कोरोना वायरस महामारी के बीच अफ्रीकन स्वाइन फ्लू का कहर, हजारों सुअरों की हुई मौत
क्या है खबर?
पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है। सरकार इस पर काबू पाने के लिए जी-जान से जुटी हुई है।
इसी बीच एक और बीमारी ने पनपना शुरू कर दिया है और असम में इसके मामले भी सामने आ चुके हैं।
इस बीमारी का नाम है अफ्रीकन स्वाइन फ्लू। असम में अब तक इस बीमारी से 306 गांवों में लगभग 2,800 सुअरों की मौत हो चुकी है। इस बीमारी के भी चीन से आने की आशंका जताई जा रही है।
विवरण
किसानों ने किया दो सप्ताह में ही 30,000 सुअरों की मौत का दावा
द प्रिंट की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि राज्य के 306 गांवों में घरेलू सुअरों की मौत हुई है।
हालांकि, ग्रामीण सरकार द्वारा बताए गए आंकड़ों से इत्तेफाक नहीं रखते हैं।
किसानों का दावा है कि पिछले दो सप्ताह में ही 30,000 से अधिक सुअरों की मौत हुई है।
असम में करीब 20 लाख सुअर हैं और यह राज्य पूर्वोत्तर में 8,000 करोड़ रुपये के सुअर के मांस का व्यापार करता है।
फ्लू
क्या है अफ्रीकन स्वाइन फ्लू और यह कैसे फैलता है?
अफ्रीकन स्वाइन फ्लू एक अत्यधिक संक्रामक रक्तस्रावी वायरल है। यह आमतौर पर एशिया, यूरोप और अफ्रीका जैसे क्षेत्रों में पाया जाता है।
यह बीमारी सबसे पहले 1921 में केन्या में सामने आई थी।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार यह बीमारी अस्फार्विराडाई फैमिली का एक बड़े DNA वायरस के कारण फैलती है।
यह संक्रमित सुअर के संपर्क में आने से अन्य सुअरों में फैलती है। यह वायरस सूर्य की रोशनी नहीं सह सकता है।
जानकारी
अफ्रीकन स्वाइन फ्लू होने पर नजर आते हैं यह लक्षण
अफ्रीकन स्वाइन फ्लू होने पर वजन कम होना, रुक-रुक कर बुखार आना, सांस की तकलीफ, अल्सर और गठिया की शिकायत होती हैं। गंभीर मामलों में तेज बुखार, एनोरेक्सिया और त्वचा में खून बहता है। इसकी मृत्यु दर 30-70% के बीच है।
प्रकोप
पिछले साल चीन में हुई 10 करोड़ सुअरों की मौत
चीन पिछले साल दिसंबर में कोरोना वायरस महामारी के सामने आने से पहले अप्रैल में अफ्रीकन स्वाइन फ्लू से ही जूझ रहा था।
इसका पहला मामला शिजांग प्रांत में सामने आया था। बाद में यह फिलीपींस, वियतनाम, पूर्वी तिमोर और दक्षिण कोरिया जैसे देशों में पहुंच गया था। चीन में इस बीमारी का गंभीर रूप देखने को मिला था।
यही कारण था कि पिछले साल पूरे चीन में इस बीमारी से 10 करोड़ से अधिक सुअरों की मौत हुई थी।
छिपाना
चीन ने कोरोना वायरस की तरह अफ्रीकन स्वाइन फ्लू की गंभीरता को भी छिपाया
रायटर्स की रिपोर्ट के अनुसार पशु चिकित्सकों और उद्योग विश्लेषकों ने चीन पर कोरोना वायरस की तरह ही इस बीमारी भी छिपाने का आरोप लगाया गया है।
उनके अनुसार अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के चीन में पैर पसारने के बाद सरकार ने संक्रमित सुअरों को मारना शुरू कर दिया था।
इसके लिए किसानों को मुआवजा भी नहीं दिया गया। यही कारण रहा कि यह बीमारी धीरे-धीरे चीन से निकलते हुए अन्य देशों तक पहुंच गई।
आशंका
ब्रह्मपुत्र नदी में तैरते मिले थे 26 सुअरों के शव
असम से अफ्रीकन स्वाइन फ्लू के कई मामले सामने आने के बाद अधिकारी सूअरों को बचाने में जुटे हुए हैं। काफी समय पहले ब्रह्मपुत्र नदी में 26 सुअरों के शव तैरते मिले थे।
उस दौरान पानी के भी संक्रमित होने का डर बढ़ गया था।
मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल ने पशु चिकित्सा और वन विभाग के अधिकारियों को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के राष्ट्रीय सुअर अनुसंधान केंद्र के साथ मिलकर कार्ययोजना तैयार करने को कहा है।
प्रयास
राज्य सरकार सुअरों को बचाने के लिए बना रही योजना
अफ्रीकन स्वाइन फ्लू का मामला सामने आने के बाद केंद्र सरकार ने सुअरों को मारने के लिए कहा है, लेकिन राज्य सरकार उन्हें बचाने के विकल्प तलाश रही है।
पशुपालन मंत्री अतुल बोरा ने बताया कि उन्होंने सुअरों को बिना मारे ही बचाने के लिए विशेषज्ञों से चर्चा की है।
बीमारी से प्रभावित सूअरों की मृत्यु का प्रतिशत लगभग 100% है। इसलिए बीमारी से बचे हुए सुअरों को बचाने के लिए रणनीति बनाई जा रही है।
व्यापार
दूसरे जिलों में नहीं भेजे जाएंगे सुअर- बोरा
पशुपालन मंत्री बोरा ने बताया कि गुवाहाटी की तीन लैब्स में टेस्टिंग की जाएगी, लेकिन यह काफी नहीं होगा। इस वायरस का संक्रमण सुअर के मांस, लार, खून और टिश्यू से फैलता है।
ऐसे में एक से दूसरे जिले में सूअरों का ट्रांसपोर्टेशन नहीं किया जाएगा। राज्य से सूअरों की आवाजाही रोकने के लिए कदम उठाए जाएंगे।
पड़ोसी राज्यों से भी अपील की है कि सुअरों का मूवमेंट रोकने के इंतजाम करें। वह संक्रमित सुअरों की पहचान कर रहे हैं।