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पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस का 88 साल की उम्र में निधन

पूर्व रक्षा मंत्री जॉर्ज फर्नांडीस का 88 साल की उम्र में निधन

Jan 29, 2019
10:46 am

क्या है खबर?

देश के पूर्व रक्षा मंत्री और समता पार्टी के संस्थापक जॉर्ज फर्नांडीस का लंबी बीमारी के बाद 88 साल की उम्र में निधन हो गया है। उन्होंने आज सुबह दिल्ली में अंतिम सांस ली। वे पिछले कई दिनों से स्वाइन फ्लू से पीड़ित थे। वे पिछले काफी समय से बीमारी के कारण सार्वजनिक जीवन से दूर थे। उन्हें रक्षा क्षेत्र में उठाए गए उनके साहसिक फैसलों के कारण याद किया जाता है।

जानकारी

जॉर्ज फर्नांडिस ने की थी रेलवे स्ट्राइक

जॉर्ज फर्नांडिस 1974 में ऑल इंडिया रेलवेमैन फेडरेशन के प्रमुख थे। तब उन्होंने ऐतिहासिक रेलवे स्ट्राइक की थी जिसने सरकार को काफी परेशान किया था। इसके अलावा उन्होंने आपातकाल का भी मुखरता से विरोध किया था।

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परिचय

10 भाषाओं के जानकार थे जॉर्ज

जॉर्ज फर्नांडीस का जन्म 3 जून, 1930 को मैंगलोर में हुआ था। वे अपने 6 भाई-बहनों में सबसे बड़े थे। उनकी मां किंग जॉर्ज-V की प्रशंसक थी, इसलिए उन्होंने अपने सबसे बड़े बेटे का नाम जॉर्ज रखा था। 16 साल की उम्र में उन्हें धार्मिक शिक्षा लेने के लिए चर्च भेजा गया था, लेकिन वहां उनका मन नहीं लगा। जॉर्ज हिंदी, अंग्रेजी, मराठी, कन्नड़, उर्दू समेत 10 भाषाओं के जानकार थे। वे अपने जीवनकाल में नौ बार लोकसभा सांसद रहे।

पहचान

विद्रोही नेता के तौर पर रही पहचान

जॉर्ज फर्नांडिस की शुरुआती छवि एक मुखर विद्रोही नेता की थी। 50 के दशक में वह टैक्सी चालकों के आंदोलनों के बड़े तेज-तर्रार नेता बनकर उभरे। उन्हें बड़ी पहचान साल 1974 की हड़ताल से मिली थी। 8 मई, 1974 को उनके नेतृत्व में देशव्यापी रेल हड़ताल का ऐलान किया गया था। इस हड़ताल को असफल बनाने के लिए तत्कालीन इंदिरा सरकार ने काफी सख्ती दिखाई थी। इस हड़ताल से जॉर्ज को देशभर में पहचान मिली।

जानकारी

जेल में कैदियों को सुनाते थे गीता के श्लोक

आपातकाल के दौरान जॉर्ज ने गिरफ्तारी से बचने के लिए सिख का भेष धारण किया था। जार्ज पगड़ी बांध और दाढ़ी रख कर घूमा करते थे। कुछ समय बाद उन्होंने गिरफ्तारी दी। जेल में वे कैदियों को गीता के श्लोक सुनाया करते थे।

राजनीति

जेल से ही जीते थे रिकॉर्ड मतों से चुनाव

फर्नांडिस ने 1977 में जेल में रहते हुए मुजफ्फरपुर लोकसभा चुनाव रिकॉर्ड वोटों से जीता था। चुनाव जीतने के बाद वे जनता पार्टी की सरकार में उद्योग मंत्री बने, लेकिन जल्द ही जनता पार्टी टूट गई। इसके बाद उन्होंने समता पार्टी बनाई और भाजपा के करीब होते चले गए। वाजपेयी सरकार में परमाणु परीक्षण के वक्त वह रक्षा मंत्री थे। अपने लंबे राजनीतिक करियर में उन्होंने रक्षा, उद्योग और रेल मंत्रालय आदि का जिम्मा संभाला।

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