#NewsBytesExclusive: परिवार नियोजन में महिलाओं से पिछड़े पुरुष, नसबंदी में रहा महज 0.3 प्रतिशत योगदान
आधुनिक युग में भले ही महिलाएं हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं, लेकिन पुरुष प्रधान समाज आज भी अपना वर्चस्व बनाए रखना चाहता है। हालांकि परिवार नियोजन के मामले में वह महिलाओं से पीछे रहना ही पसंद करता है। यही कारण है कि देश में परिवार नियोजन के तहत कराए गए नसबंदी ऑपरेशनों में पुरुषों का योगदान महज 0.3 प्रतिशत रहा है, जबकि महिलाओं की हिस्सेदारी 37.9 प्रतिशत रही। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 (NFHS-5) में यह खुलासा हुआ है।
परिवार नियोजन में नसबंदी है सबसे बड़ा साधन
देश में बढ़ती आबादी को रोकने के लिए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से परिवान नियोजन कार्यक्रम के तहत कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें कंडोम का इस्तेमाल, गर्भनिरोधक गोलियां और इंजेक्शन, कॉपर-टी या अन्य गर्भनिरोधी उपकरण और नसबंदी ऑपरेशन शामिल हैं। इनमें नसबंदी ऑपरेशन को जनसंख्या नियंत्रण का स्थायी समाधान माना जाता है, लेकिन सरकार अभी तक इसमें पुरुषों की भागीदारी बढ़ाने में पूरी तरह से विफल साबित रही है।
NFHS-5 में हुआ चौंकाने वाला खुलासा
साल 2019-2021 के बीच किए गए NFHS-5 सर्वे में सामने आया कि देश में 15-50 साल के विवाहित महिला और पुरुषों में से नसबंदी ऑपरेशन में महिलाओं की भागीदारी सबसे अधिक रही। परिवार नियोजन के लिए जहां 37.9 प्रतिशत महिलाओं ने नसबंदी करवाई है, वहीं पुरुषों की भागीदारी 0.3 प्रतिशत रही है। बता दें कि साल 2015-16 के NFHS-4 सर्वे में 36 प्रतिशत महिलाओं और 0.3 प्रतिशत पुरुषों ने नसबंदी ऑपरेशन कराने की बात सामने आई थी।
नसबंदी कराने में अव्वल रही ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं
NFHS-5 सर्वे के अनुसार, नसबंदी ऑपरेशन कराने में ग्रमीण महिलाओं की भागीदारी सबसे अधिक रही है। ग्रामीण क्षेत्र की 38.7 प्रतिशत विवाहित महिलाओं ने नसंबदी ऑपरेशन कराए हैं, वहीं शहरी क्षेत्र की 36.3 प्रतिशत महिलाएं ही ऐसा कर पाई। इसी तरह पुरुष नसबंदी में जहां 0.3 प्रतिशत ग्रामीण पुरुषों ने नसबंदी करवाई है, वहीं शहरी क्षेत्र के 0.2 प्रतिशत विवाहित पुरुष ही ऐसा कर सके हैं। ऐसे में परिवार नियोजन में ग्रामीण आबादी अव्वल रही है।
नसबंदी के मामले में यह रही प्रमुख राज्यों की स्थिति
NFHS-5 सर्वे के अनुसार, तमिलनाडु में क्रमश: 57.8/0.1 प्रतिशत विवाहित महिला-पुरुषों ने नसबंदी करवाई है। इसी तरह पु़डुचेरी में क्रमश: 53.8/0.3 प्रतिशत महिला-पुरुष, मध्य प्रदेश में 51.9/0.7 प्रतिशत महिला-पुरुष, छत्तीसगढ़ में 47.5/0.8 प्रतिशत महिला-पुरुष, राजस्थान में 42.4/0.3 प्रतिशत महिला-पुरुष, झारखंड में 37.4/0.3 प्रतिशत महिला-पुरुष, हरियाणा में 32.3/0.3 प्रतिशत महिला- पुरुष, ओडिशा में 28.0/0.3 प्रतिशत महिला-पुरुष, उत्तराखंड में 26.0/0.7 प्रतिशत महिला-पुरुष, पंजाब में 22.8/0.5 प्रतिशत महिला-पुरुष और चंडीगढ़ में 19.0/0.3 प्रतिशत महिला-पुरुषों ने नसबंदी कराई है।
दिल्ली सहित अन्य राज्यों की क्या रही स्थिति?
सर्वे के अनुसार, दिल्ली में क्रमश: 18/0.3 प्रतिशत महिला-पुरुष, उत्तर प्रदेश में 16.9/0.1 प्रतिशत महिला-पुरुष, बिहार में 34.8/0.1 प्रतिशत महिला-पुरुष, महाराष्ट्र में 49.1/0.4 प्रतिशत महिला-पुरुष और कर्नाटक में 57.4/0.0 प्रतिशत महिला-पुरुषों ने नसबंदी कराई है।
सरकारी प्रोत्साहन भी नहीं कर सका प्रेरित
पुरुषों में नसबंदी ऑपरेशन को लोकप्रिय बनाने के लिए सरकारों ने कई तरह के प्रयास भी किए, लेकिन सार्थक परिणाम सामने नहीं आ पाए हैं। राजस्थान में सरकार की ओर से नसबंदी ऑपरेशन कराने पर महिलाओं को 1,000 रुपये और पुरुषों को 2,000 रुपये प्रोत्साहन राशि दी जाती है। इसी तरह महिलाओं को लाने वाले प्रेरक को 200 रुपये और पुरुष प्रेरक को 300 रुपये दिए जाते हैं। इसके बाद भी पुरुष नसबंदी कराने से कतरा रहे हैं।
नसबंदी में पुरुषों के पिछड़ने का क्या है कारण?
दौसा के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (CMHO) डॉ सुभाष बिलोनिया ने न्यूजबाइट्स हिंदी से कहा, "पुरुषों के नसबंदी नहीं कराने के पीछे कई तरह की भ्रांतियां काम करती हैं। इनमें शरीर का कमजोर होना, सेक्स पावर कम होना, नसबंदी ऑपरेशन को मुश्किल और खतरनाक मानना आदि प्रमुख कारण शामिल हैं।" उन्होंने कहा, "नसबंदी ऑपरेशन की प्रक्रिया बेहद आसान है और यह कुछ ही मिनटों में पूरा हो जाता है। इसके शरीर पर कोई दुष्परिणाम नहीं पड़ते हैं।"
ग्रामीण क्षेत्रों में फैली हुई हैं कई अफवाहें
डॉ बिलोनिया ने कहा, "ग्रणमीण क्षेत्रों में यह भी भ्रांति है कि नसबंदी के बाद जरूरत पड़ने पर इसे खत्म नहीं किया जा सकता है। इसे पुरुषों की चारित्रिक छवि से भी जोड़कर देखा जाता है। धारणा है कि ऑपरेशन के बाद कुछ दिन आराम बेहद जरूरी है।" उन्होंने कहा, "ग्रामीण क्षेत्रों में परिवार के भरण-पोषण की जिम्मेदारी अधिकतर पुरुषों के कंधों पर होती है। ऐसे में परिजन भी उन्हें नसबंदी ऑपरेशन नहीं करवाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।"