फिलिस्तीन में दूतावास में मृत पाए गए भारत के राजदूत मुकुल आर्य
फिलिस्तीन में भारत के राजदूत मुकुल आर्य को रविवार को रामल्ला स्थित भारतीय दूतावास में मृत पाया गया। अभी तक उनकी मौत का कारण पता नहीं चल पाया है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने उनकी मौत पर दुख व्यक्त किया है। फिलिस्तीन के विदेश मंत्रालय ने भी आर्य की मौत पर शोक व्यक्त किया है और वहां के राष्ट्रपति ने अधिकारियों को खास निर्देश दिए हैं। आर्य के शव को भारत लाने की तैयारी भी की जा रही है।
जयशंकर ने रात को ट्वीट कर दी आर्य के निधन की जानकारी
विदेश मंत्री जयशंकर ने रविवार रात ट्वीट कर आर्य के निधन की पुष्टि की और उनके परिजनों के प्रति संवेदनाएं व्यक्त कीं। अपने ट्वीट में विदेश मंत्री ने लिखा, 'रामल्ला में भारत के प्रतिनिधि मुकुल आर्य के निधन के बारे में जानकर गहरा सदमा लगा। वह एक उज्ज्वल और प्रतिभाशाली अधिकारी थे, जिन्हें अभी काफी कुछ देखना था। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रियजनों के साथ है। ओम शांति।'
फिलिस्तीन के विदेश मंत्रालय ने भी निधन पर सदमा और दुख व्यक्त किया
फिलिस्तीन के विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी कर आर्य के निधन पर सदमा और दुख व्यक्त किया है। मंत्रालय ने कहा कि वह भारतीय अधिकारियों से संपर्क कर रहे हैं ताकि आर्य के पार्थिव शव को जल्द से जल्द भारत पहुंचाया जा सके। बयान में फिलिस्तीन के विदेश मंत्री रियाद अल-मलिकी के अपने भारतीय समकक्ष जयशंकर से संपर्क करके भारत सरकार और आर्य के परिवार के प्रति संवेदनाएं व्यक्त करने की जानकारी भी दी गई है।
फिलिस्तीन के राष्ट्रपति ने अधिकारियों को दिए मौके पर पहुंचने के निर्देश
बयान के अनुसार, फिलिस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास और प्रधानमंत्री मोहम्मद शतयेह ने आर्य के निधन की खबर मिलते ही सुरक्षा, पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के साथ-साथ स्वास्थ्य और फॉरेंसिक मेडिसन मंत्रालय को आर्य के निवास पर पहुंचने और मामले पर करीबी नजर रखने का निर्देश दिया। मंत्रालय ने कहा कि ऐसी कठिन और आपातकालीन परिस्थिति में जो करना आवश्यक है, उसके लिए सभी पक्ष पूरी तरह से तैयार हैं।
कौन थे मुकुल आर्य?
दिल्ली के रहने वाले मुकुल आर्य 2008 बैच के भारतीय विदेश सेवा (IFS) अधिकारी थे। दिल्ली यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन किया था। वह फिलिस्तीन से पहले अफगानिस्तान के काबुल और रूस के मॉस्को स्थित भारतीय दूतावासों में भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। इसके अलावा वो पेरिस में UNESCO में भारत के स्थायी प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा भी रहे थे। उन्होंने दिल्ली में मंत्रालय में भी अपनी सेवाएं दीं।