इजरायल-फिलिस्तीन युद्ध में कौन-सा देश किसके साथ?
इजरायल और फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह हमास के बीच जारी जंग में अब तक 1,100 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। हमास के हमले की दुनियाभर में निंदा की जा रही है। कई देशों ने इजरायल का समर्थन किया है, लेकिन कुछ ऐसे भी देश हैं जो हमास के हमले को उचित ठहरा रहे हैं। आइए जानते हैं कि वो कौन से देश हैं जो इजरायल के समर्थन में और कौन से फिलिस्तीन के समर्थन में है।
इजरायल के समर्थन में 84 देश
इजरायल के विदेश मंत्रालय ने दावा किया है कि दुनिया के करीब 84 देशों ने उनके समर्थन में बयान जारी किए हैं और हमास के हमलों की निंदा की है। टाइम्स ऑफ इजरायल ने विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता का हवाला देते हुए बताया कि अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, नॉर्वे और ऑस्ट्रिया सहित कई देशों में कई राजनीतिक नेताओं ने हमलों की निंदा की और इजरायल के आत्मरक्षा के अधिकार का समर्थन करते हुए बयान जारी किए हैं।
इजरायल के समर्थन में अधिकतर पश्चिमी देश
इजरायल के समर्थन में सामने आए अधिकतर पश्चिमी देश हैं। अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस और नॉर्वे जैसे देश न केवल इजरायल का समर्थन कर रहे हैं, बल्कि हमास के हमले के खिलाफ आत्मरक्षा के उसके अधिकारों का भी समर्थन कर रहे हैं। इस बीच अमेरिका ने इजरायल को सैन्य सहायता भी भेजी है। इनके अलावा जर्मनी, भारत, कनाडा, पोलैंड, स्पेन और यूरोपीय संघ ने भी इजरायल के प्रति समर्थन व्यक्त किया है।
भारत ने भी इजरायल का किया समर्थन
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को लिखा, 'इजरायल में आतंकवादी हमलों की खबर से गहरा दु:ख हुआ है। हमारी संवेदनाएं और प्रार्थनाएं निर्दोष पीड़ितों और उनके परिवारों के साथ हैं। हम इस कठिन समय में इजरायल के साथ एकजुटता से खड़े हैं।' भारत में इजरायल के राजदूत नाओर गिलोन ने दो कारणों से भारत के समर्थन को महत्वपूर्ण बताया। पहला दुनिया में भारत का महत्व और दूसरा, आतंकवाद के खिलाफ भारत और उसका जुड़ाव जो काफी पुराना है।
कौन से से देश हमास का समर्थन कर रहे?
हमास द्वारा इजरायल पर हमले के समर्थन में अधिकतर मध्य पूर्व के देश शामिल हैं। इनमें तुर्की, कतर, ईरान, लेबनान, दक्षिण अफ्रीका, यमन और सऊदी अरब जैसे देश हैं। इनमें भी कतर और ईरान ऐसे देश हैं जो पिछले कई वर्षों से फिलिस्तीनी आतंकवादी समूह की वित्तीय सहायता और सैन्य आपूर्ति के जरिए मदद करते हैं। ईरान ने तो हमास के इस ऑपरेशन में सीधा उसका समर्थन किया है और बैठकें तक की हैं।
कतर ने जारी तनाव के लिए इजरायल को ठहराया जिम्मेदार
हमास के प्रबल समर्थक कतर ने तो एक बयान जारी कर हमास के हमले के लिए भी इजरायल को जिम्मेदार ठहराया है। इसके अलावा बेरूट में कई लेबनानी नागरिकों ने इजरायल के खिलाफ हमास की लड़ाई के प्रति अपनी एकजुटता व्यक्त की है। कतर के विदेश मंत्रालय ने कहा, "फिलिस्तीनी लोगों के अधिकारों का उल्लंघन के कारण आज इतना तनाव बढ़ा है और इसके लिए इजरायल जिम्मेदार है जिसने हाल के समय में अल-अक्सा मस्जिद पर हमले किये हैं।"
ईरान ने हमास के हमले को सराहा
ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी ने रविवार को फिलिस्तीनी आतंकवादी समूहों हमास और इस्लामिक जिहाद के नेताओं से बात की और फिलिस्तीनी हमले की सराहना करते हुए इसे "गौरवपूर्ण ऑपरेशन" और "बड़ी जीत" बताया। मीडिया से बातचीत में हमास और हिजबुल्लाह के सदस्यों ने बताया कि इजरायल के खिलाफ इस ऑपरेशन में ईरान ने मदद की है। ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने गाजा और हिजबुल्लाह में हमास सहित 4 ईरान समर्थित आतंकवादी समूहों के साथ बैठकें भी की।
न्यूजबाइट्स प्लस
पहले विश्व युद्ध में ओटोमन साम्राज्य की हार के बाद फिलिस्तीन ब्रिटेन के कब्जे में आया। इसी बीच स्वतंत्र यहूदी देश की मांग उठने लगी और प्रताड़ित यहूदी यूरोप से फिलिस्तीन आने लगे। दूसरे विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन ये मामला संयुक्त राष्ट्र ले गया। संयुक्त राष्ट्र ने इलाके को 2 देशों में बांट दिया, अरब देश फिलिस्तीन और यहूदी देश इजरायल और जेरूसलम को अपने अधिकार क्षेत्र में रखा। तभी से इजरायल और फिलिस्तीन के बीच संघर्ष जारी है।