एक बार भारतीय घोषित व्यक्ति को विदेशी न्यायाधिकरण दोबारा नहीं बता सकता विदेशी- असम हाई कोर्ट
असम के गुवाहाटी हाई कोर्ट में विदेशी न्यायाधिकरण (FT) के बाद भारतीय घोषित करने के बाद दोबारा विदेशी घोषित से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई हुई। इसमें हाई कोर्ट ने कहा FT द्वारा एक बार भारतीय घोषित करने के बाद संबंधित व्यक्ति को दोबारा से विदेशी घोषित नहीं किया जा सकता है और न ही उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। इसके साथ ही हाई कोर्ट ने डिटेंशन सेंटरों बंद ऐसे लोगों को रिहा करने का आदेश दिया है।
दोबारा विदेशी घोषित करने पर 12 लोगों ने दायर की थी याचिका
बता दें कि असम में नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटीजन्स (NRC) सूची को अपडेट करने के बाद FT ने कई ऐसे लोगों को विदेशी घोषित कर दिया था, जिन्हें वह पहले भारतीय घोषित कर चुका था। इसके बाद उन सभी लोगों को डिटेंशन सेंटरों में रखा जा रहा है और वह नागरिकता को लेकर मुकदमा लड़ रहे हैं। इनमें से 12 लोगों ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर FT पर 'रेस ज्यूडिकाटा' के सिद्धांत के उल्लंघन का आरोप लगाया था।
न्यूजबाइट्स प्लस (फैक्ट)
बता दें कि 'रेस ज्यूडिकाटा' के सिद्धांत में किसी विषय पर अंतिम निर्णय के बाद उस मामले से संबंधित पक्ष उसे दोबारा नहीं उठा सकते हैं। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि FT में उनके खिलाफ दूसरी कार्रवाई इस सिद्धांत के खिलाफ है।
FT पर भी लागू होता है 'रेस ज्यूडिकाटा' का सिद्धांत- हाई कोर्ट
हाई कोर्ट के जस्टिस एन कोटिसवारा सिंह और जस्टिस मालाश्री नंदी की खंडपीठ ने सभी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कहा कि 'रेस ज्यूडिकाटा' का सिद्धांत राज्य में संचालित सभी FT पर भी लागू होता है। ऐसे में FT किसी व्यक्ति को भारतीय नागरिक घोषित करने के बाद फिर से उसे विदेशी घोषित नहीं कर सकता है और न ही दोबारा मुकदमा चलाया जा सकता है। कोर्ट ने कहा सभी याचिकाएं 'रेस ज्यूडिकाटा' के सिद्धांत की अवहेलना से जुड़ी है।
हाई कोर्ट ने दिए अहम निर्देश
हाई कोर्ट ने कहा जब भी कोई याचिकाकर्ता इस आधार पर 'रेस ज्यूडिकाटा' की प्रासंगिकता का मुद्दा उठाता है तो न्यायाधिकरण को पहले यह निर्धारित करना होगा कि याचिकाकर्ता वही व्यक्ति है या नहीं, जिस पर पहले के मामले में सुनवाई की गई थी। कोर्ट ने कहा इसके लिए मौखिक दस्तावेजों और सबूतों की जांच की जा सकती है। इसके बाद यदि FT को लगता है कि याचिका उसकी व्यक्ति से संबंधित है तो उसमें सुनवाई की जरूरत नहीं है।
कैसे बंद की जाएगी बाद की कार्यवाही?
हाई कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि 'रेस ज्यूडिकाटा' की प्रासंगिकता की दलील पर बाद की कार्यवाही बिना किसी जांच के पहले की इस राय के आधार पर बंद कर दी जाएगी कि वह व्यक्ति विदेशी नहीं था। हाई कोर्ट का यह आदेश दिसंबर 2021 में गुवाहाटी उच्च न्यायालय द्वारा पारित इसी तरह के एक फैसले की पुनरावृत्ति है। हाई कोर्ट ने पाया था कि FT ने सुनवाई में 'रेस ज्यूडिकाटा' के सिद्धांत का पालन नहीं किया है।
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
बता दें कि 29 मार्च को असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा ने विधानसभा में बताया था कि FT द्वारा विदेशी घोषित लोगों को हिरासत में रखने के लिए राज्य में छह डिटेंशन सेंटर संचालित हैं। वर्तमान में इनमें 185 घोषित विदेशियों को रखा जा रहा है, जबकि 1,047 जमानत पर हैं। उन्होंने यह भी बताया था कि साल 2016 से 2022 तक इन सेंटरों में गंभीर बीमारियों से जूझने के कारण 31 घोषित विदेशियों की मौत हुई है।