गलवान घाटी में भारत-चीन के सैनिकों के बीच कैसे और क्यों हुई झड़प? जानिए पूरा घटनाक्रम
क्या है खबर?
गलवान घाटी में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हुई हिंसा में 20 भारतीय जवानों की शहादत पर पूरा देश शोक में है। घटना में 43 चीनी सैनिकों के मरने या घायल होने की खबरें भी हैं।
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर दोनों देशों के बीच झड़प कोई नई बात नहीं है, लेकिन इतने सैनिकों का मरना अप्रत्याशित है।
आइए जानते हैं कि 15-16 जून की रात यहां ऐसा क्या हुआ, जिसके कारण इतने सैनिकों को जान गंवानी पड़ी।
स्थान
सबसे पहले जानें कहां स्थित है गलवान घाटी और क्यों है विवाद
गलवान घाटी विवादित क्षेत्र अक्साई चिन में है। यहां पर LAC अक्साई चीन को भारत से अलग करती है और यह चीन के दक्षिणी शिनजियांग और भारत के लद्दाख तक फैली है। 1962 के युद्ध में भी ये क्षेत्र जंग का प्रमुख केंद्र रहा था।
मौजूदा विवाद भारत के दौलत बेग ओल्डी सैन्य हवाई अड्डे तक सड़क बनाने के कारण पैदा हुआ है। इस सड़क निर्माण को अवैध बताते हुए चीन अपनी सेनाएं LAC तक ले आया है।
जानकारी
इस इलाके में हुई हिंसा
इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, हिंसा LAC और भारत की तरफ स्थित गलवान और श्योक नदियों के संगम के बीच हुई। पिछले काफी दिनों से इलाके में दोनों देशों की सेनाएं आमने-सामने हैं और विवाद निपटाने के लिए दोनों देशों में सैन्य बातचीत भी हुई थी।
मामला
चीनी सैनिक समझौते के तहत पीछे हटे या नहीं, ये देखने गए थे कर्नल
भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच हुई इस बातचीत में इलाके में एक 'बफर जोन' बनाने पर रजामंदी बनी थी। इसके तहत भारत को अपने सैनिक गलवान-श्योक नदियों के संगम तक पीछे हटाने थे, वहीं चीन को अपने सैनिक LAC से दो-तीन किलोमीटर पीछे हटाने थे।
सोमवार शाम को 16 बिहार रेजीमेंट के कमांडिग ऑफिसर (CO) कर्नल बी संतोष बाबू अपने सैनिकों के साथ ये देखने के लिए गए कि चीनी सैनिक पीछे हटे हैं या नहीं।
घटनाक्रम
पीछे हटने के बजाय चीनी सैनिकों ने बफर जोन में बनाई नई पोस्ट
चीनी सैनिकों ने पीछे हटने की बजाय बफर जोन में एक नई पोस्ट बनाना शुरू कर दिया था। CO संतोष बाबू ने उन्हें समझौते का पालन करते हुए पीछे हटने की बात कही और इसी दौरान चीनी सैनिकों ने पत्थर, रॉड और कटीले तारों के डंडों से हमला कर दिया।
हमले में CO गंभीर रूप से घायल हो गए और उन्हें वापस पोस्ट पर लाया गया। घटना में चीन ने भारत के कई सैनिकों को बंधक भी बना लिया।
घटनाक्रम
लड़ाई के दौरान टूटी चट्टान
इस बीच भारतीय सैनिकों का दूसरा गश्त दल मौके पर पहुंचा और चीनी सैनिकों ने उन पर भी हमला किया। इस दल ने चीनी हमले का हटकर जबाव दिया जिसमें दोनों तरफ नुकसान हुआ। चीन का भी दूसरा गश्त दल मौके पर आ गया और लड़ाई बढ़ गई।
ये लड़ाई एक चोटी पर हो रही थी और चीनी सैनिकों की बड़ी संख्या के कारण इसका एक हिस्सा टूट गया और सैनिक चट्टानों से टकराते हुए नीचे नदी में गिर गए।
मौतें
चोटी से नीचे गिरने के कारण मारे गए ज्यादातर चीनी सैनिक
घटना में मारे गए ज्यादातर चीनी सैनिकों की मौत चोटी के टूटने और नीचे नदी में गिरने के कारण हुई है। इसके अलावा भारत के कई सैनिक भी नीचे गिरे या फिर चीनी सैनिकों ने उन्हें नीचे धकेल दिया।
दोनों देशों के सैनिकों के बीच पत्थर, रॉड और कटीले तारों के डंडों से ये लड़ाई घंटों चली और आधी रात वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों के मौके पर पहुंचने के बाद सैनिक पीछे हटे।
बचाव अभियान
अंधेरे और ठंड के कारण बचाव अभियान में आई दिक्कतें
हिंसा थमने के बाद भारत ने नदी से अपने सैनिकों को निकालने के लिए अभियान चलाया। अंधेरे और ठंड के कारण ये अभियान बेहद चुनौतीपूर्ण रहा। ठंड और चोटों के कारण नदी में गिरे सैनिकों की हालत भी गंभीर थी और सुबह होते-होते उनमें से कई ने दम तोड़ दिया।
हालात पर काबू पाने के लिए कल दिन में दोनों देशों के बीच मेजर जनरल स्तर की बातचीत हुई, जिसके बाद चीनी सैनिक इस चोटी से पीछे हट गए।
इतिहास
1975 में आखिरी बार भारत-चीन सीमा पर शहीद हुए थे भारतीय जवान
बता दें कि भारत-चीन सीमा पर अंतिम बार 1975 में कोई भारतीय जवान शहीद हुआ था। तब चीनी सैनिकों ने अरुणाचल प्रदेश के तुलुंग ला में असल राइफल्स के एक गश्ती दल पर घात लगाकर हमला कर दिया था, जिसमें चार भारतीय जवान शहीद हुए थे।
नोट: स्पष्ट कर दें कि हमने तीन अलग-अलग रिपोर्ट के हवाले से ये घटनाक्रम बताया है। सेना या भारत सरकार की ओर से इस पर कोई भी आधिकारिक बयान जारी नहीं किया गया