सुप्रीम कोर्ट पहुंचा उमर अब्दुल्ला के खिलाफ PSA का मामला, बहन सारा ने दी चुनौती
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को जन सुरक्षा कानून (PSA) के तहत हिरासत में रखे जाने के खिलाफ उनकी बहन सारा पायलट सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई हैं। कपिल सिबल इस मामले में उनकी पैरवी करेंगे। सिबल ने जस्टिस एनवी रमन्ना की बेंच के आगे मामले की तत्काल सुनवाई की अपील की है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अब्दुला की हिरासत को चुनौती देते हुए बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की है और इस पर इसी सप्ताह सुनवाई होनी चाहिए।
उमर को हिरासत में रखना 'अंसवैधानिक'- याचिकाकर्ता
याचिकाकर्ता ने कहा कि उमर अब्दुल्ला को PSA के तहत हिरासत में रखना 'अंसवैधानिक' और 'मौलिक अधिकारों का हनन' करना है। याचिका में कहा गया है कि ऐसे कोई ठोस आधार मौजूद नहीं हैं, जिस पर पिछले छह महीनों से हिरासत में रह रहे व्यक्ति को फिर से हिरासत में रखा जाए। सिबल की दलील को सुनने के बाद बेंच मामले की जल्द सुनवाई के लिए तैयार हो गई है। बता दें, उमर पिछले छह महीनों से हिरासत में हैं।
अगस्त में हिरासत में लिए गए थे उमर अब्दुल्ला
पिछले साल केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटने का फैसला करने से पहले उमर अब्दुल्ला समेत सैंकड़ों नेताओं को हिरासत में लिया था। उमर 5 अगस्त, 2019 से CrPC की धारा 107 के तहत हिरासत में थे। इसके तहत उनकी ऐहतियातन हिरासत 5 फरवरी 2020 को खत्म होने वाली थी, लेकिन उससे पहले सरकार ने उनके खिलाफ जन सुरक्षा कानून लगा दिया।
जम्मू-कश्मीर के तीन पूर्व मुख्यमंत्रियों पर PSA
PSA के तहत उमर की हिरासत को तीन महीने से दो साल तक बिना किसी ट्रायल के बढ़ाया जा सकता है। उमर के साथ-साथ महबूबा मुफ्ती के खिलाफ भी PSA लगाया गया है, जबकि फारूक अब्दुल्ला पहले ही इस कानून के तहत हिरासत में हैं। PSA के तहत सरकार किसी भी व्यक्ति को भड़काऊ या राज्य के लिए नुकसानदेह मानकर हिरासत में ले सकती है। इसके तहत किसी को दो साल तक बिना ट्रायल हिरासत में रखा जा सकता है।
पुलिस ने उमर पर लगाए ये आरोप
पुलिस ने एक डॉजियर में उमर पर PSA लगाने की वजह बताई है। इसमें लिखा गया है कि उमर अब्दुल्ला का जनता पर खासा प्रभाव है। वे किसी भी कारण के लिए जनता की ऊर्जा का इस्तेमाल कर सकते हैं। दूसरे आरोप में लिखा गया है कि उमर अब्दुल्ला में चरम आतंकवाद के माहौल और आतंकवादियों या अलगाववादियों के मतदान विरोधी आह्वानों के दौरान भी लोगों को पोलिंग बूथ तक ले आने की क्षमता है।
शांति की अपील के लिए PSA नहीं लगाया जा सकता- याचिकाकर्ता
सारा ने अपनी याचिका में हिरासत में लिए जाने से पहले किए गए ट्वीट का संदर्भ देते हुए कहा कि वो लोगों से शांति बनाये रखने की अपील कर रहे थे। गांधी के भारत में ऐसी अपील के लिए PSA नहीं लगाया जा सकता। वहीं डॉजियर में उमर पर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने सोशल मीडिया के जरिए लोगों को भड़काने की कोशिश की। हालांकि, इसमें उनकी किसी सोशल मीडिया पोस्ट का जिक्र नहीं किया गया है।