चीन के साथ तनाव के बीच मालाबार नौसैनिक अभ्यास के लिए ऑस्ट्रेलिया को न्यौता देगा भारत
क्या है खबर?
भारत अपने सालाना मालाबार नौसैनिक अभ्यास में हिस्सा लेने के लिए ऑस्ट्रेलिया को आमंत्रित करने की योजना बना रहा है। इस अभ्यास में अमेरिका और जापान भी हिस्सा लेंगे।
पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तनाव के बीच भारत का ये फैसला चीन के लिए एक बड़ा संदेश माना जा रहा है जो इन चारों देशों को एकजुट होने से रोकने का प्रयास कर रहा है। चीन का इस पर सख्त आपत्ति जताना भी लगभग तय है।
पृष्ठभूमि
1992 में शुरू हुआ था मालाबार नौसैनिक अभ्यास
भारत और अमेरिका की नौसेनाओं ने 1992 में बंगाल की खाड़ी स्थित मालाबार में अभ्यास करना शुरू किया था और 2004 से इस अभ्यास को नियमित तौर पर किया जा रहा है। दोनों देश अन्य एशियाई देशों को भी इस अभ्यास में हिस्सा लेने का न्यौता देते रहे हैं और पिछले कई साल से जापान इन अभ्यास में लगातार हिस्सा ले रहा है।
2015 में जापान को इस अभ्यास में शामिल किए जाने पर चीन ने सख्त आपत्ति जताई थी।
ऑस्ट्रेलिया
अगले हफ्ते ऑस्ट्रेलिया को न्यौता भेजेगा भारत
अब भारत ने इस साल के मालाबार नौसैनिक अभ्यास में ऑस्ट्रेलिया को भी शामिल करने का फैसला लिया है। 'ब्लूमबर्ग' की रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार से अंतिम मंजूरी और जापान और अमेरिका से विचार-विमर्श के बाद भारत अगले हफ्ते ऑस्ट्रेलिया को आधिकारिक न्यौता भेज सकता है।
ऑस्ट्रेलिया के रक्षा विभाग के एक प्रवक्ता ने कहा कि एक आजाद और समृद्ध इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में सामूहिक हितों को आगे बढ़ाने के लिए ऑस्ट्रेलिया इस अभ्यास को अहम मानता है।
आशंका
ऑस्ट्रेलिया को न्यौते पर आपत्ति जता सकता है चीन
इससे पहले 2007 में भी ऑस्ट्रेलिया भारत, अमेरिका, जापान और सिंगापुर के साथ एक नौसैनिक अभ्यास में शामिल हुआ था और तब चीन ने इस पर सख्त आपत्ति जताई थी।
इस बार भी चीन की प्रतिक्रिया कुछ ऐसी ही रह सकती है, विशेषकर ये देखते हुए कि इस समय चारों देशों के साथ उसके रिश्ते तनावपूर्ण चल रहे हैं। उसका ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका के साथ व्यापार और कोरोना वायरस और जापान के साथ एक द्वीप समूह को लेकर विवाद है।
कारण
इसलिए चारों देशों को एकजुट होने से रोकना चाहता है चीन
दरअसल, भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के समूह को आमतौर पर 'क्वॉड' के नाम से जाना जाता है और 2004 में सुनामी के बाद इंडो-पैसिफिक क्षेत्र के देशों की मदद करने के लिए इसे बनाया गया था।
क्षेत्र में चीन की बढ़ती दादागीरी और उस पर लगाम कसने के लिए इसे 2017 में फिर से जिंदा किया गया और यही कारण है कि चीन इन चारों देशों के समूह के अपने लिए खतरे के तौर पर देखता है।
राय
चीन को जाएगा कड़ा संदेश- विशेषज्ञ
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि साल के अंत में होने वाला चारों देशों का ये नौसैनिक अभ्यास चीन को सख्त संदेश भेजेगा कि चारों देश सैन्य स्तर पर भी एक साथ हैं।
चीन मामलों के जानकार राजेश्वरी पिल्लई राजागोपालन के अनुसार, "क्वॉड हमेशा सुरक्षा मंच रहा है, लेकिन इसका कोई सैन्य संदर्भ नहीं रहा है। चीन के तनाव बढ़ाने और क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने के कारण मालाबार अभ्यास के जरिए ये भी हो जाएगा।"