पत्नी के महिला न होने का दावा कर मांगा तलाक, सुप्रीम कोर्ट ने जारी किया नोटिस
क्या है खबर?
सुप्रीम कोर्ट में पति द्वारा दायर तलाक की मांग वाली याचिका पर सुनवाई हुई। इसमें पति ने पत्नी के चिकित्सकीय आधार पर महिला न होने का दावा करते हुए तलाक दिलाने की मांग की है।
पति की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गत शुक्रवार को महिला को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में पति द्वारा लगाए गए आरोपों पर जवाब दाखिल करने के आदेश दिए हैं।
पति का कहना है कि उसकी पत्नी ने सच्चाई छिपाकर उसे धोखा दिया है।
शादी
साल 2016 में हुई थी याचिकाकर्ता की शादी
अधिवक्ता प्रवीण स्वरूप के जरिए दायर की गई याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता की शादी जुलाई 2016 में हुई थी।
शादी के बाद पत्नी कुछ दिनों तक मासिक धर्म का बहाना बनाकर उससे दूर रही और अपने पीहर चली गई।
छह दिन बाद जब वह वापस लौटी तो याचिकाकर्ता ने संबंध बनाने का प्रयास किया, इस दौरान उसे पता चला की उसकी पत्नी मेडिकल रूप से महिला नहीं है। इससे वह बुरी तरह से टूट गया।
उपचार
याचिकाकर्ता ने किया पत्नी का उपचार कराने का प्रयास
याचिका में कहा गया है कि सच्चाई सामने आने के बाद पति ने पत्नी का उपचार कराने का भी प्रयास किया था। जांच में पत्नी को इम्परफोरेट हाइमन से पीड़ित पाया गया।
इस पर डॉक्टर ने महिला को सर्जरी की सलाह दी, लेकिन स्पष्ट किया कि इसके बाद भी वह गर्भवती नहीं हो सकेगी।
यह सुनकर याचिकाकर्ता ने खुद को ठगा हुआ महसूस किया और पत्नी के पिता को फोन कर उसे वापस ले जाने के लिए कह दिया।
जानकारी
पत्नी के पिता ने सर्जरी कराकर दी धमकी
याचिका में कहा गया है कि सूचना के बाद पत्नी के पिता ने उसकी सर्जरी करा दी और उसे ससुराल में रखने का दबाव बनाया। इतना ही नहीं पत्नी के पिता ने उसे घर में नहीं रखने पर कानूनी कार्रवाई की भी धमकी दी थी।
याचिका
ट्रायल कोर्ट ने खारिज कर दी थी याचिका
याचिका में कहा गया है कि पति ने मामले में FIR दर्ज कराकर तलाक की मांग की थी, लेकिन ट्रायल कोर्ट के 6 मई, 2019 को उसकी शिकायत को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि केवल मौखिक साक्ष्य और बिना किसी चिकित्सीय साक्ष्य के धोखाधड़ी का अपराध नहीं बनता है।
उसने इसे मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच में चुनौती दी थी, लेकिन हाई कोर्ट ने भी 29 जुलाई, 2021 को फैसले बरकरार रख दिया।
चुनौती
याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के फैसले को दी थी चुनौती
मद्रास हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच के फैसले को चुनौती देने के लिए याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
इस पर जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने सुनवाई करते हुए पत्नी को नोटिस जारी कर चार सप्ताह में पति की याचिका पर जवाब दाखिल करने को कहा है।
इसके साथ ही कोर्ट ने याचिकाकर्ता को पत्नी के उपचार के संबंधित सभी दस्तावेज भी प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं।
बीमारी
न्यूजबाइट्स प्लस (जानकारी)
इम्परफोरेट हाइमन महिलाओं में पाई जाने वाली एक जन्मजात बीमारी होती है। जिसे छिद्रहीन जननांग भी कहा जाता है।
इस बीमारी में आमतौर पर जननांग को ढंकने वाली हाइमन नामक पतली झिल्ली जननांग को पूरी तरह से ढंग देती है।
सामान्यतौर पर जन्मजात बीमारी होने के कारण कुछ महिलाएं इसके साथ ही जन्म लेती है, लेकिन कुछ मामलों में महिलाओं इसके बिना भी जन्म लेती है, लेकिन उनके यौवन के करीब पहुंचने पर हाइमर का आकार बढ़ जाता है।