अमेरिका में राष्ट्र सुरक्षा के लिए खतरा घोषित हुईं चीनी कंपनियां हुवाई और ZTE
क्या है खबर?
अमेरिका के फेडरल कम्युनिकेशन कमीशन (FCC) ने चीन की तकनीकी कंपनियों, हुवाई और ZTE को अमेरिका की 'राष्ट्र सुरक्षा' के लिए खतरा बताया है।
कंज्यूमर टेक्नोलॉजी और टेलीकॉम डिवाइस उपलब्ध कराने वाली दोनों कंपनियों के लिए इस कदम को बड़े झटके के तौर पर देखा जा रहा है।
अमेरिका के इस फैसले से एक दिन पहले ही भारत ने राष्ट्र की संप्रुभता और सुरक्षा के खतरे का हवाला देते हुए 59 चाइनीज ऐप्स बैन की थी।
रिश्ते
अमेरिका और चीन के बीच जारी है तनाव
FCC के प्रमुख अजित पाई की तरफ से जारी बयान में हुवाई और ZTE के साथ-साथ उनकी पैरेंट कंपनी, उससे जुड़ी संस्थाएं और सब्सिडियरी को भी अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा बताया है।
FCC के पब्लिक सेफ्टी एंड होमलैंड एंड सिक्योरिटी ब्यूरो ने बताया कि यह कदम अमेरिका के कम्युनिकेशन नेटवर्ट और 5G को सुरक्षा जोखिमों से बचाने के लिए लिया गया है।
बता दें कि बीते कुछ समय से चीन और अमेरिका के बीच तल्खी बनी हुई है।
वजह
अमेरिका की सुरक्षा के लिए खतरा कैसे?
पाई ने कहा कि हुवाई और ZTE, दोनों कंपनियों के चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और वहां की सेना के नजदीकी संबंध है। साथ ही दोनों कंपनियां चीनी कानून के तहत काम करती है। इस वजह से उन्हें देश की खुफिया एजेंसियों को सूचनाएं देनी पड़ती है। इसलिए ये अमेरिका की सुरक्षा के लिए एक खतरा बनी हुई है।
पाई ने यह भी कहा कि यह फैसला सोच-समझकर और गहन बातचीत के बाद लिया गया है।
जानकारी
हम साफ संदेश देना चाहते हैं- पाई
पाई ने कहा, "इस फैसले के साथ हम साफ संदेश देना चाहते हैं कि सरकार और खासकर FCC चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को अमेरिकी संचार नेटवर्क में कमजोरियों का फायदा उठाने और हमारे महत्वपूर्ण संचार बुनियादी ढांचे से समझौता करने की अनुमति नहीं देगा।"
असर
इस फैसले से दोनों कंपनियों पर क्या असर पड़ेगा?
इस फैसले के बाद हुवाई और ZTE के साथ कारोबार करने के लिए अमेरिकी कंपनियों पर सरकार के सब्सिडी फंड से पैसा खर्च करने पर रोक लग गई है।
FCC ने साफ किया है कि अमेरिकी कंपनियां इस फंड के पैसे से हुवाई और ZTE द्वारा बनाई गई या उपलब्ध कराई गई कोई सेवा या उत्पाद न तो खरीद सकती हैं, न अपने पास रख सकती हैं, न उनमें किसी प्रकार का सुधार या बदलाव कर सकती हैं।
प्रतिक्रिया
दोनों कंपनियों की तरफ से नहीं आई प्रतिक्रिया
अभी तक इस मामले में दोनों चीनी कंपनियों की तरफ इस फैसले पर प्रतिक्रिया नहीं आई है। हालांकि, उन्होंने पहले यह जरूर कहा था कि वो अमेरिकी सुरक्षा के लिए खतरा नहीं है।
आपको बता दें कि इसी तरह के एक फैसले में भारत सरकार ने BSNL को अपग्रेडेशन के लिए चीन में बने सामान को इस्तेमाल न करने को कहा है।
दोनों देशों के बीच सीमा को लेकर चल रहे विवाद के बीच यह फैसला लिया गया था।