पांच दिनों तक नहीं पड़ेगी स्मार्टफोन चार्ज करने की जरूरत, तैयार हुई नई बैटरी
क्या है खबर?
आप अपने स्मार्टफोन को कितने दिन बाद चार्ज करते हैं?
अधिकतर लोगों को रोजाना अपना स्मार्टफोन चार्ज करना पड़ता है तो कुछ लोगों को दूसरे दिन।
वहीं अगर आपके पास इलेक्ट्रिक वाहन है तो कुछ ही किलोमीटर चलने के बाद उसे फिर से चार्ज करने की जरूरत पड़ जाती है।
अगर सब कुछ सही रहा तो जल्द ही यह सब बदल जाएगा। एक बार फोन चार्ज करने के बाद आपको पांच दिन उसे चार्ज करने की जरूरत नहीं होगी।
जानकारी
ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चर्स ने किया नई बैटरी तैयार करने का दावा
दरअसल, ऑस्ट्रेलियाई रिसर्चर्स ने दावा किया है कि उन्होंने ऐसी बैटरी तैयार की है जो एक स्मार्टफोन को पांच दिन और इलेक्ट्रिक कार को 1,000 किलोमीटर से ज्यादा दूरी तक चार्ज रख सकती है।
रिसर्च
मोनाश यूनिवर्सिटी की टीम ने तैयार की लिथियम-सल्फर बैटरी
मेलबर्न की मोनाश यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स की टीम का कहना है कि उसने लिथियम-सल्फर बैटरी तैयार की है जो 'दुनिया की सबसे ज्यादा चलने वाली बैटरी' है।
यह पारंपरिक बैटरियों की तुलना में चार गुना अधिक चल सकती है और पर्यावरण के लिहाज से भी सुरक्षित है।
CNN के मुताबिक, टीम का कहना है कि वो जल्द ही इसको बाजार में उतारने वाली है।
अगर ऐसा होता है तो यह ग्रीन एनर्जी की दिशा में एक बड़ा कदम होगा।
लिथियम-सल्फर बैटरी
सफल नहीं रहा था पहले हुआ प्रयोग
अभी तक बाजार में मौजूद अधिकतर बैटरियां लिथियम-आयन से बनी होती है।
पिछले काफी समय से वैज्ञानिक लिथियम-सल्फर वाली बैटरी बनाने की कोशिश में जुटे हैं, जो ज्यादा समय तक पावर देती है।
हालांकि, इनकी एक कमी यह होती है कि इनका जीवनकाल कम होता है। पहले इन्हें कुछ हवाई जहाजों और कारों में इस्तेमाल किया गया था, लेकिन वो प्रयोग सफल नहीं हो पाया और ये बैटरियां लिथियम-आयन से बनी बैटरियों की जगह नहीं ले पाईं।
रिसर्च
इस बार बैटरी के डिजाइन में किए गए बदलाव
वहीं बैटरियों की जानकारी रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि बड़े स्तर पर लिथियम-सल्फर बैटरी को इस्तेमाल के लायक बनाए जाने की राह में कई चुनौतियां हैं। बैटरी में लिथियम और सल्फर लंबे समय तक काम नहीं कर सकते।
हालांकि, रिसर्चर ने इन चुनौतियों से पार पाने की कोशिश की है। उन्होंने बैटरी के डिजाइन में कुछ बदलाव किए हैं ताकि दबाव के बावजूद बैटरी की परफॉर्मेंस पर असर न पड़े।
टेस्टिंग
अगले कुछ महीनों में पूरी होगी टेस्टिंग
इस रिसर्च के लिए ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने टीम को आर्थिक सहायता दी है। इस बैटरी का पेटेंट करवा लिया गया है और अगले कुछ महीनों में इसकी बची हुई टेस्टिंग की जाएगी।
एक रिसर्चर ने बताया कि यह न सिर्फ ज्यादा समय तक चलेगी बल्कि इसको बनाना बेहद आसान और सस्ता भी है। साथ ही यह पर्यावरण के लिहाज से भी सुरक्षित है। इसके कचरे से पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं होगा।