
नोटबंदी के 6 साल: रिकॉर्ड स्तर पर पहुंची लोगों के पास मौजूद नकदी
क्या है खबर?
नोटबंदी के छह साल बाद लोगों के पास मौजूद नकदी रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गई है। मंगलवार को नोटबंदी हुए छह साल पूरे हो जाएंगे। हालांकि, अब भी लेनदेन के लिए नकदी ही लोगों की पहली पसंद है।
21 अक्टूबर, 2022 को समाप्त पखवाड़े में लोगों के पास 30.88 लाख करोड़ रुपये की नकदी थी, जो 4 नवंबर, 2016 की तुलना में 72 प्रतिशत ज्यादा है। छह सालों में लोगों के पास मौजूद नकदी करीब 13 लाख करोड़ बढ़ी है।
पृष्ठभूमि
8 नवंबर, 2016 को हुई थी नोटबंदी की घोषणा
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर, 2016 की रात अचानक देश को संबोधित करते हुए कालेधन को बाहर निकालने के लिए नोटबंदी का ऐलान किया था।
उस दौरान उन्होंने 1,000 और 500 रुपये के पुराने नोटों को चलन से बाहर कर दिया था।
हालांकि, इस फैसले को देश की अर्थव्यवस्था के लिए बड़ा झटका माना गया और यह अपने तय लक्ष्यों को हासिल करने में भी कामयाब नहीं हो सका।
अब सुप्रीम कोर्ट इस फैसले की समीक्षा करेगा।
जानकारी
नोटबंदी के तुरंत बाद घटी थी लोगों के पास नकदी
4 नवंबर, 2016 को नोटबंदी से कुछ दिन पहले लोगों के हाथ में करीब 18 लाख करोड़ रुपये की नकदी थी, जो नोटबंदी के कुछ समय बाद जनवरी, 2017 में घटकर करीब आठ लाख करोड़ रुपये हो गई थी।
बता दें कि लोगों के पास मौजूद नकदी की गणना चलन में कुल मुद्रा में से बैंकों के पास जमा मुद्रा घटाकर की जाती है।
वहीं पिछले कुछ समय से चलन में नकदी का इस्तेमाल भी बढ़ रहा है।
लेनदेन
बढ़ा है नकदी के जरिये लेनदेन
भले ही सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ऑनलाइन लेनदेन को बढ़ावा देने का प्रयास कर रहे हैं, लेकिन चलन में मुद्रा का इस्तेमाल बढ़ा है। शुरुआत में 2020 में लॉकडाउन के दौरान इसमें इजाफा दर्ज किया गया था। इस दौरान लोगों ने अपनी जरूरत की वस्तुएं खरीदने के लिए नकदी जमा करना शुरू कर दिया था।
2017-18 में GDP के अनुपात में 10.7 प्रतिशत नकदी चलन में थी, जो 2020-21 में बढ़कर 14.4 प्रतिशत हो गई।
जानकारी
डिजिटल लेनदेन में भी दर्ज हुआ है इजाफा
रिजर्व बैंक के आंकड़े दिखाते हैं कि पिछले कुछ सालों में डिजिटल लेनदेन बढ़ा है और इसी दौरान GDP के अनुपात में चलन में नकदी भी बढ़ी है।
त्योहारी सीजन के दौरान नकदी की मांग सबसे ज्यादा रहती हैं क्योंकि कई संख्या में व्यापारी अब भी लेनदेन के लिए नकदी का इस्तेमाल कर रहे हैं। वहीं देश में 15 करोड़ लोगों के पास बैंक अकाउंट नहीं है और उनके लिए लेनदेन का सबसे बड़ा माध्यम नकदी ही है।
जानकारी
नोटबंदी के फैसले की होगी समीक्षा
सुप्रीम कोर्ट मोदी सरकार की ओर से साल 2016 में की गई नोटबंदी के फैसले की समीक्षा करेगा।
पिछले महीने इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवधिान पीठ ने केंद्र सरकार और भारतीय रिजर्ब बैंक (RBI) से मामले में विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा था।
मामले से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि वह सरकार के नीतिगत फैसलों की न्यायिक समीक्षा पर 'लक्ष्मण रेखा' से अवगत है, लेकिन नोटबंदी के फैसले की समीक्षा जरूर करेगा।