खास ब्रेसलेट पहनकर आप खुद बन जाएंगे बैटरी, कमाल की टेक्नोलॉजी
क्या है खबर?
छोटे से बड़े हर इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस के काम करने के लिए उसे पावर मिलना जरूरी है और बैटरीज इसके लिए इस्तेमाल होने वाला विकल्प हैं।
कैसा हो अगर आपके डिवाइस की बैटरी खत्म ना हो, या फिर आप खुद एक बैटरी की तरह काम करें।
सुनने में बेशक यह किसी साइंस फिक्शन जैसा लगे, लेकिन वैज्ञानिक इस पर काम कर रहे हैं।
वैज्ञानिकों ने ऐसा वियरेबल डिवाइस तैयार किया है, जिसके साथ इंसान का शरीर बैटरी की जगह ले लेगा।
इनोवेशन
शरीर की गर्मी से तैयार होगी ऊर्जा
HT के अनुसार, अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो बोल्डर के रिसर्चर्स ने एक खास गैजेट तैयार किया है।
इस इनवायरमेंट-फ्रेंडली गैजेट्स की मदद से इंसानी शरीर की गर्मी को ऊर्जा में बदलने का काम किया जाएगा।
यह गैजेट ब्रेसलेट जैसा डिवाइस है, जिसे पहना जा सकता है। यानी कि नई टेक्नोलॉजी के साथ फिटनेस ट्रैकर्स या स्मार्टवॉच जैसे डिवाइसेज को चार्ज करने की जरूरत नहीं पड़ेगी और इंसानी शरीर ही उनको पावर देने वाली बैटरी का काम करेगा।
तरीका
ऐसे काम करती है टेक्नोलॉजी
फिल्मों में दिखाया जाता है कि इंसानी शरीर की मदद से किसी सोर्स को पावर दी जा सकती है और अब वैज्ञानिक इसके करीब पहुंच गए हैं।
किसी रिंग या ब्रेसलेट जैसे डिवाइस के साथ इंसानी शरीर से ऊर्जा ट्रांसफर करने के लिए इनमें थर्मोइलेक्ट्रिक चिप्स का इस्तेमाल किया गया है।
जर्नल साइंस एडवांसेज में पब्लिश एक रिसर्च में कहा गया है कि थर्मोइलेक्ट्रिक चिप इंसानी शरीर से पैदा होने वाली गर्मी को इलेक्ट्रिकल एनर्जी में बदल सकते हैं।
उम्मीद
यह टेक्नोलॉजी लेगी बैटरी की जगह
रिसर्च पेपर के सीनियर ऑथर जियानलियांग झाओ ने थॉमसर रॉयटर्स फाउंडेशन को भेजे ईमेल में इस टेक्नोलॉजी पर बात की।
झाओ ने कहा, "थर्मोइलेक्ट्रिक डिवाइसेज वियरेबल्स को लगातार पावर दे सकती हैं और उम्मीद है कि आने वाले वक्त में ये बैटरीज की जगह ले पाएंगी।"
उन्होंने बताया कि यह टूल पूरी तरह रीसाइकल किया जा सकता है और इस टेक्नोलॉजी की मदद से इलेक्ट्रॉनिक वेस्ट और प्रदूषण जैसी समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
इंतजार
मार्केट तक आने में लगेगा वक्त
सामने आई टेक्नोलॉजी अभी शुरुआती दौर में है और इसे बेहतर बनाने से जुड़ी रिसर्च की जा रही है।
अभी ये डिवाइस एक वर्ग सेंटीमीटर त्वचा की गर्मी से करीब एक वोल्ट ऊर्जा पैदा कर सकती हैं।
झाओ ने कहा कि इस डिवाइस से जुड़ी रिसर्च जारी रहे तो इससे पैदा होने वाली ऊर्जा और इस टेक्नोलॉजी की क्षमता को बढ़ाया जा सकता है।
झाओ के मुताबिक, इसे मार्केट तक आने में पांच से 10 साल तक का वक्त लगेगा।