क्या है हक्कानी नेटवर्क जो तालिबान के नए शासन में निभा सकता है प्रमुख भूमिका?
क्या है खबर?
तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया है और अब देश में नई सरकार बनाने की तैयारी में जुटा है।
इसके लिए तालिबान के शीर्ष नेता प्रतिदिन मंत्रणा कर रहे हैं, लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि सरकार के गठन की चर्चा करने वालों में आतंकवादी संगठन हक्कानी नेटवर्क का एक प्रतिनिधि भी शामिल है।
तालिबान की सरकार में इस नेटवर्क को भी जगह दी जा सकती है। आइए जानते हैं कि आखिर क्या है हक्कानी नेटवर्क।
जानकारी
क्या है हक्कानी नेटवर्क?
हक्कानी नेटवर्क एक आतंकवादी समूह है और इसकी स्थापना खूंखार आतंकी और अमेरिका के खास रहे जलालुद्दीन हक्कानी ने की थी।
1980 के दशक में सोवियत सेना के खिलाफ उत्तरी वजीरिस्तान के इलाके में इस संगठन ने काफी सफलता भी पाई थी।
कई अमेरिकी अधिकारियों का दावा है कि हक्कानी को अमेरिका की केंद्रीय खुफिया एजेंसी (CIA) फंडिंग करती थी। इसके अलावा पाकिस्तान उसे हथियार और ट्रेनिंग देता था। उसे ISI का भी खास बताया जाता है।
करीबी
हक्कानी ने लादेन के साथ भी बढ़ाई थी करीबी
सोवियत सेना की वापसी के बाद जलालुद्दीन हक्कानी ने अलकायदा के आतंकी ओसामा बिन लादेन से करीबी बढ़ा ली थी।
इसके अलावा उसने वजीरिस्तान और आसपास के इलाके में अपनी धमक बनाए रखी। अफगानिस्तान के पेक्टिया प्रांत में जन्मे हक्कानी ने अपने संगठन का पाकिस्तान और अफगानिस्तान में काफी विस्तार किया।
1990 तक CIA और ISI की मदद से हक्कानी नेटवर्क अफगानिस्तान का सबसे मजबूत आतंकी संगठन बन गया था।
गठबंधन
हक्कानी नेटवर्क ने तालिबान के साथ किया गठबंधन
1990 के दशक में अफगानिस्तान में तालिबान का उदय हो रहा था। जलालुद्दीन हक्कानी भी जाना माना पश्तून मुजाहिद्दीन था।
इसके कारण उसने तालिबान के साथ गठबंधन कर लिया और यही कारण रहा है कि तालिबान ने उसके साथ मिलकर 1996 में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया।
तालिबान की सरकार बनने के बाद हक्कानी ने वहां अफगानी कबायली मामलों के मंत्री की जिम्मेदारी संभालना शुरू कर दिया।
दुश्मनी
हक्कानी की इस तरह से हुई अमेरिका से दुश्मनी
जलालुद्दीन हक्कानी 2001 में अमेरिका का दुश्मन बन गया। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हमले के बाद अमेरिका ने आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया।
CIA को लादेन के अफगानिस्तान में होने तथा तालिबान द्वारा उसका समर्थन किए जाने की सूचना मिली थी।
इस पर अमेरिका ने उसे बातचीत के लिए बुलाया, लेकिन वह इस्लामाबाद से फरार हो गया। कुछ दिनों बाद उसने अमेरिका के खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया। इसके बाद अमेरिका ने उसे दुश्मन मान लिया।
जानकारी
साल 2018 में हुई थी जलालुद्दीन हक्कानी की मौत
जलालुद्दीन हक्कानी सभी ताकतवर गुटों के साथ एक अलग संबंध बनाकर रखता था। उसने कभी भी तालिबान में अपने हक्कानी नेटवर्क का विलय नहीं किया। 3 सितंबर, 2018 में उसकी मौत के बाद उसके बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी ने संगठन की कमान संभाल ली।
वर्तमान कार्य
तालिबान की वित्तीय और सैन्य संपत्ति की देखरेख करता है हक्कानी नेटवर्क
हक्कानी नेटवर्क वर्तमान में पाकिस्तान-अफगानिस्तान सीमा पर तालिबान की वित्तीय और सैन्य संपत्ति की देखरेख करता है। अमेरिका ने सिराजुद्दीन को मोस्ट वॉन्टेड घोषित कर रखा है।
2019 में पिछली अफगानिस्तान सरकार में गिरफ्तार हुए और मौत की सजा पाने वाले सिराजुद्दीन के भाई अनस को रिहाई को अमेरिका और तालिबान के बीच सीधी बातचीत की शुरुआत के रुप में देखा जाता है।
हाल ही में उसने पूर्व राष्ट्रपति हामिद करज़ई और पूर्व मुख्य कार्यकारी अब्दुल्लाह से मुलाकात की थी।
आतंक
अफगानिस्तान में क्यों हैं हक्कानी नेटवर्क की दहशत?
हक्कानी नेटवर्क को अफगानिस्तान में कई हाई-प्रोफाइल हमलों के लिए जिम्मेदार माना जाता है। इस संगठन को आत्मघाती हमलों में महारथ हासिल है।
इसी संगठन ने 2008 में तत्कालीन अफगान राष्ट्रपति हामिद करजई की हत्या का प्रयास भी किया था।
इसी तरह उसने अफगानी और अमेकिरी अधिकारियों का अपहरण करने और फिरौती मांगने का भी काम किया है।
हक्कानी नेटवर्कन ने जुलाई, 2008 में भारतीय दूतावास के बाहर हमला भी किया था जिसमें 58 लोगों की मौत हुई थी।
इनकार
हक्कानी नेटवर्क से संबंध होने से इनकार करता रहा है पाकिस्तान
हक्कानी नेटवर्क के लंबे समय से पाकिस्तानी सेना के साथ संबंध हैं। अमेरिका के एडमिरल माइक मुलेन ने 2011 में हक्कानी नेटवर्क को इस्लामाबाद की खुफिया एजेंसी की मजबूत शाखा करार दिया था।
वहीं संयुक्त राष्ट्र के मॉनिटर्स ने जून में हक्कानी नेटवर्क को तालिबान और अलकायदा के बीच का "प्राथमिक संपर्क" करार दिया था।
हालांकि पाकिस्तान हमेशा से ही इस तरह के सभी आरोपों का खंडन करता आया है।
भूमिका
तालिबान के नए शासन में क्या रहेगी हक्कानी नेटवर्क की भूमिका?
हक्कानी नेटवर्क तालिबान की राजनीतिक परियोजना में गंभीर खिलाड़ी के रूप में उभरा है। यही कारण है कि वर्तमान में हक्कानी नेटवर्क के दो प्रमुख नेता खलील हक्कानी और अनस हक्कानी काबुल में मौजूद हैं। इतना ही नहीं वह सरकार के गठन को लेकर हो रही बातचीत में भी शामिल हैं।
विश्लेषकों का कहना है कि नई सरकार में नेटवर्क के प्रमुख सिराजुद्दीन हक्कानी को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। इससे आतंक की मजबूती का रास्ता साफ हो जाएगा।