डॉलर के मुकाबले फिर कमजोर हुआ भारतीय रुपया, अपने इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंचा
क्या है खबर?
भारतीय रुपये में आज अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 52 पैसे की गिरावट दर्ज की गई और इसी के साथ ये अपने इतिहास के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया है।
सुबह बाजार खुलने पर भारतीय रुपये ने 77.17 से शुरूआत की, लेकिन जल्द ही ये एक डॉलर के मुकाबले 77.42 के मूल्य पर पहुंच गया।
इससे पहले डॉलर के मुकाबले रुपये की सबसे निचली कीमत 76.98 रुपये थी जो उसने मार्च में छुई थी।
कीमत
क्यों गिर रही है रुपये की कीमत?
भारतीय रुपये की कीमत गिरने के कई कारण है। इसका एक अहम कारण अंतरराष्ट्रीय बाजार में अमेरिकी डॉलर का मजबूत होना है। रूस-यूक्रेन युद्ध और तेल की बढ़ती कीमतों जैसी वजहों से सुरक्षित माने जाने वाले डॉलर में निवेश बढ़ा है।
इसके अलावा भारत से विदेशी निवेश के जाने और घरेलू बाजार में विदेशी निवेश के कम होने का असर भी रुपये पर पड़ा है।
अकेले गुरूवार को विदेशी निवेशकों ने लगभग 2,075 करोड़ रुपये की कीमत के शेयर बेचे।
प्रयास
विफल रहे हैं रुपये में गिरावट रोकने के RBI के अब तक के प्रयास
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) रुपये के मूल्य में गिरावट को रोकने के लिए तमाम प्रयास कर रहा है, हालांकि उसके सारे प्रयास विफल रहे हैं।
बुधवार को ही RBI ने रेपो रेट में 40 बेसिस प्वाइंट की वृद्धि की थी और अब ये 4.40 प्रतिशत हो गई है। विदेशी मुद्रा भंडार का भी इस्तेमाल किया जा रहा है, जो एक साल में पहली बार 600 अरब डॉलर से नीचे पहुंच गया है।
इसके बावजूद रुपये की गिरावट थमी नहीं है।
बयान
विशेषज्ञों ने बताया क्यों चिंतित हैं निवेशक
ICICI सिक्योरिटीज ने मामले पर मिंट से कहा कि बाजार में कमजोरी है क्योंकि निवेशक बढ़ती महंगाई, दुनियाभर में सख्त होती मुद्रा नीतियों, आर्थिक सुस्ती और बढ़ते भूराजनैतिक तनावों को लेकर चिंतित हैं। इसके अलावा निवेशक तेल की बढ़ती कीमतों को लेकर भी चिंतित हैं।
महंगाई
मार्च में 17 महीने में सबसे अधिक रही थी महंगाई दर
बता दें कि देश में मार्च में महंगाई दर 6.95 प्रतिशत रही जो पिछले 17 महीने में सबसे अधिक है। महंगाई दर में ये उछाल सब्जी, दूध, मीट और अनाज जैसी खाद्य सामग्रियों और ईंधन की कीमत में उछाल के कारण आया है।
खाद्य सामग्रियों की कीमत में सबसे अधिक उछाल देखने को मिला और इनकी महंगाई दर 7.68 प्रतिशत रही।
अप्रैल में महंगाई दर इससे भी अधिक रहने का अनुमान है।
रेपो रेट और महंगाई
न्यूजबाइट्स प्लस
रेपो रेट वह ब्याज दर होती है जिस पर RBI बैंकों को कर्ज देती है। जब रेपो रेट बढ़ती है तो बैंकों को लोन के लिए ज्यादा ब्याज चुकाना पड़ता है और इसका असर आम लोगों पर भी पड़ता है। कई बार महंगाई को नियंत्रित करने के लिए रेपो बढ़ाई जाती है।
उदाहरण के लिए, रेपो रेट बढ़ने पर बैंक RBI से कम लोन लेंगे और लोग भी लोन महंगा होने के कारण बाजार में पैसा लगाने से बचेंगे।