जूम जैसी ऐप बनाने वालों को भारत सरकार देगी एक करोड़ रुपये का ईनाम
हाल ही में भारत सरकार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप जूम को असुरक्षित बताकर इसके आधिकारिक इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी। अब सरकार ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप डेवलेपमेंट चैलेंज शुरू किया है, जिसमें एक करोड़ रुपये का ईनाम रखा गया है। इसके तहत भारतीय स्टार्ट-अप्स को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप बनानी होगी। दरअसल, लॉकडाउन के कारण अधिकतर कंपनियों के कर्मचारी घर से काम कर रहे हैं वर्चुअल मीटिंग के वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप इस्तेमाल कर रहे हैं।
30 अप्रैल तक किया जा सकता है रजिस्ट्रेशन
इस चैलेंज के लिए रजिस्ट्रेशन शुरू हो गया है। 13 अप्रैल को शुरू हुआ रजिस्ट्रेशन 30 अप्रैल तक चलेगा। इसमें भाग लेने वाली टीमों को ऐसी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग ऐप बनानी होगी जो हर प्रकार के डिवाइस पर चले, जिसमें पूरा कम्युनिकेशन इन्क्रिप्टेड हो, जो कमजोर नेटवर्क वाले इलाकों में भी काम कर सके और पॉवर की खपत कम करें। चैलेंज के विजेता का ऐलान 29 जुलाई को किया जाएगा और विजेता टीम को एक करोड़ रुपये का ईनाम दिया जाएगा।
पहले चरण में सबसे शानदार आइडिया वाली 10 टीमें चुनी जाएंगी
इस चैलेंज के पहले स्टेज में टीमों का आइडिया देना होगा। सबसे शानदार आइडिया वाली 10 टीमों को चुना जाएगा। इनमें से हर टीम को प्रोटोटाइप तैयार करने के लिए पांच लाख रुपये दिए जाएंगे। एक ज्यूरी इन टीमों द्वारा तैयार किए प्रोटोटाइप को देखेगी, जिसके बाद अंतिम स्टेज के लिए तीन टीमो को शॉर्टलिस्ट किया जाएगा। इन तीनों टीमों को ऐप तैयार करने के लिए 20-20 लाख रुपये दिए जाएंगे। सबसे अंत में एक मोबाइल ऐप चुनी जाएगी।
7 मई तक सबमिट किए जा सकते हैं आइडिया
जो ऐप इस चैलेंज को जीतेगी, उसे केंद्र और राज्य सरकारें पहले एक साल के लिए इस्तेमाल करेंगी। विजेता टीम को एक साल तक ऐप के मेंटेनेंस और ऑपरेशनल कॉस्ट के लिए भी 10 लाख रुपये मिलेंगे। अगर आप इस चैलेंज में भाग लेना चाहते हैं तो आपके पास रजिस्ट्रेशन के लिए 30 अप्रैल तक का समय है। रजिस्ट्रेशन समाप्त होने के एक सप्ताह बाद यानी 7 मई तक आइडिया सबमिट किए जा सकते हैं।
सिर्फ स्टार्ट अप ले सकेंगे चैलेंज में भाग
सरकार की शर्त है कि इस चैलेंज में भाग लेने वाली कंपनियां स्टार्ट अप ही हों। स्टार्ट अप के अलावा दूसरी कंपनियां इसमें भाग नहीं ले सकेंगी। कंपनियां जो भी ऐप तैयार करेंगी, उनमें वीडियो कॉलिंग, ऑडियो कॉलिंग, फाइल और स्क्रीन शेयरिंग, मल्टीपल कॉन्फ्रेंस और हर कॉन्फ्रेंस में मल्टीपल पार्टिसिपेंट, ब्राउजर या ऐप बेस्ड इंटरफेस जैसे फीचर होने जरूरी हैं। ऐप तैयार करने वाली टीम को कम से कम चार साल तक ऐप को सपोर्ट मुहैया कराना जरूरी होगा।