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    पंजाब: सिख धर्म में 'बेअदबी' क्या है और इसके सबसे बड़े मामले कौन से हैं?
    पंजाब: सिख धर्म में 'बेअदबी' क्या है और इसके सबसे बड़े मामले कौन से हैं?

    पंजाब: सिख धर्म में 'बेअदबी' क्या है और इसके सबसे बड़े मामले कौन से हैं?

    लेखन मुकुल तोमर
    Dec 19, 2021
    07:56 pm

    क्या है खबर?

    24 घंटे के अंदर सिख धर्म के पवित्र ग्रंथों की बेअदबी के दो मामलों और दोनों मामलों में ही आरोपियों की लिंचिंग ने पंजाब की राजनीति में उबाल ला दिया है।

    इस बेहद संवेदनशील मुद्दे पर राजनेता फूंक-फूंक कर कदम रख रहे हैं और अभी तक किसी ने भी लिंचिंग की आलोचना तक नहीं की है।

    आइए आपको समझाते हैं कि सिख धर्म में किसे बेअदबी माना गया है और हालिया मामलों का राजनीति पर क्या असर हो सकता है।

    बेअदबी

    सिख धर्म में क्या है बेअदबी?

    सिख धर्म में आखिरी गुरू गुरू गोविंद सिंह के बाद गुरू ग्रंथ साहिब को ही जीवित गुरू माना गया है और इसलिए इससे संबंधित हर चीज पवित्र है।

    चूंकि ग्रंथ को जीवित गुरू माना गया है, इसलिए इसके प्रति असम्मान को सिख बेहद गंभीर बेअदबी मानते हैं और ये मुगलों द्वारा सिख गुरुओं के अपमान के बराबर ही है।

    सेवा में उपयोगी होने वाली चीजों, पगड़ी, कृपाण, रीतियों और धार्मिक इतिहास के प्रति असम्मान को भी बेअदबी माना जाता है।

    आंकड़े

    पंजाब में बेअदबी के कितने मामले?

    पंजाब में बेअदबी के सबसे अधिक मामले सामने आते हैं।

    2018 में राज्य में प्रति 10 लाख जनसंख्या पर बेअदबी के 0.7 मामले सामने आए, वहीं अन्य राज्यों में ये आंकड़ा 0.1 से 0.4 के बीच रहा। 2019 में पंजाब में 0.6 मामले सामने आए, वहीं 2020 में यह आंकड़ा 0.5 रहा। इन तीनों साल पंजाब इस मामले में शीर्ष पर रहा।

    राज्य में 2017 से 2020 के बीच बेअदबी के कुल 721 मामले सामने आ चुके हैं।

    सजा

    आरोपियों के साथ क्या होता है?

    अधिकांश मामलों में आरोपियों को "पागल" करार देकर छोड़ दिया जाता है और इसे लेकर सिखों के कई वर्गों में नाराजगी है। सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त भी इस मामले को उठा चुकी है और सरकार पर सवाल खड़े किए हैं।

    अगर आरोपियों को दोषी करार भी दिया जाता है तो उन पर भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 295 और 295A लगती हैं जिनमें अधिकतम तीन साल की सजा का प्रावधान हैं।

    सिख इसे अपर्याप्त मानते हैं।

    प्रयास

    क्या कड़े कानून बनाने के प्रयास नहीं किए गए?

    बेअदबी के मामलों को रोकने के लिए 2015 में भाजपा-अकाली दल की पंजाब सरकार ने विधेयक पारित किया था जिसमें IPC में नई 295AA धारा जोड़कर गुरु ग्रंथ साहिब का अपमान करने पर आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया था। हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे ये कहकर लौटा दिया कि ये संविधान की धर्मनिरपेक्ष भावना के खिलाफ है।

    2018 में कांग्रेस सरकार ने भी सभी धर्मों के लिए ऐसा विधेयक पारित किया, लेकिन इसे कभी लागू नहीं किया गया।

    बड़े मामले

    सिख धर्म के पवित्र प्रतीकों की बेअदबी के सबसे बड़े मामले कौन से हैं?

    आधुनिक इतिहास में 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' को बेअदबी का सबसे बड़ा मामला माना जाता है। इसमें सुरक्षाबलों ने स्वर्ण मंदिर के अंदर घुसकर खालिस्तानी जरनैल सिंह भिंडरांवाले को मारा था।

    1951 में संत निरंकारियों के प्रमुख सतगुरू अवतार सिंह को खुद को सिख धर्म का अगला गुरू घोषित करने के बाद इस समूह को भी बेअदबी का दोषी माना गया था।

    गुरू गोविंद सिंह जैसी पोशाक पहनने के कारण गुरमीत राम रहीम को भी बेअदबी का दोषी माना जाता है।

    असर

    मौजूदा मामलों का राजनीति पर क्या असर हो सकता है?

    स्वर्ण मंदिर और कपूरथला में बेअदबी की कोशिश और आरोपियों की लिंचिंग के मामले ऐसे समय पर आए हैं जब राज्य में चंद महीने बाद ही विधानसभा चुनाव होने हैं।

    चूंकि राज्य में बेअदबी एक बड़ा मुद्दा है, इसलिए सभी राजनीतिक दलों ने बेअदबी की निंदा की है।

    हालांकि लिंचिंग पर किसी ने कुछ खास नहीं कहा क्योंकि सिख समुदाय इसे गलत तरीके से ले सकता है और बयान देने वाली पार्टी को बड़ा चुनावी नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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