मेघालय में इन दिनों हिंसा क्यों भड़की हुई है और इसकी शुरुआत कैसे हुई?
मेघालय में एक पूर्व उग्रवादी नेता की पुलिस एनकाउंटर में मौत के बाद हुई हिंसा से उपजे तनाव के बीच राजधानी शिलांग और आसपास के इलाकों में कर्फ्यू जारी है और कई जगहों पर इंटरनेट बंद है। मंगलवार को राज्यपाल के काफिले में शामिल गाड़ियों पर कुछ उपद्रवियों ने पत्थरबाजी की। इस बीच राज्य के गृह मंत्री का इस्तीफा भी हो चुका है। आइये, जानते हैं कि मेघालय में ऐसे हालात क्यों बने हुए हैं।
कहां से शुरू हुआ मामला?
बीते शुक्रवार को मेघालय पुलिस ने प्रतिबंधित हाइनीवट्रेप नेशनल लिबरेशन काउंसिल (HNLC) के पूर्व महासचिव चेरिस्टरफील्ड थांगखियू के घर पर छापेमारी की थी। पुलिस का कहना है कि थांगखियू ने चाकू से हमले की कोशिश की, जिसके बाद जवाबी फायरिंग में उसकी मौत हो गई, जबकि परिवार का कहना है कि उसकी 'नृशंस हत्या' की गई है। 58 वर्षीय थांगखियू खासी जनजाति समुदाय से जुड़ा हुआ था और उसने 2018 में HNCL से अलग होकर सरेंडर कर दिया था।
परिवार बोला- मारने के इरादे से आई थी पुलिस
पुलिस का दावा है कि पिछले सप्ताह शिलांग में हुए IED धमाके में थांगखियू की भूमिका थी। अधिकारियों ने बताया कि पुलिस ने पर्याप्त सबूतों के साथ अभियान शुरू किया था। जब पुलिस ने उसके घर के भीतर जाने का प्रयास किया तो उसने भागने की कोशिश में पुलिसकर्मियों पर चाकू से हमला किया था। जवाब में पुलिस की गोली से उसकी मौत हो गई। हालांकि, उसके परिवार का कहना है कि पुलिस मारने के इरादे से ही आई थी।
रविवार को प्रदर्शनों ने लिया बड़ा रूप
थांगखियू की मौत की जानकारी सामने आने के बाद स्थानीय लोगों ने विरोध शुरू कर दिया और हाइनीवट्रेप यूथ काउंसिल' नामक संगठन ने शिलांग में बैनर लगाकर न्याय की मांग की। सैकड़ों की संख्या में लोगों ने थांगखियू के अंतिम संस्कार में भाग लिया और पुलिस के खिलाफ नारेबाजी की। रविवार आते-आते प्रदर्शन ने बड़ा रूप ले लिया और कई जगहों पर आगजनी, पत्थरबाजी और तोड़फोड़ जैसी घटनाएं होने लगी। कुछ उपद्रवियों ने पुलिस के हथियार भी लूट लिए।
मुख्यमंत्री के आवास पर फेंके गए पेट्रोल बम
रविवार रात को अज्ञात लोगों ने शिलांग के थर्ड माइल स्थित मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा के निजी आवास पर पेट्रोल बम फेंके। राहत की बात यह है कि इस घटना में कोई हताहत नहीं हुआ था। इंडियन एक्सप्रेस ने सरकारी सूत्रों के हवाले से लिखा कि उपद्रवियों ने पुलिस द्वारा इस्तेमाल की जा रही एक SUV को आग के हवाले कर दिया। भीड़ से घिरने के बाद इसमें सवार पुलिसकर्मी अपनी जान बचाकर भाग गए थे।
लोगों के विरोध का कारण क्या है?
BBC से बात करते हुए एक स्थानीय नागरिक ने कहा कि थांगखियू खासी समुदाय से आने वाला ऐसा नेता था, जिसने सरकार के सामने सरेंडर किया था। वह 58 साल का था और कुछ हफ्तों से बीमार चल रहा था। ऐसे में अगर पुलिस रात को उसके घर में घुसकर बर्बर कार्रवाई करेगी, तो कोई भी आदमी इसे बर्दाश्त नहीं करेगा। इसलिए स्थानीय लोगों और खासकर खासी जनजाती के लोगों में इस कथित एनकाउंटर के प्रति गुस्सा है।
राज्य के गृह मंत्री ने दिया इस्तीफा
थांगखियू की मौत के बाद उपजे तनाव के बीच राज्य के गृह मंत्री लखमेन रिंबई ने इस्तीफा देते हुए इस एनकाउंटर पर हैरानी व्यक्त की थी। मुख्यमंत्री को भेजे इस्तीफा पत्र में उन्होंने इस एनकाउंटर की न्यायिक जांच की मांग की थी। अभी तक इस बात की पुष्टि नहीं हो पाई है कि क्या रिंबई का इस्तीफा मंजूर हो गया है। हालांकि, मेघालय सरकार ने इस मामले की मजिस्ट्रेट जांच के आदेश जारी कर दिए हैं।
मानवाधिकार आयोग ने मांगी रिपोर्ट
मेघालय मानवाधिकार आयोग ने इस एनकाउंटर का स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव से 15 दिनों के भीतर घटना पर विस्तृत रिपोर्ट मांगी है। दूसरी तरफ असम पुलिस ने कर्फ्यू न हटने तक राज्य के लोगों को शिलांग की यात्रा न करने की अपील की है। असम के मुख्यमंत्री ने मेघालय के मुख्यमंत्री कोनराड के संगमा से बात कर शिलांग में फंसे अपने राज्य के नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने का अनुरोध किया है।