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    पुलिसवालों को ही नहीं पता कानून, बच्चों के रेप के 57% मामलोें में नहीं लगाया POCSO

    पुलिसवालों को ही नहीं पता कानून, बच्चों के रेप के 57% मामलोें में नहीं लगाया POCSO

    लेखन मुकुल तोमर
    Nov 05, 2019
    08:53 pm

    क्या है खबर?

    कानून के विभिन्न प्रावधानों को लेकर खुद पुलिसकर्मियों में कितनी कम जानकारी है, इसकी एक बानगी राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी हालिया आंकड़ों से मिलती हैं।

    NCRB के आंकड़ों के अनुसार, 2017 में बच्चों के खिलाफ रेप के 17,557 मामले सामने आए थे, लेकिन इनमें से 57 प्रतिशत मामलों में प्रिवेंशन ऑफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसज एक्ट (POCSO) नहीं लगाया गया।

    POCSO बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों के मामलों में लगाया जाता है।

    रिपोर्ट

    उत्तर प्रदेश में बच्चों के रेप के सबसे ज्यादा मामले

    NCRB की रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में बच्चों के रेप के सबसे ज्यादा 1,609 मामले उत्तर प्रदेश में सामने आए। ये पूरे देश में सामने आए बच्चों के रेप के कुल मामलों का 9 प्रतिशत है।

    वहीं प्रति लाख जनसंख्या पर बच्चों के खिलाफ के मामले में मिजोरम सबसे आगे है और यहां ऐसे 129 मामले सामने आए।

    रिपोर्ट के अनुसार, बच्चों के रेप के लगभग 90 प्रतिशत मामलों में अभी भी सुनवाई चल रही है।

    जानकारी

    केवल 7,498 मामलों में किया गया POCSO कानून का प्रयोग

    NCRB की इसी रिपोर्ट के अनुसार, 2017 में सामने आए बच्चों के रेप के कुल मामलों में से बस 7,498 मामलों में POCSO कानून लगाया गया। बाकी के मामलों में IPC की धारा 376 लगाई गई जो रेप से संबंधित है।

    प्रतिक्रिया

    कैलाश सत्यार्थी के संगठन ने कहा, पुलिसकर्मियों को कानून की कम जानकारी

    आंकड़ों पर बयान जारी करते हुए नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के फाउंडेशन KSCF ने कहा है कि इसके लिए या तो पुलिसकर्मियों में कानून को लेकर कम जानकारी है या फिर उनकी तरफ से अनिच्छा जिम्मेदार है।

    इसमें कहा गया है, "ये हमारी व्यवस्था में एक गंभीर खामी है जिसका संज्ञान लिए जाने की जरूरत है ताकि तत्काल कार्रवाई की जा सके। बच्चों के खिलाफ रेप के सभी मामलों में POCSO लगाना कानूनी तौर पर आवश्यक है।"

    बयान

    बाल अधिकार कार्यकर्ता भी बोले, पुलिसकर्मियों में जागरूकता की कमी

    वहीं बाल अधिकार कार्यकर्ता अनंत कुमार अस्थाना ने भी यही चिंता जताते हुए कहा कि ये मुख्यतौर पर POCSO कानून को लेकर पुलिसकर्मियों में कम जागरूकता का मामला है।

    उन्होंने कहा कि इस संबंध में ट्रेनिंग समेत तमाम तरह के प्रयास किए गए हैं और पिछले 3-4 सालों में बच्चों के खिलाफ रेप के मामलों में POCSO की धाराएं लगाए जाने के मामलों में वृद्धि हुई है जबकि केवल IPC की धारा लगाए जाने के मामलों में कमी आई है।

    तुलना

    पिछले वर्षों में अच्छी नहीं थी स्थिति

    अगर पिछले सालों की बात करें तो सामने आता है कि पहले भी बच्चों से रेप के मामलों में POCSO कानून लगाने को लेकर स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी।

    2014 की NCRB रिपोर्ट के अनुसार, इस साल बच्चों से रेप के लगभग 74 प्रतिशत मामलों में POCSO नहीं लगाया गया।

    अगले साल ये आंकड़ा घटकर 55 प्रतिशत पर आ गया और अब थोड़ा बढ़कर 57 प्रतिशत पर पहुंच गया है।

    2016 की रिपोर्ट में इससे संबंधित आंकड़े शामिल नहीं थे।

    POCSO कानून

    क्या है POCSO कानून?

    बच्चों के खिलाफ रेप और अन्य यौन अपराधों पर सख्ती के लिए 2012 में POCSO एक्ट लाया गया था।

    इसमें पीड़ित बच्चों को जल्द से जल्द से न्याय दिलाने और सुनवाई के लिए विशेष अदालत लगाने जैसे प्रावधान शामिल हैं।

    सरकार ने हाल ही में POCSO कानून में संशोधन किया था जिसके बाद अब बच्चों के रेप के दोषियों को मौत की सजा दी जा सकेगी। पहले उम्रकैद तक की सजा तक का प्रावधान था।

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