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    #NewsBytesExclusive: देश की जेलों में बंद हैं 5,000 से अधिक विदेशी कैदी, बांग्लादेश से सबसे अधिक

    #NewsBytesExclusive: देश की जेलों में बंद हैं 5,000 से अधिक विदेशी कैदी, बांग्लादेश से सबसे अधिक
    लेखन भारत शर्मा
    Nov 27, 2021, 10:05 am 1 मिनट में पढ़ें
    #NewsBytesExclusive: देश की जेलों में बंद हैं 5,000 से अधिक विदेशी कैदी, बांग्लादेश से सबसे अधिक
    देश की जेलों में बंद है 5,000 से अधिक कैदी

    भारत घूमने आने के दौरान आपराधिक घटनाओं को अंजाम देने वाले विदेशियों के खिलाफ देश की पुलिस ने जमकर कार्रवाई की है। पुलिस ने न केवल उन्हें गिरफ्तार किया, बल्कि जेल की सलाखों के पीछे भी पहुंचाया है। वर्तमान में देश की जेलों में 5,000 से अधिक विदेशी अपने द्वारा किए गए अपराधों की सजा भुगत रहे हैं। इनमें पड़ोसी देशों के लोगों की संख्या अधिक है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है।

    2,127 विदेशियों को सुनाई जा चुकी है सजा

    NCRB के डाटा के अनुसार, देश में संचालित कुल 1,350 जेलों में 31 दिसंबर, 2019 तक कुल 5,008 कैदी और बंदी बंद थे। इनमें से 4,776 पुरुष और 832 महिला कैदी और बंदी है। इनमें से 1,867 पुरुष और 304 महिला अपराधियों को कोर्ट ने दोषी करार देकर सजा भी सुना दी है। इसी तरह 2,534 विदेशी पुरुष और 445 महिला के मामलों में अभी सुनवाई जारी है। सुनवाई के बाद उनके दोषी होने या नहीं होने का फैसला होगा।

    पश्चिम बंगाल की जेलों में बंद है सबसे अधिक विदेशी

    देश की जेलों में बंद कुल 5,008 विदेशी कैदियों और बंदियों में से सबसे अधिक 2,316 कैदी और बंदी पश्चिम बंगाल की जेलों में बंद है। इसी तरह महाराष्ट्र की जेलों में 517, उत्तर प्रदेश में 505, दिल्ली में 487, पंजाब में 209, हिमाचल प्रदेश में 154, कर्नाटक में 148, तमिलनाडु में 119, असम में 116, बिहार में 98, गुजरात और अंडमान की जेलों में 95-95 विदेशी कैदी और बंदी बंद है।

    इन राज्यों की जेलों में नहीं है कोई भी विदेशी कैदी या बंदी

    रिकॉर्ड के अनुसार, अरुणाचल, नागालैंड, सिक्किम, दमन और दीव, दादन नागर हवेली और लक्षद्वीप की जेलों में कोई भी विदेशी कैदी या बंदी बंद नहीं है। इस तरह अन्य राज्यों की जेलों में विदेशी कैदियों और बंदियों की संख्या एक से 90 के बीच है।

    जेलों में बंद हैं 30-50 साल की आयु के सबसे अधिक विदेशी कैदी

    देश की जेलों में बंद कुल सजाायाफ्ता विदेशी कैदियों में सबसे अधिक अधेड़ उम्र वर्ग से है। यही कारण है कि इन जेलों में बंद सबसे अधिक 978 सजायाफ्ता विदेशी कैदियों की उम्र 30 से 50 साल के बीच है। इसी तरह 904 विदेशी कैदियों और बंदियों की उम्र 18-30 साल के बीच है। इसके अलावा 289 कैदियों की उम्र 50 साल से अधिक है। जेलों में बंद सभी सजायाफ्ताद कैदियों में 1,867 पुरुष और 304 महिला कैदी हैं।

    देश की जेलों में बंद है बांग्लादेश के सबसे अधिक कैदी

    देश की जेलों में बंद सजायाफ्ता कैदियों में सबसे अधिक 1,420 बांग्लादेश के हैं। इसके बाद नेपाल के 228, म्यांमार के 155, नाइजीरिया के 125, पाकिस्तान के 94, नाइजीरिया को छोड़कर अन्य अफ्रीकी देशों के 21 और श्रीलंका के 19 कैदी है। इसी तरह चीन के छह, दक्षिणी अमेरिकी देशों के पांच, CIS रसियन फेडरेशन के दो, मध्य-पूर्वी देशों के छह, उत्तरी अमेरिकी देशों के दो, मालदीव का एक और 37 कैदी अन्य देशों के निवासी हैं।

    विचाराधीन बंदियों में भी बांग्लादेशियों की तादाद ज्यादा

    जेलों में बंद विचाराधीन विदेशी बंदियों में भी बांग्लादेशियों की तादाद सबसे ज्यादा 1,043 है। इसी तरह नाइजीरिया के 686, नेपाल के 517, म्यांमार के 146, नाइजीरिया को छोड़कर अन्य अफ्रीकी देशों के 129, पाकिस्तान के 109 और श्रीलंका के 46 बंदी है। इसी तरह CIS रसियन फेडरेशन के 12, चीन के 13, मध्य-पूर्वी देशों के 30, दक्षिण अमेरिकी देश 25, उत्तरी अमेरिकी देशों के छह, ऑस्ट्रेलिया के चार, मालदीव के दो तथा अन्य देशों के 210 बंदी है।

    विदेशी कैदियों और बंदियों के लिए है अलग बैरक का प्रावधान

    दौसा केंद्रीय कारागार के जेल अधीक्षक आर अनंतेश्वर ने न्यूजबाइट्स हिंदी को बताया कि भारत आकर अपराध करने वाले विदेशियों को जब कोर्ट से जेल भेजा जाता है कि उन्हें रखने के लिए अलग बैरक बनाने के आदेश दिए जाते हैं। ऐसे में उन्हें भारतीय कैदियों और बंदियों से अलग रखा जाता है। उन्होंने कहा कि इसका प्रमुख कारण होता है कि भारतीय कैदियों के साथ रखे जाने पर विदेशियों की जान को खतरा होने का खतरा रहता है।

    खान-पान और कार्य में रखी जाती है समानता

    जेल अधीक्षक अनंतेश्वर ने बताया कि भले ही सुरक्षा की दृष्टि से विदेशी कैदियों को अलग बैरक में रखने का प्रावधान है, लेकिन खान-पान और कार्य में कोई भेदभाव नहीं किया जाता है। जेलों में सभी कैदियों और बंदियों को समान खान दिया जाता है और सजा के अनुसार ही उनसे शारीरिक श्रम कराया जाता है। उन्होंने बताया कि पाकिस्तानी कैदियों को विशेष तौर पर बिल्कुल अलग रखा जाता है, जबकि अन्य विदेशियों को एक बैरक में रखा जाता है।

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