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आज कोयला संकट की समीक्षा करेगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यालय- रिपोर्ट
कोयला संकट की समीक्षा करेगा प्रधानमंत्री कार्यालय

आज कोयला संकट की समीक्षा करेगा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यालय- रिपोर्ट

Oct 12, 2021
12:11 pm

क्या है खबर?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यालय आज देश के कई राज्यों में पैदा हुए कोयला संकट की समीक्षा कर सकता है। NDTV ने अपने सूत्रों के हवाले से ये जानकारी दी है। देश के कई राज्य कोयले की कमी के कारण बिजली संकट पैदा होने की आशंका व्यक्त कर चुके हैं और गृह मंत्री अमित शाह ने भी कल इस संबंध में महत्वपूर्ण बैठक की थी। इस बैठक में ऊर्जा मंत्री आरके सिंह और कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी भी शामिल रहे।

पृष्ठभूमि

कई राज्य कर रहे हैं कोयले की कमी का सामना

दिल्ली और पंजाब समेत कई राज्यों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त मात्रा में कोयला नहीं मिल रहा है और उन्हें बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है। कई जगहों पर कुछ दिनों से पावर कट की समस्या चल रही है। हालांकि सरकार की तरफ से कहा गया है कि पावर प्लांट्स की जरूरतें पूरा करने के लिए देश में पर्याप्त कोयला मौजूद है और किसी भी राज्य को बिजली संकट का सामना नहीं करना पड़ेगा।

बयान

ऊर्जा मंत्री बोले- बेवजह दहशत पैदा की गई

दूसरी तरफ बिजली संकट की आशंकाओं को खारिज करते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने कहा है कि कोयले की कमी को लेकर बेवजह दहशत पैदा की गई है और ये गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया (GAIL) के गलत संदेश के कारण हुआ है। उन्होंने कहा कि देश में कहीं भी बिजली की कमी नहीं हुई है और न ही सरकार ऐसा होने देगी। उन्होंने कहा कि जिस भी राज्य को बिजली चाहिए, वह उन्हें पत्र लिखे।

बयान

पावर प्लांट्स के पास चार दिनों का कोयला

इसी तरह कोयला मंत्रालय का कहना है कि पावर प्लांट्स के स्टॉक में 72 लाख टन कोयला भंडार है जो चार दिनों के लिए पर्याप्त है। इसके अलावा कोल इंडिया के पास चार करोड़ टन कोयला है जो पावर प्लांट्स को भेजा जा रहा है। मंत्रालय के अनुसार, ऐसे में बिजली संकट का कोई भी डर पूरी तरह गलत है। बता दें कि देश में कोयले से संचालित होने वाले पावर प्लांट्स की संख्या 135 है।

कारण

क्यों पैदा हुआ है कोयला संकट?

भारी बारिश और दाम बढ़ने के कारण आयात में गिरावट जैसी कई वजहों से पावर प्लांट्स में कोयले की कमी होने लगी है। इससे दिल्ली और पंजाब समेत राजस्थान, गुजरात और तमिलनाडु में बिजली संकट पैदा होने का खतरा बना हुआ है। अर्थव्यवस्था में तेजी के कारण बिजली की मांग में भी इजाफा हुआ है और इससे संकट और गहरा गया है। पिछले दो महीनों में ही देश की बिजली खपत में 17 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।