किसानों के समर्थन में उतरे 30 पदक विजेता, राष्ट्रपति को वापस कर सकते हैं अपने पुरस्कार
क्या है खबर?
केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे किसानों को 30 से अधिक ओलंपिक और महाद्वीपीय मेडल विजेताओं का समर्थन मिला है। इनमें 1980 मॉस्को ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय हॉकी टीम के सदस्य रहे गुरमैल सिंह और सुरिंदर सिंह सोढ़ी भी शामिल हैं।
इन पूर्व खिलाड़ियों ने मुद्दे पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से मिलने की योजना भी बनाई है और वे आज राष्ट्रपति को पत्र लिख उनसे मिलने का समय मांगेंगे।
मुहिम
सज्जन सिंह चीमा ने किया सभी पूर्व खिलाड़ियों को एक साथ लाने का काम
इन सभी पदक विजेताओं को एक साथ लाने का काम किया है पूर्व बास्केटबॉल खिलाड़ी और अर्जुन पुरस्कार विजेता सज्जन सिंह चीमा ने।
चीमा पिछले कुछ समय से पंजाब के अपने साथी अर्जुन और पद्म पुरस्कार विजेता खिलाड़ियों को प्रदर्शनकारी किसानों के समर्थन में एकजुट कर रहे हैं और उन्हें अपने पुरस्कार राष्ट्रपति को लौटाने के लिए भी मना रहे हैं।
अभी तक वह 30 पूर्व आलंपिक और महाद्वीपीय पदक विजेताओं का समर्थन जुटाने में कामयाब रहे हैं।
बयान
चीमा बोले- किसान देश ही नहीं खिलाड़ियों को भी खाना प्रदान करता है
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए चीमा ने कहा, "मैं और मेरे तीन भाई- बलकर सिंह चीमा, कुलदीप सिंह चीमा और गुरमीत सिंह चीमा- ने बास्केटबॉल में भारत का प्रतिनिधित्व किया और हम सभी ये राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठा अपने पिता सुरजीत सिंह की बदौलत हासिल कर पाए, जिनकी कपूरथला के पास दबुलियान गांव में 20 एकड़ जमीन थी। एक किसान न केवल देश बल्कि खिलाड़ियों को भी खाना प्रदान करता है और हम इस लड़ाई में उनके साथ हैं।"
जज्बा
पिछले महीने ही कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए थे चीमा
63 वर्षीय चीमा हाल ही में कोरोना वायरस से संक्रमित भी पाए गए थे और अभी भी वह जालंधर अस्पताल के एक निजी वार्ड में भर्ती हैं।
इस बारे में उन्होंने कहा, "मुझे पिछले महीने कोविड-19 हुआ था। मैं अभी ICU से बाहर आया हूं और आशा करता हूं कि पुरस्कार लौटाने वालों के साथ जुड़ने के लिए समय पर ठीक हो जाऊंगा।"
उन्होंने कहा कि नए कृषि कानून किसानों के लिए अच्छे नहीं हैं।
पृष्ठभूमि
क्या है कृषि कानूनों का पूरा मामला?
मोदी सरकार कृषि क्षेत्र में सुधार के लिए तीन कानून लेकर लाई है जिनमें सरकारी मंडियों के बाहर खरीद के लिए व्यापारिक इलाके बनाने, अनुबंध खेती को मंजूरी देने और कई अनाजों और दालों की भंडारण सीमा खत्म करने समेत कई प्रावधान किए गए हैं।
पंजाब और हरियाणा समेत कई राज्यों के किसान इन कानूनों का जमकर विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि इनके जरिये सरकार मंडियों और न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से छुटकारा पाना चाहती है।
विरोध प्रदर्शन
बीते कई दिन से सड़कों पर हैं किसान
इन कानूनों के विरोध में कई राज्यों, विशेषकर पंजाब और हरियाणा, के किसान 25 नवंबर से ही दिल्ली मार्च पर निकले हुए हैं और उन्हें दिल्ली पहुंचने से रोकने की हरियाणा पुलिस की तमाम कोशिशें नाकाम रही हैं।
इस बीच किसानों को मनाने के लिए केंद्र सरकार ने उनके साथ तीन दौर की बैठक भी की हैं, हालांकि ये सभी बैठकें बेनतीजा रही हैं और किसान कानूनों को वापस लेने की अपनी मांग पर अड़े हुए हैं।