
बिहार: सिर्फ 1 रूपये फीस लेते हैं आरके सर, सैकड़ों छात्रों को बना चुके हैं इंजीनियर
क्या है खबर?
एक तरफ जहां देश की बड़ी-बड़ी कोचिंग इंजीनियरिंग और मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन की तैयारी कराने के लिए हजारों-लाखों रूपये फीस वसूल करती हैं तो वहीं बिहार में एक ऐसे शिक्षक हैं जिनकी फीस सिर्फ एक रूपये है।
बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले आरके श्रीवास्तव गणित विषय के शिक्षक हैं और वे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के बच्चों से सिर्फ एक रूपये फीस लेकर उन्हें शिक्षा देते हैं।
महत्व
पिता के देहांत के बाद आरके ने समझा शिक्षा का महत्व
आरके सर का पूरा नाम रजनीकांत श्रीवास्तव है।
बचपन में ही उनके पिता का देहांत हो गया था, जिसके बाद पुश्तैनी खेती से उनका घर चलता रहा। आगे चलकर उनके बड़े भाई ने घर खर्च निकालने के लिए एक ऑटो भी खरीद लिया।
बड़े भाई पर परिवार का बढ़ता बोझ देखकर उन्हें यह समझ आ गया था कि पढ़ाई ही सफलता की कुंजी है जिसके जरिए कोई गरीब बच्चा अपने भविष्य को बेहतर बना सकता है।
इंजीनियर
इंजीनियर बनना चाहते थे आरके सर
द बेटर इंडिया से बात करते हुए श्रीवास्तव कहते हैं कि कक्षा 10 पास होने के बाद उन्होंने इंजीनियर बनने का सपना देखा था।
2004 में कक्षा 12 की बोर्ड परीक्षा की तैयारी के साथ-साथ वे इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) में प्रवेश की तैयारी भी करने लगे थे, लेकिन इस दौरान उन्हें टीबी की बीमारी हो गई जिसके कारण उन्हें नौ महीने तक अपने घर पर ही रहकर आराम करना पड़ा।
शिक्षक
श्रीवास्तव ने इस तरह लिया शिक्षक बनने का फैसला
श्रीवास्तव बताते हैं कि अपनी बीमारी के दौरान वे अपने घर के आसपास के बच्चों को पढ़ाने लगे और इसी दौरान उन्होंने फैसला किया कि उन्हें इंजीनियर नहीं बल्कि एक शिक्षक बनना है।
जीवन के इस कठिन दौर में उनकी पढ़ाई वरदान साबित हुई और तभी से छात्र उनको "मैथमेटिक्स गुरू" के नाम से जानने लगे।
उन्होंने कहा, "अगर 2004 में मैं IIT की प्रवेश परीक्षा पास कर लेता तो शायद आज यह काम नहीं कर पाता।"
एडमिशन
545 बच्चों को पढ़ाकर इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन दिलवा चुके हैं आरके सर
श्रीवास्तव अब तक 545 बच्चों को पढ़ाकर इंजीनियरिंग कॉलेज में एडमिशन दिलवा चुके हैं। इसके अलावा उनके कई छात्र अलग-अलग प्रतियोगी परीक्षाओं में भी सफल हो चुके हैं।
उन्होंने अपनी कोचिंग में पांच शिक्षकों को काम पर रखा है, जो रोहतास में ही रहकर बच्चों को पढ़ाते हैं।
उन्होंने बताया कि वह छात्रों का रहने और खाने का प्रबंध नहीं करते, लेकिन अगर कोई छात्र बहुत गरीब परिवार से होता है तो वह उनकी मदद करते हैं।
प्रतिभा
पाइथागोरस थ्योरम को 52 अलग-अलग तरीकों से सिद्ध कर सकते हैं आरके सर
15 सालों से श्रीवास्तव अपने गांव में स्पेशल कक्षाएं चलाते हैं जो आज दुनियाभर में 'एक रुपये दक्षिणा वाली क्लास' के नाम से जानी जाती है।
गणित के पाइथागोरस थ्योरम को बिना रुके 52 अलग-अलग तरीकों से सिद्ध करने के लिए उनका नाम 'वर्ल्ड बुक आफ रिकार्ड्स लंदन' में भी दर्ज है।
इसके अलावा उन्हें भारत के पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद समेत कई लोगों से ढेरों पुरस्कार भी मिल चुके हैं।