#NewsBytesExplainer: फिल्म की शूटिंग से पहले क्या होता है? जानिए पर्दे के पीछे की तैयारी
हर हफ्ते सिनेमाघरों या OTT पर कोई न कोई नई फिल्म रिलीज होती है। अब भले ही आप एक फिल्म का 2 या 3 घंटे में पूरा देख लेते हैं, लेकिन कई महीनों और सालों की मेहनत से एक फिल्म बनकर तैयार होती है। क्या कभी सोचा कि पर्दे के पीछे कितना काम होता है और आखिरकार किन-किन प्रक्रियाओं से गुजरकर फिल्म पर्दे पर आती है। आइए विस्तार से जानें कि शूटिंग से पहले क्या तैयारी करनी पड़ती है।
कहानी और स्क्रिप्टिंग
शुरुआत कहानी से ही करते हैं, जिसके बारे में सोचकर ही निर्माता या निर्देशक फिल्म बनाने पर विचार करता है, लेकिन उस कहानी को लिख लेना बहुत जरूरी है। सबसे पहले उसे कागज पर सिलसिलेवार ढंग से उतारा जाता है। कहानी तैयार हो जाने के बाद स्क्रिप्ट लिखनी होती है। स्क्रिप्ट का मतलब है कहानी को सीन-दर-सीन लिख लेना यानी जब आपकी फिल्म स्क्रीन पर आएगी तो कैसे दिखेगी। पहले कौन-सा सीन होगा, उसके बाद कौन-सा।
टीम का चयन
अब जैसे करण जौहर ने अपनी फिल्म 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' का निर्देशन खुद किया, लेकिन अगर कमान उनके हाथ में नहीं होती तो इसके लिए उन्हें किसी और निर्देशक का चुनाव करना पड़ता, वहीं अभिनय से लेकर मेकअप, कॉस्ट्यूम, सेट डिजाइन, लाइटिंग कैमरा, एडिटिंग और संगीत विभाग तक में लोगों का चयन करने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की होती। काबिलियत, कहानी और किरदार के मुताबिक किसी भी फिल्म के लिए टीम का चयन होता है।
शूटिंग लोकेशन पर फैसला
एग्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर को शूटिंग शुरू होने से पहले स्क्रिप्ट मिलती है, जिसके मुताबिक शूटिंग लोकेशन खोजी जाती है। इसमें काफी वक्त लगता है, क्योंकि अलग-अलग शहरों में जाकर लोकेशन तलाशनी पड़ती है। 3-4 जगह चुनने के बाद वे निर्देशक को लोकेशन के बारे में बताते हैं। फिर टीम उसे देखने जाती है। जो लोकेशन सबको पसंद आ जाती है, उसे फाइनल किया जाता है। हालांकि, कुछ लोकेशन बजट के मुताबिक फिट नहीं बैठतीं। ऐसे में दूसरा विकल्प खोजना पड़ता है।
सेट के लिए तैयारी
फिल्म का सीन भले ही 2 या 3 मिनट का हो, लेकिन उसका सेट तैयार करने में कई दिन लग जाते हैं। हालांकि, कुछ फिल्मों की शूटिंग असल जगहों पर होती है, लेकिन अमूमन सेट पर ही फिल्में शूट होती हैं। सेट बनाने से पहले पूरी योजना बनानी पड़ती है। लोकेशन पर शूटिंग से जुड़ी सभी चीजों का इंतजाम होता है । वैनिटी वैन पहुंचाने से लेकर जनरेटर तक का सारा इंतजाम प्रोडक्शन टीम को करना पड़ता है।
सभी जरूरी उपकरणों का इंतजाम
सीन के हिसाब से पूरे सेट की डिजाइनिंग होती है। लोकेशन की तरह ही शूट के हिसाब से जिन गाड़ियों की जरूरत होती है, पहले उनको निर्देशक के साथ मिलकर शाॅर्ट लिस्ट किया जाता है। फिर जिन विक्रेताओं के पास वैसी गाड़ियों का कलेक्शन होता है, उनसे वो गाड़ियां ली जाती हैं। शूट के लिए बाहर से बुलाए गए लोगों के लिए अलग से टेंट लगाए जाते हैं। कैमरे से लेकर सभी जरूरी उपकरण सेट पर पहुंचाए जाते हैं।
कॉस्ट्यूम का काम
शूटिंग लोकेशन में कॉस्ट्यूम को रखने का इंतजाम भी होता है। सीन के हिसाब से शूट शुरू होने से पहले कलाकारों के कपड़े प्रेस कर सुरक्षित जगह पर रखे जाते हैं। सितारों की एक्सेसरीज रखने के लिए भी बड़ी जगह का बंदोबस्त किया जाता है।
खतरों से बचने के पुख्ता इंतजाम
खतरे से बचने के लिए सेट पर एम्बुलेंस और डॉक्टर की व्यवस्था होती है। शूटिंग शुरू करने से पहले फायर मार्शल रखे जाते हैं ताकि अगर सेट पर आग लग जाए तो पूरी सहजता से उस पर काबू पाया जा सके। इसके अलावा जिस जगह पर शूटिंग हो रही होती है, वहां के नजदीकी अस्पताल और फायर ब्रिगेड की जानकारी रखते हैं। साथ ही सेट पर इमरजेंसी के लिए एम्बुलेंस और डॉक्टर की सुविधा भी होती है।
न्यूजबाइट्स प्लस
जिस लोकेशन पर शूटिंग होती है, उसके लिए कानूनी अनुमति लेनी पड़ती है। BMC, PWD और पुलिस की इजाजत इसमें शामिल होती है। शूटिंग लोकेशन के जो प्रोटोकॉल होते हैं, उनका पालन करना होता है। सेट और उसके आसपास की सफाई भी करनी पड़ती है।