
चीन ने भारत के साथ व्यापार घाटा कम करने के दिए संकेत- रिपोर्ट
क्या है खबर?
अमेरिका के साथ जारी टैरिफ युद्ध के बीच चीन ने भारत के सामने बड़ी पेशकश की है।
चीन ने संकेत दिए हैं कि वो भारत के साथ व्यापार घाटा कम करने के लिए भारत की चिंताओं पर गौर करेगा। इसका उद्देश्य अमेरिका के साथ जारी व्यापार युद्ध के बीच भारत को खुश करना है।
अनुमान है कि वित्त वर्ष 2025 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा करीब 8 लाख करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच सकता है।
रिपोर्ट
आयात बढ़ाकर व्यापार घाटा कम कर सकता है चीन
हिंदुस्तान टाइम्स ने मामले की जानकारी रखने वाले 3 लोगों के हवाले से बताया कि चीन ने टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं को दूर कर भारतीय वस्तुओं के अधिक आयात के माध्यम से व्यापार घाटे पर भारत की चिंताओं को दूर करने के लिए अनौपचारिक रूप से संकेत भेजे हैं।
भारत ने अभी तक इस मामले पर कोई औपचारिक रुख नहीं अपनाया है, क्योंकि ऐसी द्विपक्षीय वार्ता में पारस्परिकता का सिद्धांत शामिल होता है।
संकेत
चीन ने पहले भी दिए थे संकेत
इससे पहले चीनी राजदूत जू फेइहोंग ने चीन द्वारा अधिक भारतीय सामान खरीदने और भारतीय फर्मों से निवेश आकर्षित करने की संभावना को लेकर बयान दिया था।
उन्होंने कहा था, "भारत-चीन संबंध एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं और दिल्ली को चीनी कंपनियों के लिए एक निष्पक्ष और पारदर्शी माहौल बनाना चाहिए।"
9 अप्रैल को चीनी दूतावास ने कहा था, "ऐसे समय में जब अमेरिकी टैरिफ से नुकसान हो रहा है तो 2 बड़े विकासशील देशों को साथ आना चाहिए।"
भारत
मामले पर भारत का क्या रुख है?
भारत को आशंका है कि व्यापार बाधाओं को कम करने से भारत में चीनी सामानों की डंपिंग और बढ़ सकती है।
रिपोर्ट में जानकारों के हवाले से कहा गया है कि भारतीय पक्ष ने चीन के सामने 2 प्रमुख मुद्दे उठाए हैं- व्यापार घाटा और पूर्वानुमानित व्यापार व्यवस्थाओं की कमी।
एक शख्स ने कहा, "विशाल व्यापार घाटा एक समस्या है, दीर्घकालिक पूर्वानुमानित व्यवस्थाओं की भी आवश्यकता है। अगर राजनीति को व्यापार में लाया जाता है तो यह मददगार नहीं है।"
व्यापार घाटा
चीन के साथ भारत का कितना व्यापार घाटा है?
वाणिज्यिक खुफिया और सांख्यिकी महानिदेशालय (DGCIS) के अनुसार, 2021-22 में चीन के साथ भारत का व्यापार घाटा करीब 6 लाख करोड़ रुपये, 2022-23 में करीब 7 लाख करोड़ और 2023-24 में करीब 8 लाख करोड़ रुपये का था।
जानकारों का कहना है कि टैरिफ और गैर-टैरिफ बाधाओं में ढील से भारत की तुलना में चीन को ज्यादा फायदा होगा, क्योंकि इससे चीनी वस्तुओं के सीधे आयात की अनुमति मिल जाएगी, जो फिलहाल तीसरे देशों के जरिए भेजी जाती हैं।