ज्ञानवापी मस्जिद मामला: सुप्रीम कोर्ट ने वाराणसी जिला न्यायालय में ट्रांसफर किया केस
सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद में कराए गए वीडियो सर्वेक्षण के खिलाफ मामले में सुनवाई हुई। इसमें कोर्ट ने वाराणसी सिविल कोर्ट की ओर से दिए गए वीडियो सर्वेक्षण के आदेश में दखल देने से इनकार कर दिया और मामले सिविल कोर्ट से जिला न्यायालय में ट्रांसफर करने का आदेश दिया। ऐसे में अब इस मामले की सुनवाई वाराणसी के जिला न्यायाधीश करेंगे। तब तक शिवलिंग मिलने वाली जगह की सुरक्षा बरकरार रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या दिया है आदेश?
मामले में सुनवाई करते हुए जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा, "इस मामले को ओर अधिक अनुभव के साथ सुने जाने की आवश्यकता है। ऐसे में इसे अब जिला न्यायालय में ट्रांसफर किया जा रहा है। जिला न्यायाधीश अपने स्तर पर इसकी सुनवाई करें, क्योंकि उनके पास 25 साल का अनुभव है।" उन्होंने कहा, "हम ट्रायल जज पर आक्षेप नहीं कर रहे हैं, लेकिन अधिक अनुभव के साथ मामले से निपटना चाहिए। इससे सभी पक्षों को फायदा होगा।"
जिला न्यायाधीश करेंगे मस्जिद समिति की याचिका पर फैसला- सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मस्जिद के अंदर पूजा के मुकदमे की सुनवाई जिला न्यायाधीश द्वारा की जानी चाहिए। अब इस मामले में जिला न्यायाधीश ही मस्जिद समिति की याचिका पर फैसला करेंगे कि हिंदू पक्ष द्वारा मुकदमा चलने योग्य था या नहीं।
"हम राष्ट्र के संतुलन को बनाए रखने के लिए संयुक्त मिशन पर हैं"
सुप्रीम कोर्ट ने कहा, "कृपया यह न भूलें कि हम राष्ट्र के संतुलन को बनाए रखने के लिए एक संयुक्त मिशन पर हैं। ये जटिल सामाजिक समस्याएं हैं और इंसान द्वारा कोई भी समाधान सही नहीं हो सकता। हमारे अंतरिम आदेश का उद्देश्य शांति और सौहार्द बनाए रखना है।" कोर्ट ने कहा, "17 मई को दिया अंतरिम आदेश आठ सप्ताह तक जारी रहेगा। जिसमें शिवलिंग वाले स्थान को सुरक्षित रखना और मुस्लिमों को नमाज पढ़ने से न रोकना शामिल है।"
मस्जिद समिति ने सुनवाई के दौरान दी यह दलील
सुनवाई के दौरान मस्जिद समिति के वकील कहा कि उनकी याचिका कोर्ट द्वारा नियुक्त किए गए कमीशन के खिलाफ है। मामले को बढ़ाने के लिए आयोग की रिपोर्ट को लीक किया गया है। ऐसे में वाराणसी कोर्ट के आदेशों को गैरकानूनी और अवैध घोषित किया जाना चाहिए। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह मुस्लिम पक्ष में ही सुझाव रख रहे हैं। वह ट्रायल जज को नहीं कह सकते हैं कि उन्हें कमीशन की रिपोर्ट का क्या करना चाहिए।
कैसे हुई थी मामले की शुरुआत?
मामले की शुरूआत वाराणसी कोर्ट में दिल्ली की पांच महिलाओं की याचिका के साथ हुई। उन्होंने मस्जिद परिसर में मौजूद मां शृंगार गौरी, भगवान गणेश, भगवान हनुमान और अन्य देवी-देवताओं के दर्शन, पूजा और भोग की इजाजत साल भर के लिए मांगी थी। उन्होंने मस्जिद परिसर में मौजूद कुएं में शिवलिंग होने का दावा करते हुए मूर्तियों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए सर्वे की मांग की थी। इस पर कोर्ट ने वीडियो सर्वे का आदेश दिया था।
सर्वे में मस्जिद के तालाब में शिवलिंग मिलने का दावा
वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद 16 मई को मस्जिद का वीडियो सर्वे किया गया था। सर्वे के बाद याचिकाकर्ता के वकील सुभाष नंदन चतुर्वेदी ने मस्जिद में स्थित तालाब में शिवलिंग मिलने का दावा किया था। हालांकि, मस्जिद कमेटी ने इस दावे को खारिज कर दिया था। इसके खिलाफ 17 मई को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई में कोर्ट ने सर्वे रोकने से इनकार करते हुए शिवलिंग वाली जगह को सील करने और सुरक्षा बढ़ाने का आदेश दिया था।