सरकार की राडार पर भारत में मौजूद चीनी कंपनियां, PLA से संबंधों को लेकर शक
सीमा विवाद के बाद देश में चीन विरोधी लहर जोरों पर है। सरकार भी निर्यात और दूसरी चीजों के मामले में चीन पर निर्भरता कम करने की कोशिश में लगी है। इसी बीच खबर आई है कि सरकार उन चीनी कंपनियों पर नजर रख रही है, जिनका कथित तौर पर चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के साथ संबंध है। साथ ही वो कंपनियां भी राडार पर हैं, जिनमें चीन से निवेश होता है। आइये, पूरी खबर जानते हैं।
चीन से आ रहा फंड भी राडार पर
TOI ने खबर दी है कि कंपनियों और स्टार्टअप में चीन से आ रहे फंड पर कड़ी नजर रखी जा रही है। साथ ही इनकी जांच भी होगी, जिसमें देखा जाएगा कि ये किसी भी प्रकार से देश की सुरक्षा के लिए खतरा तो पैदा नहीं कर रहे हैं। दूसरी तरफ विदेश मंत्रालय और सिक्योरिटी एक्सचेंज ब्यूरो ऑफ इंडिया (SEBI) उन प्रक्रियाओं को पूरा कर रहे हैं, जिसके जरिये चीन से आने वाले विदेशी संस्थागत निवेशक (FII) की जांच होगी।
बाजार को प्रभावित किए बिना जांच की कोशिश
वित्त मंत्रालय और SEBI चाहते हैं कि बाजार की भावनाओं को प्रभावित किए बिना ऐसी जांच होनी चाहिए। एक सरकारी अधिकारी ने बताया कि आंकड़ों की जांच के साथ-साथ जानकारी देने और निगरानी की प्रक्रिया तय की जा रही है।
गलवान घाटी की झड़प के बाद बदले हालात
गौरतलब है कि 15 जून को गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना के 20 जवान शहीद हुए थे। इसके बाद से भारत सरकार ने चीन के साथ व्यापारिक रिश्तों और दूसरी चीजों की समीक्षा शुरू की थी। सरकार ने इसी दिशा में बढ़ते हुए चीनी कंपनियों की 59 ऐप्स को भी बैन कर दिया था। पूरी दुनिया में अपना बाजार बनाने के प्रयासों में जुटी चीनी कंपनियों के लिए बड़ा झटका था।
कई देश दे चुके चीनी कंपनियों को झटका
इसके अलावा सरकार ने रेलवे और टेलीकॉम क्षेत्र से भी चीनी कंपनियों को बाहर का रास्ता दिखाया था। अब भारत में 5G टेक्नोलॉजी अपग्रेडेशन में हुवाई और ZTE की हिस्सेदारी को लेकर संदेह गहरा गया है। अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड आदि देशों ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए हुवाई के संचालन को सीमित कर दिया है। कथित तौर पर हुवाई के संस्थापक के चीनी सेना के साथ संबंध हैं, जबकि कंपनी इससे इनकार करती है।
कई कंपनियों के रह चुके हैं चीनी सेना से संबंध
सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार ने हुवाई के अलावा दूसरी कंपनियों को भी जांच के दायरे में रखा है। स्टार्टअप में निवेश करने वाले लोग भी सरकार की नजर में हैं। उन पर अप्रत्यक्ष तरीके से चीनी सेना के किसी योजना का हिस्सा होने का शक है। रिपोर्ट के मुताबिक, पहले कई माइनिंग, ऑटो और स्टील कंपनियों के चीनी सेना के साथ संबंध थे। अब भले ही ये कंपनियां अलग हो गई हैं।
कई विदेशों कंपनियों पर चीन का नियंत्रण
सरकार ने यह भी पाया है कि भारत में निवेश करने वाली कई विदेशी कंपनियां, जिनमें यूरोपीय कंपनियां भी शामिल हैं, उन पर चीन का नियंत्रण होता है। इसलिए सरकार इन सब चीजों पर नजर रखने के लिए नए नियम तैयार कर रही है।