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    RBI का डिजिटल रुपी क्या है और यह कैसे काम करेगा?
    भारतीय रिजर्व बैंक ने जारी किया ई-रुपी का पायलट

    RBI का डिजिटल रुपी क्या है और यह कैसे काम करेगा?

    लेखन भारत शर्मा
    Nov 01, 2022
    08:08 pm

    क्या है खबर?

    भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने मंगलवार को देश की पहली डिजिटल करेंसी के रूप में ई-रुपी (e-rupee) का पायलट लॉन्च कर दिया है। इसका इस्तेमाल विशेष उपयोग के मामलों में किया जाएगा।

    RBI की ओर से कहा गया है कि शुरुआत में देश के नौ बैंक इस ई-रुपी का उपयोग सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन निपटाने के लिए करेंगे।

    ऐसे में आइए जानते हैं कि क्या है ई-रुपी और यह करेंसी के रूप में कैसे काम करेगा।

    बयान

    RBI ने क्या जारी किया है बयान?

    RBI द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि सेंट्रल बैंक डिजिटल करेंसी (CBDC) लाने की अपनी योजना की दिशा में ई-रुपी का पहला पायलट परीक्षण एक नवंबर को शुरू होगा। इसमें देश के नौ बैंक शामिल होंगे और वह सरकारी प्रतिभूतियों में द्वितीयक बाजार लेनदेन के निपटान में इसका उपयोग करेंगे।

    इन बैंकों में भारतीय स्टेट बैंक (SBI), बैंक ऑफ बड़ौदा, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, HDFC, ICICI, कोटक महिंद्रा, यस बैंक, IDFC फर्स्ट बैंक और HSBC शामिल है।

    सवाल

    क्या है ई-रुपी?

    RBI ने डिजिटल करेंसी यानी ई-रुपी को CBDC नाम दिया है। यह किसी केंद्रीय बैंक की तरफ से उनकी मौद्रिक नीति के अनुरूप नोटों का डिजिटल स्वरूप है, लेकिन इसका रूप अलग होगा।

    RBI द्वारा जारी डिजिटल करेंसी एक लीगल टेंडर (कानूनी निविदा) है। इसका विनिमय मौजूदा मुद्रा के बराबर होगा और इसे भुगतान, लीगल टेंडर और मूल्य के सुरक्षित स्टोर के रूप लिया जाएगा।

    यह RBI की बैलेंस शीट पर देनदारी के तौर पर दिखेगी।

    प्रकार

    कितने प्रकार की होती है CBDC?

    केंद्रीय बैंकों द्वारा नियंत्रित डिजिटल करेंसी को दो प्रकारों में विभाजित किया जा सकता है।

    पहला प्रकार रिटेल (CBDC-R) और दूसरा प्रकार होलसेल (CBDC-W) होता है। CBDC-R नकदी का इलेक्ट्रॉनिक वर्जन है और यह सबके लिए उपलब्ध होगी।

    वहीं CBDC-W को चुनिंदा वित्तीय संस्थानों को खास एक्सेस देने के लिए डिजाइन किया जाता है।

    यह बैंकों के आपसी ट्रांसफर और होलसेल लेनदेन के लिए इस्तेमाल होगी। RBI दोनों ही जारी करने पर विचार कर रहा है।

    फायदा

    डिजिटल करेंसी का क्या होगा फायदा?

    केंद्रीय बैंक ने कहा कि डिजिटल करेंसी धारक के पास बैंक अकाउंट होना जरूरी नहीं होगा। इसके इस्तेमाल से बड़ी मात्रा में रियल टाइम डाटा उपलब्ध होगा। इसका इस्तेमाल नीति निर्धारण में हो सकेगा।

    इसी तरह व्यापार में पैसो का लेनदेन आसान होगा, मोबाइल वॉलेट की तरह सेकंडों में बिना इंटरनेट के लेनदेन होगा, नकली नोट की समस्या से छुटकारा मिलेगा, नोटों की छपाई का खर्च बचेगा, इसकी अवधि कागज के नोटों की तुलना में अनिश्चित होगी।

    अंतर

    CBDC और क्रिप्टोकरेंसी में क्या है अंतर?

    RBI की डिजिटल करेंसी क्रिप्टोकरेंसी से कई मायनों में अलग होगी। क्रिप्टोकरेंसी डीसेंट्रलाइज्ड होती हैं और वो लीगल टेंडर नहीं मानी जाती।

    क्रिप्टोकरेंसी की कीमत बहुत अस्थिर होती है, जबकि CBDC को स्थिरता और सुरक्षा के लिए डिजाइन किया गया है।

    RBI का कहना है कि क्रिप्टो संपत्ति का प्रसार मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकी वित्तपोषण के खतरे को बढ़ावा दे सकता है। साथ ही यह मौद्रिक नीतियों को भी प्रभावित कर सकती है।

    सवाल

    क्या ई-रुपी का इस्तेमाल करना चाहिए और यह गोपनीय होगा?

    RBI के अनुसार, बड़े पैमाने पर डिजिटल करेंसी के इस्तेमाल के लिए इसे गोपनीय रखने की आवश्यकता होगी। हालांकि, डिजिटल लेनदेन में कुछ सबूत होने के कारण यह एक चुनौती हो सकती है।

    केंद्रीय बैंकों का कहना है कि CBDC के डिजाइन में गोपनीयता को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

    खासकर नकद भुगतान से जुड़ी गोपनीयता के समान छोटे मूल्य के खुदरा लेनदेन के मामले में यह गोपनीय होना चाहिए। इससे लोगों को अपनी आय गुप्त रखने में मदद मिलेगी।

    इस्तेमाल

    क्या ई-रुपी के जरिए ऑफलाइन लेनदेन किया जा सकेगा?

    RBI ने अभी इस पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन यह एक बड़ी चुनौती है। उसे इसे भी ऑफलाइन मोड में शामिल करना होगा, क्योंकि देश के 80 करोड़ लोग आज भी अच्छी इंटरनेट सुविधा से अछूते हैं।

    हालांकि, ऑफलाइन मोड में दोहरे खर्च के साथ सुरक्षात्मक खतरे भी हैं। इसमें एक टोकन तकनीकी रूप से CBDC लेजर को अपडेट किए बिना दो बार उपयोग किया जा सकता है, लेकिन लेनदेन की सीमा निर्धारित कर सुरक्षात्मक उपाय कर सकते हैं।

    अर्थव्यवस्था

    डिजिटल करेंसी का अर्थव्यवस्था पर क्या पड़ेगा असर?

    डिजिटल करेंसी पर RBI का रेगुलेशन होने से मनी लॉन्ड्रिंग, टेरर फंडिंग और धोखाधड़ी आशंका नहीं रहेगी। सरकार की सभी अधिकृत नेटवर्क के भीतर होने वाले लेनदेन तक पहुंच होगी और पैसों के देश में आने या बाहर जाने पर बेहतर नियंत्रण होगा।

    इससे सरकार भविष्य के लिए बेहतर बजट और आर्थिक योजनाएं भी बना सकेगी। यह प्रणाली देश की डिजिटल अर्थव्यवस्था को मजबूत करेगी और इसका पूरी अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव दिखाई देगा।

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