सुलेमानी की मौत: भारत पर कैसे असर डालेगा ईरान-अमेरिका के बीच जारी तनाव?
शुक्रवार सुबह अमेरिकी हमले में ईरान के शीर्ष कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत हो गई थी। अमेरिका ने उन्हें आतंकवादी घोषित कर रखा था। वहीं ईरान में सुलेमानी को हीरो की नजर से देखा जाता था और वो देश के सर्वोच्च नेता के बेहद करीबी थे। सुलेमानी की मौत के बाद ईरान और अमेरिका आमने-सामने आ गए हैं और इनके बीच तल्खी बढ़ सकती है। इस बीच भारत ने दोनों पक्षों से संयम बरतने की अपील की है।
सबसे पहले जानिये, कौन थे कासिम सुलेमानी?
जनरल कासिम सुलेमानी ईरान की कुद्स फोर्स के प्रमुख थे। मध्य-पूर्व में ईरान का प्रभुत्व बढ़ाने में उनका अहम योगदान था। कुद्स फोर्स ईरान की शक्तिशाली इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कॉर्प्स (IRGC) का एक हिस्सा है और यह विदेशों में अभियानों को अंजाम देती है। सुलेमानी 1998 से इसके प्रमुख थे और ईरान में उनका रुतबा किसी सेलिब्रिटी से कम नहीं था। उन्हें ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामनेई का करीबी माना जाता था।
अमेरिका ने क्यों बनाया सुलेमानी को निशाना?
बता दें कि अमेरिका और ईरान में इस्लामिक क्रांति के दौर से ही दुश्मनी चल रही है। हाल ही के समय में भी दोनों देशों में कई मुद्दों को लेकर तनाव बना हुआ है। पिछले हफ्ते बगदाद में अमेरिकी दूतावास पर भीड़ के हमले ने इस तनाव को और बढ़ा दिया और अमेरिका ने इसके पीछे ईरान का हाथ बताया। चूंकि सुलेमानी इराक में ईरान के अभियान संभालते हैं, इसलिए अमेरिका ने उन्हें निशाना बनाते हुए ये हमला किया।
भारत के लिए जरूरी है ईरान और अमेरिका दोनों
सुलेमानी को मारकर अमेरिका ने ईरान के साथ राजनयिक संबंधों के दरवाजे बंद कर लिए हैं वहीं ईरान भी आसानी से इस घटना को भूलने वाला नहीं है। दोनों देशों के बीच बढ़े इस तनाव से भारत भी प्रभावित होगा। एक तरफ अमेरिका भारत का प्रमुख रणनीतिक साझेदार है तो दूसरी तरफ ईरान का भी भारत के लिए काफी महत्व है। गौर करने वाली बात है कि ईरान में लगभग 80 लाख भारतीय रहते हैं।
चाबहार पोर्ट को लेकर भी चिंताए
भारत की चिंता इस बात को लेकर भी है कि इस तनाव का असर चाबहार पोर्ट के निर्माण पर न पड़े। दरअसल भारत ईरानी शहर चाबहार के इस पोर्ट का विकास कर रहा है और दोनों देशों के लिए यह रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है।
भारत ने की शांति बनाए रखने की अपील
सुलेमानी की मौत के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने सधी हुई प्रतिक्रिया देते हुए बयान जारी किया था। भारत ने अमेरिका द्वारा ईरान के शीर्ष कमांडर को मारने की बात कहते हुए कहा कि यह जरूरी है कि दोनों के बीच तनाव और न बढे। विदेश मंत्रालय ने कहा, "भारत हमेशा से संयम बनाए रखने का पक्षधर रहा है और आगे भी रहेगा। इस इलाके में शांति, स्थिरता और सुरक्षा भारत के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।"
भारत की चिंताएं तेल और व्यापार को लेकर भी
अमेरिका और ईरान के बीच तनाव का असर तेल के दामों पर पड़ेगा और इसके कीमतें आसमान छू सकती हैं। हालांकि, भारत ईरान से तेल नहीं लेता है, लेकिन तनाव से सऊदी अरब से होने वाली तेल सप्लाई पर असर पड़ेगा। इसके अलावा इससे भारत का मिडल-ईस्ट देशों (सऊदी अरब, कुवैत, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन और ओमान) से होने वाला व्यापार भी प्रभावित होगा। भारत ने इन देशों के साथ पिछले अप्रैल-नवंबर में 78 बिलियन डॉलर का व्यापार किया है।
राजनयिक लिहाज से भी अच्छी नहीं है ईरान और अमेरिका की लड़ाई
ईरान और अमेरिका में तनाव के बीच भारत के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह खुद को कहां खड़ा करता है। हाल ही में विदेश मंत्री ने अपने ईरानी समकक्ष से मुलाकात की थी।