध 3 महीने से जारी है। इस बीच दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल पर युद्ध में नरसंहार का आरोप लगाते हुए अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में एक मुकदमा दायर किया है। ICJ में दायर मुकदमे में दक्षिण अफ्रीका ने गाजा में इजरायल के सैन्य अभियान पर तुरंत रोक लगाने की मांग की है। न्यायालय इस हफ्ते मामले पर सुनवाई शुरू कर सकता है। आइए जानते हैं कि अतंरराष्ट्रीय न्यायालय में इजरायल के खिलाफ नरसंहार का ये मामला क्या है।
सबसे पहले जानें क्या है अंतरराष्ट्रीय न्यायालय
ICJ को विश्व न्यायालय के नाम से भी जाना जाता है। ये संयुक्त राष्ट्र (UN) की सर्वोच्च कानूनी संस्था है, जिसे देशों के बीच विवादों से निपटने के लिए 1945 में स्थापित किया गया था। दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल पर 1948 की नरसंहार संधि के तहत तय उसके दायित्वों का उल्लंघन करने का आरोप लगाया है। दक्षिण अफ्रीका और इजरायल दोनों ही देश इस संधि के हस्ताक्षरकर्ता हैं। मामले पर 11 और 12 जनवरी को सुनवाई होनी है।
दक्षिण अफ्रीका ने इजरायल के खिलाफ दायर मुकदमे में क्या कहा?
दक्षिण अफ्रीका ने अपने मुकदमे में कहा है कि इजरायल हमास के खिलाफ युद्ध में फिलिस्तीनी नागरिकों को शारीरिक और मानसिक रूप से गंभीर नुकसान पहुंचा रहा है। उसका आरोप है कि इजरायल की बमबारी में सैंकड़ों नागरिक मारे गए हैं और 19 लाख नागरिकों को विस्थापित होना पड़ा है। इसके लिए इजरायल जिम्मेदार है और ये नरसंहार संधि का खुला उल्लंघन है। उसने कहा कि इजरायल अपनी सेना को नरसंहार करने रोकने में विफल रहा है।
दक्षिण अफ्रीफा का युद्ध से नहीं है कोई संबंध
सबसे खास बात ये है कि नरसंहार संधि उल्लंघन से जुड़ा मामला फिलिस्तीनी क्षेत्र का है। फिलिस्तीन UN का सदस्य भी नहीं है। ICJ में दक्षिण अफ्रीका ने मुकदमा दायर किया है और उसे युद्ध से कोई प्रत्यक्ष नुकसान नहीं हो रहा है।
इजरायल ने दक्षिण अफ्रीका के आरोपों पर क्या कहा?
दक्षिण अफ्रीका के आरोपों को इजरायल ने बेतुका बताया है। इजरायली सरकार ने कहा कि वह युद्ध के दौरान गाजा में नागरिक को बचाने का हरसंभव प्रयास कर रही है और उसकी लड़ाई फिलिस्तीन आतंकी संगठन हमास को खत्म करने की है। इजरायली राष्ट्रपति इसहाक हर्जोग ने कहा, "हम अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में मौजूद रहेंगे और अंतरराष्ट्रीय मानवीय कानून के तहत हमले के बाद अपनी आत्मरक्षा के अधिकार का उपयोग करने को गर्व से पेश करेंगे।"
ICJ में सुनवाई के दौरान क्या होगा?
दक्षिण अफ्रीका और इजरायल को मामले में अपना पक्ष रखने के लिए अलग-अलग दिन 2-2 घंटे का समय दिया जाएगा। इस दौरान ICJ में कोई गवाही नहीं होगी और न ही कोई जिरह होगी। मतलब ये है कि न्यायालय में दोनो पक्षों की ओर से कानूनी दलीलें दी जाएंगी। ये ICJ में आपातकालीन उपायों के लिए किसी भी अनुरोध का पहला चरण होता है। इसमें देखा जाएगा कि मामला प्रथमदृष्टया नरसंहार और ICJ के दायरे में आता है या नहीं।
प्रारंभिक सुनवाई के बाद क्या होगा?
न्यायालय प्रथमदृष्टया देखेगा कि मामला उसके अधिकार क्षेत्र में आता है या नहीं। अगर उसे ऐसा लगेगा तो हेग स्थित कार्यालय में मामले की सुनवाई होगी। यहां भी इजरायल आपत्ति दायर कराकर ये कह सकता है कि अफ्रीका के आरोपों पर सुनवाई करने का कोई कानूनी आधार नहीं है। अगर न्यायालय इजरायल की इस आपत्ति को भी खारिज कर देता है, तब मामले की वास्तविक, विस्तृत और सार्वजनिक सुनवाई शुरू होगी और इसमें समय लगेगा।
कब तक आ सकता है फैसला?
ICJ को निर्णय देने में कई साल भी लग सकते हैं क्योंकि ये आदेश अंतिम होते हैं। इसका मतलब कि बाद में कोई भी पक्ष फिर से अपील नहीं कर सकता। ICJ द्वारा आपातकालीन उपाय प्रदान करने के मामले में आम तौर पर दोनों पक्षों से ऐसी किसी भी कार्रवाई से बचने के लिए कहा जाता है, जो कानूनी विवाद को और बढ़ा सकती है। हालांकि, न्यायालय के आदेश को लागू करवाने का कोई तरीका नहीं होता है।
न्यूजबाइट्स प्लस
बीते 7 अक्टूबर से इजरायल और हमास के बीच युद्ध जारी है। हमास के शुरुआती हमले में इजरायल में लगभग 1,140 लोगों की मौत हो गई थी। इसके बाद से इजरायली बल गाजा में लगातार हमले कर रहे हैं। गाजा स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, युद्ध में अब तक कम से कम 23,000 से अधिक लोग मारे गए हैं, जिनमें अधिकांश महिलाएं और बच्चे शामिल हैं। युद्ध के चलते पूरे गाजा क्षेत्र में अब भुखमरी के हालात बन गए हैं।