#NewsBytesExclusive: बिजली संकट में सौर ऊर्जा बन सकती है विकल्प- स्मार्टन CEO रजनीश
फ्यूल की बढ़ती कीमतों के चलते दुनिया बेशक इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) जैसे विकल्प अपना रही हो, लेकिन बिजली संकट का सच छुपा नहीं है। देश के कई राज्यों में बिजली आपूर्ति प्रभावित होने से लाखों नागरिकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऊर्जा से जुड़ी जरूरतों को कैसे पूरा किया जाए, इसे लेकर लंबे वक्त से विचार चल रहे हैं। न्यूजबाइट्स ने पावर सॉल्यूशंस कंपनी स्मार्टन (Smarten) के CEO रजनीश शर्मा से इस समस्या पर बात की।
क्लासिक पावर सॉल्यूशंस में सुधार से हुई शुरुआत
पावर बैकअप के लिए अभी जिन इन्वर्टर्स का इस्तेमाल किया जाता है, खुद उनके चार्ज होने के लिए भी बिजली की जरूरत पड़ती है। स्मार्टन CEO ने बताया कि मार्केट में किसी नई टेक्नोलॉजी के बारे में ग्राहकों को समझाना आसान नहीं होता। उन्होंने कहा, "लंबे वक्त तक पावरकट की स्थिति में बैटरीज डीप डिस्चार्ज हो जाती हैं। हम अपना पहला प्रोडक्ट इस परेशानी से सॉल्यूशन के तौर पर लेकर आए।"
डीप डिस्चार्ज की समस्या से मिली निजात
रजनीश ने बताया कि उनकी कंपनी ने डीप डिस्चार्ज की दिक्कत को खत्म करते हुए ग्राहकों तक पहुंच बनाई। उन्होंने कहा, "पहले डीप डिस्चार्ज की परेशानी आने पर ग्राहकों को खुद इन्वर्टर की बैटरी निकालकर ले जानी पड़ती थी और उसे अलग से चार्ज करना पड़ता था। हम साइन वेव आधारित ऐसा इन्वर्टर लाए, जो डीप डिस्चार्ज से खुद रिकवर कर सकता था।" कंपनी की इस कोशिश ने लोगों में जागरूकता बढ़ाने का काम किया।
सबसे पहले हरियाणा में लाए सोलर इन्वर्टर
रजनीश बताते हैं कि कंपनी उन गांवों के लिए समाधान खोज रही थी, जहां घंटों और कभी-कभार कई दिनों तक लाइट नहीं आती थी। उन्होंने कहा, "हमने सोलर इन्वर्टर के लिए हरियाणा को अपना बेस मार्केट बनाया और ग्राहकों की जरूरत को समझा। इस दौरान हमें सीखने को मिला और हमारे सामने ढेरों सवाल आए।" स्मार्टन CEO ने कहा कि कंपनी ने इन्वर्टर में ढेरों फंक्शंस ना देकर बेसिक मोड्स दिए, जिससे बटन दबाने भर से जरूरतें पूरी हो जाएं।
नवीकरणीय ऊर्जा को समझने की जरूरत
नवीकरणीय या फिर बार-बार इस्तेमाल की जा सकने वाली ऊर्जा के बारे में बेहतर समझ पैदा करने पर भी रजनीश ने जोर दिया। उन्होंने कहा, "ज्यादातर यूजर्स आसान फंक्शंस वाले डिवाइस चाहते हैं और सौर ऊर्जा आधारित डिवाइसेज के बारे में उनकी समझ बदलनी चाहिए।" रजनीश ने कहा कि सौर ऊर्जा पर ज्यादा बात करना जरूरी है, क्योंकि यह ना सिर्फ भरोसेमंद है बल्कि इसपर आने वाली लागत भी लगातार कम हुई है।
सामान्य इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर में बदलने का विकल्प
शुरू से ही सौर ऊर्जा को केंद्र में रखकर चलने का लक्ष्य लेकर चले रजनीश ने कहा, "हम सामान्य इन्वर्टर को सोलर इन्वर्टर में बदलने वाला डिवाइस लेकर आए, जिसे ग्राहकों ने हाथों-हाथ खरीदा।" उन्होंने कहा, "इस शुरुआत ने मार्केट को दिखाया कि लोग तेजी से नवीकरणीय ऊर्जा को अपना रहे हैं। वहीं, लोगों को सोलर इन्वर्टर की क्षमता और इसके फायदे के बारे में जानकारी मिली और वे नए प्रोडक्ट्स आजमाने और उनपर खर्च करने के लिए तैयार हुए।"
स्मार्ट हो गए हैं सोलर इन्वर्टर
सोलर इन्वर्टर में पावर शेयरिंग का विकल्प मिलता है और पर्याप्त ऊर्जा होने पर मेन पावर इस्तेमाल नहीं होती। इस तरह बिजली होने पर भी उसकी बचत होती है और बिल कम होता है। इन्वर्टर में दी गई स्क्रीन पर इससे जुड़ी जानकारी मिलती है।
सोलर इन्वर्टर से चलते हैं AC और वॉशिंग मशीन
ढेरों लोगों को लगता है कि सोलर इन्वर्टर से या सौर ऊर्जा से AC या वॉशिंग मशीन जैसे घरेलू उपकरण नहीं चलाए जा सकते। इस भ्रम को तोड़ते हुए रजनीश ने बताया, "ज्यादातर लोगों को लगता है कि भारी घरेलू उपकरण इस्तेमाल करने के लिए बिजली की जरूरत पड़ेगी है, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है। कोई ऐसा बड़ा घरेलू उपकरण नहीं है, जिसे सौर ऊर्जा से ना चलाया जा सके। इससे जुड़ा भ्रम टूटने की जरूरत है।"
सोलर इन्वर्टर लगवाने पर कितना खर्च आता है?
रजनीश ने बताया कि ज्यादातर ग्राहकों की जरूरतें केवल लाइट्स जलने और पंखे चलने तक सीमित हैं और छोटा परिवार केवल 40,000 से 50,000 रुपये में सोलर सेटअप लगवा सकता है। वहीं, AC जैसी जरूरतों वाला लग्जरी कस्टमर अपनी जरूरतों के लिए 1.5 लाख रुपये के करीब लागत में सोलर इन्वर्टर लगा सकता है। उन्होंने कहा, "इस लागत की वापसी में चार से पांच साल का वक्त लगता है और कीमत प्रति किलोवॉट क्षमता के हिसाब से बढ़ती जाती है।"
इसलिए बेहतर विकल्प है सौर ऊर्जा
रजनीश ने कहा, "सौर ऊर्जा कभी ना खत्म होने वाली ऊर्जा है और अगर इसका फायदा आम लोगों को मिलना शुरू हो जाए तो वहीं प्रोडक्ट्स की असली सफलता होगी।" सरकार को ऐसे ऊर्जा विकल्पों को बढ़ावा देने की जरूरत है और इससे जुड़े सॉल्यूशंस पर लगने वाला GST कम होना चाहिए। ऐसे प्रोडक्ट्स को देश में बनाने में सरकार का सहयोग मिलना जरूरी है और रजनीश की कंपनी खुद भी अपने सभी प्रोडक्ट्स भारत में मैन्युफैक्चर कर रही है।