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    #NewsBytesExplainer: कैसे 2016 की नोटबंदी से अलग है 2,000 रुपये के नोटों की वापसी का फैसला? 
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    #NewsBytesExplainer: कैसे 2016 की नोटबंदी से अलग है 2,000 रुपये के नोटों की वापसी का फैसला? 

    लेखन सकुल गर्ग
    May 20, 2023 | 06:49 pm 1 मिनट में पढ़ें
    #NewsBytesExplainer: कैसे 2016 की नोटबंदी से अलग है 2,000 रुपये के नोटों की वापसी का फैसला? 
    भारतीय रिजर्व बैंक वापस लेगा 2,000 रुपये के नोट

    भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने का ऐलान किया है। RBI ने बैंकों को 2,000 रुपये के नोट जारी करने से मना करते हुए लोगों को नोट बदलने की सलाह दी है। इस ऐलान के बाद लोग RBI के इस ऐलान की 2016 में हुई नोटबंदी से तुलना कर रहे हैं, जबकि ऐसा नहीं है। आइए समझते हैं कि इस बार की स्थिति 2016 की नोटबंदी से कैसे पूरी तरह अलग है।

    फिलहाल अमान्य घोषित नहीं किए गए हैं 2,000 के नोट 

    RBI ने 2,000 रुपये के नोटों को अमान्य घोषित नहीं किया है, जबकि 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोट अमान्य हो गए थे। वहीं RBI ने साफ तौर पर कहा है कि नोट वैध मुद्रा बने रहेंगे और 30 सितंबर तक लेनदेन के लिए इनका इस्तेमाल जारी रखा जा सकता है। इस तरह इन नोटों का मूल्य बना रहेगा, जबकि 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों ने रातोंरात अपना मूल्य खो दिया था।

    कुल मुद्रा में 2,000 रुपये के नोटों का काफी कम हिस्सा

    2,000 रुपये के नोट वर्तमान में बाजार में मौजूद कुल मुद्रा का काफी छोटा हिस्सा रखते हैं। इसका मतलब है कि आम लोगों के पास 2,000 रुपये के नोटों की काफी कम मात्रा है, जबकि 2016 में आम लोगों और दुकानदारों के पास 500 और 1,000 रुपये के काफी नोट मौजूद थे। 2016 में हुई नोटबंदी के दौरान लोगों के बीच नोट बदलने को लेकर फैली दहशत की संभावना इस बार ना के बराबर है।

    बाजार में पहले से कम हो रहे थे 2,000 रुपये के नोट

    नोटबंदी की अवधि के बाद से ही 2,000 रुपये के नोटों की छपाई में लगातार गिरावट देखी जा रही है। RBI के मुताबिक, मार्च, 2020 में बाजार में 2,000 रुपये के कुल 274 करोड़ नोट मौजूद थे, जो कुल नोटों की संख्या का मात्र 2.4 प्रतिशत था। वहीं मार्च, 2022 के अंत में 2,000 रुपये के नोटों की संख्या गिरकर 1.6 प्रतिशत यानी 214 करोड़ हो गई। इससे पता चलता है कि बाजार में नोट धीरे-धीरे कम हो रहे थे।

    पहले भी नोटों को वापस लेने का निर्णय ले चुका है RBI 

    यह पहला मौका नहीं है, जब RBI ने नोटों को वापस लेने का निर्णय लिया है। RBI ने 2014 में कहा था कि 2005 से पहले जारी हुए सभी बैंक नोटों को पूरी तरह से वापस लेगा। RBI स्वच्छ नोट नीति के तहत समय-समय पर इस तरह की कवायद करता है। इस लिहाज से 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने की तुलना 2016 की नोटबंदी की जगह 2014 में हुई घटना से की जानी चाहिए।

    क्या कहते हैं RBI के आंकड़े?

    RBI के आंकड़ों के मुताबिक, 31 मार्च, 2023 तक बाजार में 2,000 रुपये के नोटों का कुल मूल्य कुल मुद्रा का केवल 10.8 प्रतिशत था। अगर 5 साल पहले की बात करें तो 31 मार्च, 2018 को 2,000 रुपये के कुल नोटों का मूल्य 6.73 लाख करोड़ रुपये था, जो कुल मुद्रा का 37.3 प्रतिशत था। वहीं 31 मार्च, 2023 को इन नोटों का कुल मूल्य घटकर 3.62 लाख करोड़ रुपये हो गया।

    अब आगे क्या होगा? 

    लोगों को 2016 की नोटबंदी की तरह घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि सभी बैंक 23 मई से 2,000 रुपये के नोटों को स्वीकार करते हुए जमा करना या बदलना शुरू कर देंगे। लोग अगले चार महीनों तक आसानी से अपने नोटों को बदल सकते हैं या उन्हें अपने बैंक खाते में जमा करवा सकते हैं। संभावना है कि 30 सितंबर के बाद भी 2,000 रुपये के नोट वैध मुद्रा बने रहें और इनका लेनदेन चालू रहे।

    8 नवंबर, 2016 को हुई थी नोटबंदी की घोषणा

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 की रात अचानक देश को संबोधित करते हुए कालेधन को बाहर निकालने के लिए नोटबंदी का ऐलान किया था। उस दौरान उन्होंने 1,000 और 500 रुपये के पुराने नोटों को आधी रात से चलन से बाहर किए जाने की घोषणा की थी। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस साल 2 जनवरी को अहम फैसला जारी करते हुए नोटबंदी के सरकार के फैसले को कानूनी तौर पर सही ठहराया था।

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