जम्मू-कश्मीर में फिलहाल बहाल नहीं होगी 4G इंटरनेट सुविधा, सुप्रीम कोर्ट ने किया इनकार
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर में 4G इंटरनेट सेवा बहाल करने की याचिका को खारिज करते हुए फिलहार इस सेवा को बहाल करने के आदेश देने से इनकार कर दिया है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने वहां 4G इंटरनेट सेवा शुरू करने की स्थितियों का आंकलन करने के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक विशेष कमेटी गठन करने का आदेश दिए हैं। कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर ही बाद में इस पर निर्णय किया जाएगा।
गत वर्ष अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही बंद है 4G इंटरनेट सेवा
बता दें कि केंद्र सरकार ने गत वर्ष अगस्त में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाया था। उसके बाद सरकार ने जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के रूप में दो नए केंद्र शासित प्रदेश बना दिए। हिंसक परिणामों को देखते हुए सरकार ने वहां पर इंटरनेट सेवा सहित अन्य सेवाओं पर रोक लगा दी थी। हालांकि, बाद में कई सेवाओं को फिर से शुरु कर दिया गया था, लेकिन 4G इंटरनेट सेवा को बहाल नहीं किया गया था।
जम्मू-कश्मीर में वर्तमान में चालू है 2G सेवा
बता दें कि केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में वर्तमान में 2G सेवा संचालित है। अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से वहां पर इंटरनेट सेवा पूरी तरह से बंद थी, लेकिन गत जनवरी में सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 2G सेवा शुरू कर दी थीं।
मानव अधिकारों और राष्ट्रीय सुरक्षा को संतुलित करना होगा- सुप्रीम कोर्ट
जस्टिस एनवी रमना, आर सुभाष रेड्डी और बीआर गवई की पीठ ने सोमवार के आदेश याचिकाकर्ताओं को राहत नहीं देते हुए सेवा को बहाल करने से इनकार कर दिया। जस्टिस रमना ने कहा, "देश की सर्वोच्च अदालत को राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ मानवाधिकारों को भी संतुलित करना है। वह जानते हैं कि वर्तमान में केंद्र शासित प्रदेश परेशानियों से जूझ रहा है। इसी तरह कोरोना महामारी और अन्य परेशानियों भी कोर्ट के संज्ञान में हैं।
याचिकाकर्ताओं ने दी अध्ययन और स्वास्थ्य सेवा प्रभावित होने की दलील
याचिकाकर्ताओं ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि केंद्र शासित प्रदेश में 4G इंटरनेट सेवा बाधित होने से अध्ययन और स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित हो रही है। स्कूल-कॉलेज के छात्र ऑनलाइन अध्ययन के लिए वीडियो-कॉन्फ्रेंसिंग नहीं कर पा रहे हैं। इसके अलावा कोरोनो वायरस महामारी के कारण, स्वास्थ्य सुविधाओं पर खासा असर पड़ा है। उन्होंने दावा किया कि 1990 के दशक में 4G के बिना भी क्षेत्र में आतंकवाद बढ़ गया था।
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने दिया हंदवाड़ा का उदाहरण
अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कहा कि गत दिनों हंदवाड़ा में आतकियों ने सुरक्षा बलों पर हमला किया था। इसमें एक मेजर, एक कर्नल सहित 8 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद इंटरनेट सेवा को बंद कर दिया गया था। इसके बाद सुरक्षा बलों को हिजबुल मुजाहिदीन के शीर्ष कमांडर रियाज नायकू को मार गिराने में सफलता मिली थी। गत शुक्रवार रात को मोबाइल सेवाओं को बहाल कर दिया गया था, लेकिन 4G सेवा को बाधित रखा गया है।
रमजान का 17वां दिन है बहुत महत्वपूर्ण
रमजान का 17वां दिन बद्र से मेल खाता है, जो इस्लामी इतिहास में एक निर्णायक लड़ाई थी। उस दौरान सैकड़ों कट्टरों ने अरब पर हमला कर जीत हासिल की थी। सुरक्षा एजेंसियों को खबर मिली है कि आतंकवादी संगठन बद्र बड़ा हमला कर सकते हैं।
जमीनी स्तर पर लिए जा रहे हैं छूट के निर्णय- मेहता
केंद्र शासित प्रदेश की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तर्क दिया कि क्षेत्र की पाबंदियों में धीरे-धीरे ढील दी जा रही है। शुरुआत में लैंडलाइन सुविधाओं को बहाल किया गया था। जनवरी में सुप्रीम कोर्ट की ओर सरकार को इंटरनेट सुविधाओं को शुरू करने पर विचार करने का आदेश देने के बाद 2G सेवाओं को बहाल किया गया। उन्होंने कहा कि केंद्र शासित प्रदेश में जमीनी स्तर पर जांच कर निर्णय किया जा रहा है।