क्या है इजरायल और फिलिस्तीन का सदियों पुराना विवाद और अभी क्यों हो रहा संघर्ष?

इजरायल और फिलिस्तीन में एक बार फिर से संघर्ष छिड़ गया है और दोनों दिन-रात एक दूसरे पर रॉकेट दाग रहे हैं। पिछले शुक्रवार को शुरू हुए इस संघर्ष में अब तक 43 फिलिस्तीनियों और छह इजरायली नागरिकों की मौत हो चुकी है। अंतरराष्ट्रीय समुदाय दोनों पक्षों से हमले रोकने की अपील कर रहा है। चलिए आपको बताते हैं कि इजरायल और फिलिस्तीन के सदियों पुराने विवाद की क्या वजह है और मौजूदा संघर्ष की शुरूआत कैसे हुई।
इजरायल और फिलिस्तीन के विवाद की जड़ें ईसा पूर्व से पहले तक जाती हैं। चूंकि बाइबल में भगवान ने इजरायल के इलाके को यहूदियों के लिए चुना था, इसलिए वे इसे पूरी दुनिया के यहूदियों का घर मानते हैं। हालांकि उन्हें कई बार यहां से बेदखल होना पड़ा है और कई अत्याचारों का सामना करना पड़ा है। वहीं फिलिस्तीनी लोगों का कहना है कि चूंकि वे हमेशा से यहां के मुख्य निवासी हैं, इसलिए इस जगह पर उनका अधिकार है।
इजरायल और फिलिस्तीन के बीच आधुनिक संघर्ष की शुरूआत प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध के बीच हुई। प्रथम विश्व युद्ध से पहले फिलिस्तीन पर ऑटोमन साम्राज्य का कब्जा था, लेकिन युद्ध में उसकी हार के बाद यह क्षेत्र ब्रिटेन के कब्जे में आ गया। इसके बाद ब्रिटेन ने यहां यहूदी लोगों को बसाना शुरू कर दिया जो सदियों से अपने घर के लिए भटक रहे थे। उसने यहूदियों को तमाम तरह की सहूलियतें भी प्रदान कीं।
1920 और 1945 के बीच यूरोप में उत्पीड़न और नाजियों के हाथों नरसंहार से बचने के लिए लाखों यहूदी फिलिस्तीन पहुंचे, लेकिन उनकी बढ़ती संख्या से फिलिस्तीनियों, उनमें और अंग्रेजों में टकराव बढ़ने लगा। विश्व युद्ध खत्म होने के बाद जब ब्रिटेन इस टकराव को संभालने में नाकाम रहा तो 1947 में वह इसे संयुक्त राष्ट्र (UN) ले गया। UN ने द्विराष्ट्र सिद्धांत के तहत इलाके को यहूदी और अरब देशों में बांट दिया। जेरूसलम को अंतरराष्ट्रीय शहर बनाया गया।
1948 में अंग्रेज इलाके को छोड़कर चले गए और 14 मई, 1948 को यहूदियों का देश इजरायल वजूद में आया। हालांकि पड़ोसी अरब देशों को यह नागवार गुजरा और मिस्त्र, सीरिया और जॉर्डन ने मिलकर इजरायल पर हमला कर दिया। इस युद्ध में इजरायल की जीत हुई। 1967 में एक बार फिर इन देशों ने इजरायल पर हमला किया। लेकिन इजरायल ने छह दिन में ही उन्हें हरा दिया और वेस्ट बैंक, गाजा और पूर्वी जेरूसलम पर कब्जा कर लिया।
इस युद्ध के बाद से ही वेस्ट बैंक और पूर्वी जेरूसलम पर इजरायल का कब्जा है, जबकि गाजा के कुछ हिस्से को उसने लौटा दिया है। ज्यादातर फिलिस्तीनी गाजा और वेस्ट बैंक में रहते हैं और उन्हें अक्सर इजरायल की ज्यादतियों का सामना करना पड़ता है। 1993 में हुए ओस्लो सहमति के तहत इन दोनों इलाकों में फिलिस्तीनी खुद की सरकार चुन सकते हैं। 2014 से यहां हमास की सरकार है जिसे एक कट्टर संगठन माना जाता है।
जेरूसलम की इस्लाम, यहूदी और ईसाई तीनों धर्मों में बड़ी मान्यता है और यह इजरायल और फिलिस्तीन के इस विवाद का केंद्र है। पूर्वी जेरूसलम में अल-अक्सा मस्जिद है जिसे इस्लाम में तीसरी सबसे पवित्र जगह माना माता है। वहीं मस्जिद के परिसर में टेंपल माउंट नामक एक दीवार है जो यहूदियों के लिए सबसे पवित्र है। अभी यहूदियों को इलाके में घुसने की इजाजत नहीं है जो उनमें रोष का कारण बनता है। फिलिस्तीनी मस्जिद आ-जा सकते हैं।
इजरायल पूरे जेरूसलम पर अपना दावा करता है और इसे अपनी राजधानी घोषित कर चुका है। अमेरिका 2018 में इसे इजरायल की राजधानी स्वीकार करने वाला पहला और एकमात्र देश बना था। दूसरी तरफ फिलिस्तीन पूर्वी जेरूसलम को अपने आजाद मुल्क की राजधानी बताता है।
पिछले कुछ समय से फिलिस्तीनियों में पूर्वी जेरूसलम से कुछ फिलिस्तीनी परिवारों को बेदखल किए जाने को लेकर रोष पनप रहा था। शुक्रवार को अल-अक्सा मस्जिद पर उनका इजरायली सुरक्षा बलों के साथ टकराव हो गया जिसमें 300 से अधिक फिलिस्तीनी घायल हुए। इसके बाद से ही हमास गाजा पट्टी से और इजरायल अपनी तरफ से एक-दूसरे पर रॉकेट दाग रहे हैं। दोनों पक्ष 1,000 से अधिक रॉकेट दाग चुके हैं और इसके युद्ध में तब्दील होने का खतरा है।