#NewsBytesExclusive: गौसेवा है समाज में बढ़ती खाई को खत्म करने का माध्यम- पद्मश्री मुन्ना मास्टर
इस साल जिन लोगों को पद्मश्री से सम्मानित किया जायेगा, उनमें राजस्थान में जयपुर के पास बगरू के रहने वाले भजन गायक मुन्ना मास्टर का नाम भी शामिल है। मुन्ना को ये सम्मान गौसेवा पर उनके सामाजिक कार्यों के लिए दिया जायेगा। मुन्ना, डॉ फिरोज के पिता हैं जिन्हें बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) के संस्कृत विभाग में नियुक्ति पर विरोध का सामना करना पड़ा था। हमने मुन्ना मास्टर से खास बातचीत की। इसमें उन्होंने क्या-क्या कहा, आइए जानें।
मुन्ना मास्टर के दूसरे नाम रमजान के पीछे की दिलचस्प कहानी
मुन्ना मास्टर का एक नाम रमजान भी है और ये नाम पड़ने के पीछे उन्होंने हमे एक दिलचस्प कहानी बताई। दरअसल, उनके माता-पिता ने उन्हें मुन्ना नाम ही दिया था, लेकिन जब नौ-दस साल की उम्र में मुन्ना के पिता उनका दाखिला कराने उन्हें राजकीय संस्कृत विद्यालय लेकर गए तो शिक्षक ने मुन्ना की जगह और कोई नाम रखने को कहा। चूंकि उनका जन्म रोजों के दौरान हुआ था, इसलिए स्कूल में उनका नाम रमजान लिख दिया गया।
सारे दस्तावेजों पर मुन्ना मास्टर नाम
पूरे इलाके में लोग उन्हें मुन्ना मास्टर के नाम से ही जानते हैं और आधार कार्ड से लेकर वोटर कार्ड तक, सारे दस्तावेजों पर भी उनका नाम मुन्ना मास्टर है। उन्हें पद्मश्री भी मुन्ना मास्टर के नाम से मिला है।
पिता की उंगली पकड़ कर जाते थे मंदिर
अपने शुरूआती जीवन के बारे में बताते हुए मुन्ना मास्टर ने कहा कि उनके पिताजी एक अच्छे भजन गायक थे और उन्हें संगीत के साथ-साथ साहित्य का भी ज्ञान था। वे जब भी मंदिरों के उत्सव में जाते तो मुन्ना को भी उंगली पकड़कर अपने साथ ले जाते। यहीं से मुन्ना में गायकी और संगीत की समझ पैदा हुई। उन्होंने बताया कि उनके पिता उन्हें एक-दो घंटे सत्यवादी हरिश्चंद्र और श्रवण कुमार जैसी भारतीय संस्कृति की कहानियां सुनाते थे।
"माता-पिता से मिले सारे संस्कार"
मुन्ना का कहना है कि उनके पिता ने उन्हें बहुत कुछ सिखाया और जिस परिवेश में आज वो जीवन जी रहे हैं, उसके संस्कार उन्हें अपने माता-पिता से ही मिले थे। वर्णमाला, पहाड़े और गिनती आदि का ज्ञान भी उन्हें पिता से मिला।
बच्चों को संस्कृत पढ़ाने के लिए करना पड़ा था विरोध का सामना
अपने घर का खर्च चलाने के लिए मजदूरी और छपाई का कार्य कर चुके मुन्ना कहते हैं कि किसी भगवान की तस्वीर लगाना बुरी बात नहीं है और अगर कोई पूजा-पाठ कर लेता है तो इस्लाम से खारिज नहीं हो जाता। अपने बच्चों को संस्कृत की शिक्षा देने के लिए उन्हें अपने रिश्तेदारों की नाराजगी का सामना भी करना पड़ा था। इस पर उन्होंने कहा कि कभी किसी ने उनके सामने कुछ नहीं कहा, लेकिन पीठ पीछे कहते थे।
पद्मश्री सम्मान पर बोले मुन्ना- केवल कर्म करने पर विश्वास
पद्मश्री सम्मान से नवाजे जाने पर मुन्ना ने कहा कि वे केवल कर्म में विश्वास रखते हैं और अगर कोई व्यक्ति कर्म करेगा तो उसे इसका फल जरूर मिलेगा। उन्होंने कहा, "मैंने निस्वार्थ भाव से गायों की सेवा की है। ये एक अच्छा काम है। ये एक मूक और लावारिस प्राणी है और चारा-पानी के बिना इनके प्राण निकले इससे अच्छा है कि हम सब मिलकर इनकी सेवा में लगा जाएं ताकि गाय का जीवन सुखमय व्यतीत हो।"
गायों की दुर्दशा पर ये बोले मुन्ना
मुन्ना ने कहा कि पहले ऐसा परिवेश और वातावरण था कि गौसेवा करने के लिए हर घर में एक-दो गाय पाली जाती थीं, लेकिन आजकल ऐसा देखने को नहीं मिलता। उन्होंने कहा, "पहले गायों के मालिक हुआ करते थे, लेकिन आज ये लावारिस हो चुकी हैं। चारा-पानी के बिना प्राण त्याग रही हैं। जब एक भूखी गाय मंदिर के पास जाकर खड़ी होती है तो उसे वहां से भगा देते हैं और उसे पत्तल-डोने खाने पर मजबूर होना पड़ता है।"
"एक भी गाय कटती है तो भारत राष्ट्र के लिए लज्जाजनक"
गौहत्या को एक बड़ा पाप और देश के लिए बड़े शर्म का विषय बताते हुए मुन्ना ने कहा कि भारत देश की मुख्य शक्ति और रीढ़ गोवंश है और अगर ये कटने जाता है तो ये हर नागरिक के लिए दुर्भाग्य की बात है। उन्होंने कहा, "अगर एक भी गाय कटने जाती है तो ये भारत राष्ट्र के लिए लज्जाजनक है। ये बहुत बड़ा पाप है। ये कटने के लिए जाती हैं तो आशीर्वाद की जगह श्राप मिलता है।"
गौरक्षा के नाम पर हुड़दंग करने वाले अपवाद- मुन्ना
मुन्ना ने कहा कि इन्हीं परिस्थितियों के कारण लोग गौरक्षा और गौसेवा से जुड़ते हैं। गौरक्षा के नाम पर हुड़दंग करने वालों पर उन्होंने कहा कि ऐसे लोग मात्र अपवाद होते हैं और बाकी लोग निस्वार्थ भाव से गाय की सेवा करते हैं।
कुछ ऐसी रहती है मुन्ना मास्टर की दिनचर्या
मुन्ना प्रातःकाल भ्रमण करने के बाद सबसे पहले गौशाला जाते हैं और वहां की सारी व्यवस्था देखते हैं। भजन का कार्यक्रम आमतौर पर शाम को एक-दो घंटे के लिए होता है, लेकिन कई बार दिन में भी भजन कार्यक्रम होता है। वे 'श्री श्याम सुरभि वंदना' नाम से भजनों की एक किताब भी लिख चुके हैं जिसमें भगवान श्रीकृष्ण, शिव, हनुमान, श्री राम और सावन के झूलों आदि पर भजन हैं।
बेटे की नियुक्ति के विरोध को बताया सैद्धांतिक तौर पर गलत
BHU में उनके बेटे फिरोज की संस्कृत के प्रोेफेसर के तौर पर नियुक्ति के खिलाफ हुए विरोध प्रदर्शन पर मुन्ना ने कहा कि ये विरोध सैद्धांतिक तौर पर गलत था। उन्होंने कहा, "फिरोज की नियुक्ति लौकिक संस्कृत पढ़ाने के लिए हुई थी। लेकिन उन्होंने इसे वेदों और वैदिक संस्कृत से जोड़ दिया और कहा कि एक मुस्लिम इसे कैसे पढ़ाएगा। उसके कोर्स का वैदिक संस्कृत से कुछ लेना-देना नहीं जिसमें यज्ञ या अनुष्ठान काराया जाता है।"
समाज को दिया ये संदेश
समाज में बढ़ती असहनशीलता पर मुन्ना ने कहा, "आज कोई मंदिर तो कोई मस्जिद से नफरत कर रहा है। इस बढ़ती खाई को खत्म करने के लिए एक ऐसे मंच की जरूरत है जो सेतु का कार्य करे। गौशाला न मंदिर है, न मस्जिद है। गाय सबको दूध देती है। गौशाला को एक ऐसा माध्यम बना दिया जाए जहां हर धर्म का आदमी आए और गाय की सेवा करे। जब लोग एक-दूसरे के साथ बैठेंगे तो सारे भ्रम दूर होंगे।"