#TokyoDreams: पेंटिंग का शौक रखने वाली राइफल शूटिंग स्टार अंजुम मोदगिल से खास बातचीत
इस साल ओलंपिक होने वाला है और हर बार की तरह इस बार भी भारत को अपने कई एथलीट्स से पदक की उम्मीदे हैं। शूटिंग एक ऐसा खेल है जिसमें भारत को इस बार सबसे ज़्यादा उम्मीदे हैं। युवा मनु भाकर के अलावा एयर राइफल शूटर अंजुम मोदगिल से भी लोगों को काफी उम्मीदे हैं। अंजुम ने न्यूजबाइट्स से खास बातचीत में खेल को चुनने, सफर, शौक और तमाम चीजों के बारे में बताया। आइए जानें।
कॉमनवेल्थ गेम्स की सिल्वर मेडलिस्ट हैं अंजुम
5 जनवरी, 1994 को चंडीगढ़ में जन्मीं अंजुम ने चंडीगढ़ के ही सैक्रेड हर्ट सीनियर सेकेंड्री स्कूल में पढ़ाई की है। उन्होंने DAV कॉलेज चंडीगढ़ से ग्रेजूएशन और पोस्ट-ग्रेजूएशन करने के साथ ही स्पोर्ट्स साइकोलॉजी में मास्टर्स की डिग्री भी हासिल की है। 2017 कॉमनवेल्थ शूटिंग चैंपियनशिप में अंजुम ने सिल्वर और ब्रॉन्ज मेडल जीता। इसके बाद 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में उन्होंने 50 मीटर एयर राइफल थ्री पोजीशन में सिल्वर मेडल जीता था।
2007 में NCC कैंप का पड़ा प्रभाव और शुरु हो गई शूटिंग
लगभग 13-14 साल की उम्र में 2007 में अंजुम अपनी मां के साथ चंडीगढ़ शूटिंग रेंज गई थीं और वहां NCC कैंप में कैडेट्स को हथियारों का इस्तेमाल करते देखकर काफी प्रभावित हुई थीं। अंजुम बताती हैं, "कैंप से प्रभावित होने के बाद मैं वापस अपने स्कूल आई और मैंने भी NCC ज्वाइन कर ली। 2007 के आखिर में ही मेरी शूटिंग की शुरुआत हो चुकी थी।"
सीनियर एथलीट्स को देखकर मिलती थी प्रेरणा- अंजुुम
अपनी प्रेरणा को लेकर अंजुम बताती हैं, "शुुरुआत में तो NCC ने काफी प्रभावित किया, लेकिन जब प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरु किया तब अंजली भागवत और लज्जा गोस्वामी जैसी सीनियर एथलीट्स ने काफी मदद की और इनको देखकर मैंने काफी कुछ सीखा।"
शुरुआत में शूटिंग और पढ़ाई को लेकर होती थी परेशानी
अंजुम ने शूटिंग शुरु करने के बाद लगातार प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरु कर दिया था और ऐसे में उनकी पढ़ाई में काफी अवरोध पड़ता था। उन्होंने बताया, "शुरु में कई बार ऐसा होता था कि प्रतियोगिता के समय में परीक्षा पड़ जाती थी और कई बार स्कूल ज़्यादा दिनों तक मिस होने लगते थे। लेकिन मैं किताबें लेकर ट्रेनिंग पर जाती थी और कई बार दोस्त मुझे पढ़ा देते थे।"
अलग-अलग इवेेंट्स के लिए करनी होती है अलग-अलग तैयारियां- अंजुम
अंजुम 10 मीटर एयर राइफल और 50 मीटर राइफल थ्री पोजीशन इवेंट्स में हिस्सा लेती हैं। दोनों की तैयारियों के बारे में अंजुम ने कहा, "दोनों इवेंट्स काफी अलग हैं। इनके हथियार अलग-अलग हैं और इसमें टेक्नीकली और फिजिकली काफी अलग तैयारियां करनी पड़ती हैं।" उन्होंने आगे बताया, "यह खेल का हिस्सा है और अलग तरीके से तैयारी को लेकर मेरे ऊपर कोई दबाव नहीं होता। मुझे पता है कि किसके लिए क्या करना है और मैं वही करती हूं।"
दोनों ही इवेंट्स में ओलंपिक में हिस्सा लेना चाहती हैं अंजुम
अंजुम ने बताया कि उन्हें दोनों ही इवेंट्स काफी पसंद हैं और वह दोनों में ही ओलंपिक में हिस्सा लेना पसंद करेंगी। उन्होंने कहा, "मुझे दोनों ही इवेेंट्स पसंद हैं। वैसे तो यह सिलेक्शन कमेटी का निर्णय है कि मुझे किस इवेंट में भेजा जाएगा, लेकिन मुझे तो दोनों ही पसंद हैं। पहले थ्री पोजीशन पसंद था फिर एयर भी पसंद आ गया। मुझे तो दोनों चलाने में काफी मजा आता है।"
100 प्रतिशत देने पर होता है ध्यान- अंजुम
ओलंपिक में शूटिंग टीम से मेडल्स की काफी उम्मीदों पर अंजुम का कहना है कि ये उम्मीदें कई लोगों के लिए प्रेशर का काम करती हैं तो कई को इनसे काफी प्रेरणा मिलती हैै। उन्होंने कहा, "मैच से पहले हम सालों से ट्रेनिंग करते आ रहे हैं। हमारा ध्यान मैच में अपना 100 प्रतिशत देने पर होता है। मैच के रिजल्ट्स क्या होंगे ये उसी समय पता चलते हैं।" अंजुम ने बताया कि उनकी तैयारियां काफी अच्छी चल रही हैं।
मेडल्स जीतने से पहले सहयोग मिलना चाहिए- अंजुम
अंजुम ने कहा कि शुरुआती दौर में ही एथलीट्स को मदद मिलनी चाहिए क्योंकि शूटिंग महंगा खेल है। ऐसा नहीं है कि मेडल जीतने के बाद ही एथलीट पर ध्यान दिया जाए। शुरुआत से मदद मिलने लगे तो ज़्यादा लोग इसे अपना करियर बनाएंगे।
दीपाली मैम की वजह से आज यहां पहुंची हूं- अंजुम
अंजुम ने अपनी कोच दीपाली की खूब तारीफ की और अपनी सफलता का पूरा श्रेय उन्हें दिया। उन्होंने कहा, "मैंने 2013 में दीपाली मैम के साथ काम करना शुरु किया था। उन्होंने साल दर साल मेरी कमियों को नोटिस किया और उन्हें दूर करने के उपाय बताए। वह हमेशा मुझे बताती हैं कि मुझे क्या करना चाहिए और आज मैं उन्हीं के कारण इस मुकाम तक पहुंची हूं।"
शूटिंग में आया है क्रांतिकारी बदलाव- अंजुम
अंजुम ने बताया कि शूटिंग में आज के समय में काफी बदलाव आया है। उन्होंने कहा, "ज़्यादा लोग कोचिंग में आ रहे हैं। मीडिया इस खेल को काफी अच्छे से कवर कर रहा है। सुविधाएं ज़्यादा बढ़ गई हैं और यह काफी पॉजिटिव चेंज है।"
शूटिंग से समय निकालकर पेंटिंग भी करती हैं अंजुम
अंजुम को पेंटिंग करने का काफी शौक है और वह शूटिंग से समय मिलने पर पेंटिंग्स पर अपना हाथ आजमाती हैं। उन्होंने बताया, "मुझे किसी खास तरह की पेंटिंग बनाना पसंद नहीं है। मैं कई तरह की पेंटिंग बनाती हूं। पेपर के अलावा मैं लकड़ी और ग्लास पर भी पेंटिंग बनाती हूं।" अंजुम ने आगे हंसते हुए कहा कि शूटिंग के बाद उन्हें पेंटर के तौर पर भी देखा जा सकता है।
न्यूजबाइट्स के रीडर्स को अंजुम का संदेश
अंत में अपना संदेश देते हुए अंजुम ने कहा, "आप जो भी काम कर रहे हो उसे दिल लगाकर करो। ऐसा नहीं हो कि आप कुछ कर रहे हो और उसमें आपका मन नहीं लग रहा है।" न्यूजबाइट्स की तरफ से बेस्ट ऑफ लक चैंपियन