
पाकिस्तानी ड्रोन से मुकाबले के लिए स्वर्ण मंदिर में हथियार तैनाती की मिली थी मंजूरी- सेना
क्या है खबर?
भारतीय सेना के वायु रक्षा प्रमुख का कहना है कि जब पाकिस्तान ड्रोन हमले कर रहा था तब सेना को अमृतसर के स्वर्ण मंदिर ने उनका मुकाबला करने के लिए हथियार तैनात करने की दुर्लभ अनुमति मिली थी।
वायु रक्षा महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल सुमेर इवान डी कुन्हा ने समाचार एजेंसी ANI के पॉडकास्ट में यह खुलासा किया।
उन्होंने बताया कि 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद पाकिस्तान ने अमृतसर में कई ड्रोन और मिसाइल हमले किए थे, जिन्हें नाकाम किया गया था।
हमला
क्या बोले सैन्य अधिकारी डी कुन्हा?
डी कुन्हा ने कहा, "यह बहुत अच्छा था कि स्वर्ण मंदिर के मुख्य ग्रंथी ने हमें बंदूकें तैनात करने की अनुमति दी। संभवतः कई वर्षों में यह पहली बार हुआ कि उन्होंने स्वर्ण मंदिर की लाइटें बंद कर दीं, ताकि हम ड्रोन को आते देखें। जब मंदिर के पदाधिकारियों को बात समझाई गई, तो उन्हें संभावित खतरे का एहसास हुआ और हमें अंतरराष्ट्रीय ख्याति वाले राष्ट्रीय युद्ध स्मारक की सुरक्षा और संरक्षा के लिए हथियार तैनात करने की अनुमति दी।"
निशाना
पाकिस्तान के पास कोई वैध लक्ष्य नहीं था
महानिदेशक ने पाकिस्तान सेना द्वारा स्वर्ण मंदिर को निशाना बनाने वाली बात पर कहा, "सौभाग्य से हमने अनुमान लगाया कि वे (पाकिस्तान) क्या करने में सक्षम हैं। यह महसूस करते हुए कि वे हमें निशाना बनाएंगे, क्योंकि सीमा पार उनके पास कोई वैध लक्ष्य नहीं था। वे आंतरिक रूप से भ्रम और अराजकता पैदा करने में अधिक रुचि रखते थे और इसलिए हमने अनुमान लगाया कि वे हमारी नागरिक आबादी और हमारे धार्मिक स्थलों को निशाना बनाएंगे।"
बयान
सैन्य अधिकारी ने बताई भारतीय हथियारों की ताकत
डी कुन्हा ने पॉडकास्ट में भारतीय हथियारों की ताकत का जिक्र करते हुए कहा था कि हमारे हथियार इतने सक्षम हैं कि पूरा पाकिस्तान उनकी रेंज में हैं।
बता दें, स्वर्ण मंदिर में हथियारों की तैनाती को इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय 'ऑपरेशन ब्लूस्टार' का काफी विरोध हुआ था।
'ऑपरेशन ब्लूस्टार' के तहत स्वर्ण मंदिर में छिपे खालिस्तान समर्थक जरनैल सिंह भिंडरावाले को सैन्य अभियान चलाकर मारा गया था।