डॉलर के मुकाबले गिरते भारतीय रुपये का आम जिंदगी पर क्या असर पड़ता है?
भारतीय रुपया सोमवार को अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 52 पैसे की गिरावट के साथ अपने इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है। सुबह बाजार खुलने पर भारतीय रुपये ने 77.17 से शुरूआत की, लेकिन जल्द ही ये एक डॉलर के मुकाबले 77.42 के मूल्य पर पहुंच गया। इससे पहले मार्च में इसकी सबसे कम कीमत 76.98 रुपये थी। आइये जानते हैं कि डॉलर के मुकाबले गिरते भारतीय रुपये का आम जिंदगी पर क्या असर पड़ता है?
रुपये में गिरावट से जेब पर पड़ता है सीधा असर
रुपये में गिरावट का सीधा असर आपकी जेब पर पड़ता है। विदेश से आयात होने वाली वस्तुओं के लिए डॉलर में भुगतान करना होता है और आयातकों को अधिक पैसा चुकाना पड़ता है। ऐसे में आयातित सामान और महंगे हो जाते हैं। उदाहरण के तौर पर तेल आयात महंगा होने से सीधा असर उपभोक्ताओं पर पड़ता है। इसी तरह अन्य आयातित वस्तुओं के दाम भी बढ़ते हैं और लोगों को इनकी खरीद के लिए अधिक पैसा चुकाना पड़ता है।
महंगा हो जाता है ऋण
रुपये में गिरावट से कीमतें बढ़ती हैं और यह महंगाई की दर बढ़ाती है। बढ़ती मुद्रास्फीति के कारण RBI को रेपो रेट में परिवर्तन करना पड़ता है। गत बुधवार को रेपो रेट को 40 बेसिस प्वाइंट बढ़ाकर 4.40 प्रतिशत कर दिया गया है। इससे बैंक ऋण दर भी बढ़ती है और लोगों के लिए कर्ज महंगा हो जाता है। इससे लोग बैंक से ऋण लेने में कतराते हैं और बाजार में भी कम पैसा होता है। इससे अर्थव्यवस्था चरमराती है।
कार और अन्य सामानों की कीमतों में इजाफा
रुपये की गिरावट के साथ आयातित लक्जरी कार और उनके उपकरण भी महंगे होने लगते हैं। इसके अलावा आयातित फोन, उनसे जुड़े उपकरण और अन्य इलेक्टि्रक उत्पादों की कीमतों में इजाफा होता है और अधिक पैसा चुकाना पड़ता है।
शेयर बाजार और विदेशी शिक्षा पर भी पड़ता है प्रभाव
डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट शेयर बाजार को भी प्रभावित करती है। गिरते रुपये से इक्विटी बाजारों में तेज गिरावट नजर आती है और शेयर तथा इक्विटी म्यूचुअल फंड निवेश में कमी आती है। इसी तरह विदेशी शिक्षा अधिक महंगी हो जाती है। लोगों को विदेशी शिक्षा के लिए कॉलेजों के लिए डॉलर में पैसा खर्च करना होता है और रुपये में गिरावट से उन्हें अधिक पैसा देना होता है। ऐसे में विदेशी शिक्षा का बजट गड़बड़ा जाता है।
विदेश यात्रा और विदेशी कमाई पर भी पड़ता है असर
रुपये की गिरावट का सीधा असर विदेश यात्रा के बजट पर भी पड़ता है। विदेशों में घूमने के लिए लोगों को डॉलर का इस्तेमाल करना होता है। ऐसे में उन्हें डॉलर के लिए अधिक रुपया खर्च करना होता है। इससे उनकी पूरी विदेश यात्रा का बजट बिगड़ जाता है। हालांकि, रुपये में गिरावट से विदेशों में काम करने वाले लोगों का फायदा होता है। भारत में पैसा भेजते समय उन्हें डॉलर के मुकाबले अधिक भारतीय रुपया मिलता है।
क्यों गिर रही है रुपये की कीमत?
भारतीय रुपये की कीमत गिरने के कई कारण है। इसका एक अहम कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना है। रूस-यूक्रेन युद्ध और तेल की बढ़ती कीमतों जैसी वजहों से सुरक्षित माने जाने वाले डॉलर में निवेश बढ़ा है। इसके अलावा भारत से विदेशी निवेश के जाने और घरेलू बाजार में विदेशी निवेश के कम होने का असर भी रुपये पर पड़ा है। अकेले गुरूवार को विदेशी निवेशकों ने लगभग 2,075 करोड़ रुपये की कीमत के शेयर बेचे।
RBI को रुपये में गिरावट रोकने के अब तक के प्रयासों में मिली असफलता
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये के मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए तमाम प्रयास कर रहा है, हालांकि उसके सारे प्रयास विफल रहे हैं। बुधवार को ही RBI ने रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की थी और अब ये 4.40 प्रतिशत हो गई है। विदेशी मुद्रा भंडार का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, जो एक साल में पहली बार 600 अरब डॉलर से नीचे पहुंच गया है। इसके बावजूद रुपये की गिरावट थमी नहीं है।