यूक्रेन ने भारत के रूस से सस्ता तेल खरीदने पर उठाए सवाल, जानें क्या कहा
यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्री कलेवा ने भारत के रूस से सस्ता तेल खरीदने पर सवाल उठाए हैं। एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि भारत रूस से सस्ती कीमत पर तेल इसलिए खरीद पा रहा है क्योंकि यूक्रेन युद्ध का दंश झेल रहा है। उन्होंने कहा कि युद्ध में रोजाना यूक्रेन के नागरिक मर रहे हैं और वो बिना किसी मूलभूत सुविधा के जीवन जीने को मजबूर हैं। भारत रूस से सस्ता तेल खरीदने का बचाव करता रहा है।
यूक्रेनी विदेश मंत्री ने क्या कहा?
दिमित्री कलेवा ने NDTV को दिए इंटरव्यू में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, "यदि आपको (भारत) हमारी पीड़ा के कारण फायदा मिल रहा है तो यह अच्छा होगा कि आप भी हमें और सहायता प्रदान करें।" उन्होंने कहा कि केवल यूरोपीय संघ (EU) पर उंगलियां उठाना और यह कहना काफी नहीं है कि वो भी ऐसा कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इसे मानव पीड़ा की नजर से देखने की जरूरत है।
जयशंकर ने क्या बोला था?
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने सोमवार को कहा था कि फरवरी से नवंबर के बीच नौ महीनों के दौरान यूरोप ने भारत के मुकाबले रूस से छह गुना अधिक तेल खरीदा है। उन्होंने कहा था कि यूरोप अपनी ऊर्जा जरूरतों को प्राथमिकता देते हुए भारत से इससे अलग उम्मीद नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के बीच व्यापार बढ़ाने पर बातचीत रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने से काफी पहले शुरू हो गई थी।
कलेवा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र से जताई उम्मीद
इंटरव्यू में कलेवा ने पिछले कई महीनों से यूक्रेन और रूस के बीच जारी जंग का अंत खोजने में भारत की भूमिका के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि वैश्विक क्षेत्र में भारत एक बहुत महत्वपूर्ण खिलाड़ी है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी आवाज से बदलाव ला सकते हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन उस पल का इंतजार कर रहा है कि जब भारत स्पष्ट शब्दों में इसे युद्ध की जगह "रूस के आक्रमण" का नाम देगा।
24 फरवरी से जारी है रूस और यूक्रेन देशों के बीच युद्ध
बता दें कि रूस ने 24 फरवरी को यूक्रेन पर हमला किया था और तभी से दोनों देशों में युद्ध जारी है। हालिया समय में युद्ध में रूस को कई बड़े झटके लगे हैं और यूक्रेनी सेना कई शहरों को उसके कब्जे से छुड़ा चुकी है। युद्ध की शुरुआत से ही दोनों देश सैनिकों की मौत की संख्या को छिपाते आए हैं। दोनों देशों की तरफ से जारी संख्या अमेरिकी अनुमान की तुलना में बेहद कम है।